आज होलिका दहन, जानें समय और विधि

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होली के एक दिन पहले यानी की आज होलिका दहन किया जाएगा. ETV भारत आपको होलिका दहन का मुहूर्त और महत्व के बारे में बताएगा.

रायपुर: राजधानी सहित पूरे देश में आज होलिका दहन किया जाएगा. होलिका दहन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है. हर साल की तरह इस साल भी होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाएगा. वहीं 10 मार्च यानी मंगलवार को होली खेली जाएगी.

होलिका दहन के लिए भद्रा काल सुबह सूर्योदय से आरंभ होकर दोपहर 1:10 बजे खत्म हो जाएगा, जिसके बाद होलिका पूजन की विधि प्रारंभ हो जाएगी. शाम 5:30 बजे गोधूलि बेला से लेकर रात्रि 11:17 तक होलिका दहन की जा सकती है.

दशकों पूरानी परंपरा के हिसाब से होती है पूजा
राजधानी रायपुर के सिद्ध पीठ मां महामाया देवी मंदिर परिसर पुरानी बस्ती रायपुर में आज रात्रि प्राचीन परंपरा के अनुसार मंदिर के पुजारियों और ट्रस्टियों के ओर से होलिका दहन किया जाएगा. होलिका दहन की यह परंपरा अनोखी परंपरा है. मां महामाया मंदिर के गर्भ गृह में पिछले कई दशकों से प्रज्जवलित खंड ज्योति की विधि-विधान से पूजन कर उसी ज्योति की अग्नि से परिसर में ही होलिका दहन की परंपरा दशकों से निभाई जा रही है.

होलिका में दी जाती है इन सामग्रियों की आहूति
होलिका दहन के बाद होलिका में जिन वस्तुओं की आहूति दी जाती है, उसमें कच्चे आम, नारियल, भुट्टे या सप्तधान्य चीनी के बने खिलौने और नई फसल का कुछ भाग सप्तधान्य हैं. साथ ही गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर की आहूति दी जाती है.

होलिका दहन की पूजा विधि
होलिका दहन करने से पहले गौरी-गणेश, भगवान नरसिंह और प्रह्लाद की पूजा कर होलिका की पूजा की जाती है. इस पूजा को करते समय पूजा करने वाले व्यक्ति को होलिका के पास पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए. पूजा करने के लिए एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गंध फूल, कच्चा सूत, गुड़, साबूत हल्दी, मूंग, बतासे, गुलाल और नारियल का प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा नई फसल के धान्य जैसे पके चने की बालियां, गेहूं की बालियां सामग्री के रूप में रखी जानी चाहिए.

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