कंगना रनौत के बाद नेपोटिजम पर भड़कीं अंकिता लोखंडे

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वेबडेस्क : टीवी पर एक लंबे समय तक राज करने वाली ऐक्ट्रेस अंकिता लोखंडे अब फिल्म ‘बागी 3’ में सेकंड लीड के रूप में नजर आने वाली हैं। उन्होंने फिल्म ‘मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी’ से फिल्मों में डेब्यू किया था। हाल में हुई उनसे खास बातचीत वह हर मुद्दे पर खुलकर बात करती हैं।

अर्चना के किरदार से घर-घर में राज करने वालीं टीवी ऐक्ट्रेस अंकिता लोखंडे ने अपना बॉलिवुड डेब्यू फिल्म ‘मणिकर्णिका’ में झलकरी बाई के रूप में किया था। अब उनकी दूसरी फिल्म आ रही है ‘बागी 3’, इसमें इतनी देर क्यों लगी? यह पूछने पर अंकिता कहती हैं, ‘देर नहीं लगी, आप ऐसा कह लो कि अहमद सर(डायरेक्टर) मेरे लिए फिल्म लिख रहे थे। दरअसल मुझे न एक कमर्शल फिल्म करनी थी। मैंने अच्छे स्ट्रॉन्ग, कैरेक्टर रोल अपने पिछले प्रॉजेक्ट्स में कर लिया है। अर्चना और झलकरी बाई दोनों ही बहुत पावरफुल किरदार रहे हैं। अब मैं कुछ लाइट और कमर्शल करने की खोज में हूं। मुझे कमर्शल ऐक्ट्रेस बनकर डांस, रोमांस सबकुछ करना है। क्या होता है, जब आप अपने करियर में पावरफुल करने लगते हो, तो कहीं न कहीं उसी ढांचे में फिट कर दिए जाते हो, तो मेरे लिए ‘बागी 3’ एक ब्रेक की तरह है। मैं असल जिंदगी में बहुत ही रोमांटिक और बेहतरीन डांसर हूं लेकिन फैंस को पता नहीं है। मुझे मुकेश छाबड़ा ने कॉल कर कहा कि अंकिता यह किरदार तू कर ले क्योंकि ‘बागी 3′ एक ब्रैंड है और इसकी पहुंच घर-घर तक है।’

लीड या सेकंड लीड, कोई फर्क नहीं
अंकिता कहती हैं, ‘आजकल के दौर में सेकंड लीड क्या होता है? आप ही बताएं, आजकल क्या वैल्यू है ऐक्ट्रेस की अगर वह ऐक्टिंग ही न कर पाएं। आजकल का जमाना यह नहीं रहा कि ऐक्ट्रेस बस सुंदर दिखे। अब तो सीधे-सीधे मुकाबला चलता है। वैसे भी यह देखने का नजरिया है, आपको मैं ऐक्ट्रेस नहीं लगती? अब कोई लीड या सेकंड लीड नहीं देखता है, देखिए मैं अपने कैरेक्टर को लेकर बहुत ही कॉन्फिडेंट हूं और मेरे ऑपोजिट रितेश देशमुख जैसे उम्दा ऐक्टर हैं। आप जब फिल्म देखेंगी, तो आपको समझ आएगा कि मेरा किरदार कैसा है। कंगना के साथ मैंने अपना डेब्यू किया था, कंगना से मैं छोटी हूं तो जाहिर है मेरा किरदार उनसे छोटा ही होगा। मैंने उस फिल्म में अपनी परफॉर्मेंस से उस किरदार को हीरो बना दिया था। देखिए या पूरी तरह आप पर होता है कि आप चीजों को लेकर कितने इनसिक्यॉर हैं। आपकी असुरक्षा ही बाकी चीजों पर निकलकर आती है।

बॉलिवुड में खूबसूरत चेहरे ही चाहिए
यह बात केवल बॉलिवुड की ही नहीं है बल्कि पूरे देश की है। हमारा देश आज भी इसी मानसिकता का गुलाम है। आपकी बेटी भले ही काली हो लेकिन बहू गोरी चाहिए। यह क्या मजाक है? यहां गोरे रंग को महिमामंडित किया जाता है। यही वजह है तमाम फेयरनेस क्रीम धड़ल्ले से बिकती हैं। आपको पता है वर्ल्ड की सबसे खूबसूरत महिला ब्लैक है। वह डार्केस्ट हैं लेकिन बेहद ही खूबसूरत हैं। और यहां हमें देखिए, हम किस दिशा में जा रहे हैं। यह सब किया कराया औरतों का ही है। जो शाम को बैठकर मीटिंग में इसके-उसके रंग की बुराई करती रहती हैं। इनकी वजह है बच्चों की मानसिकता में असर पड़ता है और वे अपनी चीजों को लेकर कॉन्फिडेंट नहीं हो पाते हैं। हमारे यहां इंसान को उसके रंग के अनुसार खूबसूरत बताया जाता है न कि उनकी क्वॉलिटी को लेकर। मुझे नहीं लगता कि बॉलिवुड बदलेगा। उन्हें खूबसूरत चेहरे ही चाहिए होते हैं। बहुत से ऐसे स्टीरियोटाइप हैं, जिसे तोड़ना मुश्किल है। बहुत से ऐसे स्टीरियोटाइप हैं। जैसे कि अपने-अपने लोगों को आगे बढ़ाना या जान पहचान लोगों को ही फिल्म देना। बुरा लगता है, फिर सोचती हूं कि ठीक है, मैं किसी कैंप पर नहीं हूं, तो क्यों न खुद का कैंप खड़ा कर लूं। मैं छोटी फिल्म ही बनाऊंगी लेकिन बनाऊंगी जरूर और अपने आत्मसम्मान के साथ काम करूंगी।

फेक चीजों से मुझे दिक्कत है
नहीं, कुछ भी मुश्किल नहीं है। देखिए अगर मुझे किसी कैंप में जाना हो, तो मैं आसानी से जा सकती हूं। मुझे न फेक चीजों से बहुत दिक्कत है। मैं किसी की चापलूसी नहीं कर सकती। मैं सोशलाइजिंग में भी बिलकुल अच्छी हूं भी नहीं। दरअसल, मुझे यह डर होता है कि कहीं उन्हें यह न लगने लगे कि मैं कोई काम निकाल रही हूं। मुझे नहीं पता कि यह मेरे लिए कितना सही या गलत है। लेकिन मैं खुद से बहुत खुश हूं।

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