मुखिया के मुखारी….खनन वायरस से संक्रमण का डर

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करोना वायरस को नियंत्रित करने की पुरजोर कोशिश जारी है, छापा वायरस पर नियंत्रण पाने का प्रयास भी उसी गति से चल रहा है। लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार की मुश्किलों को नित नए ढंग से बढ़ाना बड़े बाबुओं की पहली प्राथमिकता बन गई है। पूरे प्रदेश में रेत खदान सहित खनिजों के खनन का जो गैरकानूनी गठबंधन बना है, उसकी बानगी देखिए…. खनिज विभाग के उपसंचालक कह रहे हैं कि उनके पास स्टाफ की कमी है। इस वजह नए रायपुर में जारी अवैध मुरुम खदान पर वे कार्रवाई नहीं कर सकते। इसी मामले में एनआरडीए के मुख्यकार्यकारी अधिकारी ने वहीं से अवैध परिवहन में लगे वाहनों को जब्त कर राखी थाने में खड़ा कर आगे की कार्रवाई के लिए खनिज विभाग को लिख दिया। संभागायुक्त का कहना है कि शासकीय कार्यों में लगातार मुरुम का उपयोग हो रहा है, जिसकी वजह से जगह-जगह मनमानी खुदाई चल रही है। इस पर अंकुश लगाने के लिए निर्देश जारी किया गया था। फिर भी खनिज विभाग ने कोई जानकारी नहीं भेजी। ऐसे में इन अधिकारियों को नोटिस जारी किया जाएगा
विश्लेषण एक विशेष योग्यता है जो आपको समदर्शी बनाती है, सफलता के पथ पर अग्रसर करती है। पर लगता है जैसे इस सरकार के अफसरों ने कसम खा रखी हो कि सरकार की किरकिरी करवानी ही है। तीनों अधिकारियों के पास असीमित अधिकर हैं परंतु तीनों के नजरिए में एक ही अवैध कृत्य को लेकर कितना अंतर है! सरकार को अफसरों के इस गैरजवाबदारी पूर्ण कार्यवाहियों और बयानों को विश्लेषित करना ही होगा।

पीसीएम के संक्रमण से जूझ रही राज्य सरकार की कमजोर होती छवि पर अगला वार खनिज संक्रमण का होना तय है। उपसंचालक स्टाफ की कमी बताकर नए रायपुर के विभन्न ग्रामों में चल रहे अवैध खनन पर कार्रवाई नहीं कर रहे। अगर वे राजधानी में अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं तो पूरे प्रदेश में नियंत्रण कैसे कर पा रहे होंगे? क्या खनिज विभाग कहीं से भी अपने दायित्वों का निर्वहन करते दिख रहा है? ऐसा वक्तव्य देने के बाद भी यदि वो अपने पद पर बने रहते हैं तो ये समझना श्रेयस्कर होगा कि सरकारी नौकरी में प्रतिभा की कोई जगह नहीं है। न आप किसी के प्रति उत्तरदायी हंै। आप अपनी मर्जी के मालिक हैं। आप थानेदार होकर भी कह सकते हैं कि मैं चोरी नहीं रोक सकता, क्योंकि स्टाफ नहीं है। उसी घटना पर एनआरडीए के सीइओ कार्रवाई करते हैं, मतलब अवैध खनन के प्रति उन्होंने सजगता दिखाई पर पता नहीं किस व्यवस्था के तहत उसी खनिज विभाग को पत्र लिखा, जिसने कार्रवाई न करने के लिए बचकाना तर्क दिया। संभागायुक्त कह रहे कि उनके निर्देशों का परिपालन खनिज विभाग के अधिकरी नहीं कर रहे हैं। वे अब नोटिस भेजेंगे। उनकी सहृदयता देखिए… बता रहे हैं कि सरकारी कामों के लिए मुरुम की अवैध खुदाई हो रही है। क्या सरकारी ठेकेदार इन शासकीय निर्माण कार्यों के लिए सरकार से पैसा नहीं लेते? कोई धर्मार्थ का कार्य कर रहे हैं, जो उन्हें मुरुम का अवैध उत्खनन करने की छूट दी जाए। तीनों अधिकारियों के व्यक्तव्यों और कार्य संपादन की क्षमता का आकलन सरकार नहीं करेगी तो कौन करेगा? ऐसी गैरजिम्मेदाराना रवैय्ये से सक्षम अधिकारी भी हतोसाहित होते हैं। ऐसे में अक्षम लोगों की भीड़ से निकलकर जब तक सक्षम अधिकारियों की टीम नहीं बनेगी तो सरकार कैसे प्रभावशाली होगी?

सरकार के राजस्व में बहुत बड़ा योगदान खनिज विभाग का भी होता है। खनिज घोटालों की भेंट कई सरकारें चढ़ गर्इं, ये भारतीय राजनीतिज्ञ, नौकरशाहों के स्मृति पटल पर भी है पर पता नहीं क्यों विश्लेषण के लिए समय नहीं है। सरकारी विभागों की आपसी समन्वयता कहीं दिखती ही नहीं। निर्माण कार्य करने वाली लोकनिर्माण, सिंचाई गृह निर्माण मंडल, सड़क निर्माण, सब सरकारी है, खनिज विभाग भी, पर खनिज विभाग को रायल्टी नहीं मिल रही। निर्बाध गति से पूरे प्रदेश में अवैध खनन बदस्तूर जारी है। अधिकारी मालामाल हो रहे और ग्रामीण गड्ढों में हादसे के शिकार हो रहे।

राज्य में हुए सरकारी निर्माण कार्यों के लिए भुगतान हेतु ठेकेदार बिल लगाता है कि उसने तय मापदंडों के अनुरूप निर्माण सामग्रियों को खरीदा है। राज्य शासन उन बिलों का मिलान यदि खनिज रायल्टी से कर दे तो सारा भेद खुल जाएगा। कई आलिशान बंगलों की नींव हिल जाएगी और ऐसा करने के लिए सरकार के पास अपना अंकेक्षण विभाग भी है।

अचार संहिता के दौरान 72 करोड़ का भुगतान नागपुर की कंपनी को करने वाला खनिज विभाग शायद ही इस बारे में कुछ सोचेगा।

अव्यवस्था बनाए रखो। कोयला, लोहा, रेत के अलावा मुरुम-मिट्टी से भी पैसा बनाते रहो। बड़े बाबुओं की कोई सीधे जवाबदेही तो है नहीं। जनता के प्रति या विभाग अथवा सरकार के प्रति। उनके लिए तो स्वहित ही सर्वोपरि है।

सरकार यदि कार्यों का मूल्यांकन कर उनका विश्लेषण नहीं करेगी तो सत्ता संचालन समीकरणों को कैसे साधेगी? विश्लेषण कोई असंभव चीज तो है नहीं। यदि आपमें सफल होने की ललक है तो आप ये अवश्य करेंगे। बिना इच्छाशक्ति के तो कुछ नहीं हो सकता। हमारी बहुत अच्छी सोच है पर बिना मंै के हम कहां संभव है? वक्त है- सफलता तो खुद आएगी, घर के द्वार तक चलकर।

चोखेलाल
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