छत्तीसगढ़ : दो साल बाद भी प्रारंभ नहीं हो सका 50 बिस्तरों वाला मातृ शिशु अस्पताल
आधे अधूरे निर्माण को बताया जा रहा है विलंब होने का कारण
राजेन्द्र सिन्हा/पिथौरा । पिथौरा ब्लाक मुख्यालय में करीब दस करोड़ रुपए की लागत से बनकर तैयार 50 बिस्तरों वाला मातृ शिशु अस्पताल 2 साल बाद भी प्रारंभ नहीं हो सका और यहां के लोगों को इसकी सुविधा के लिए भटकना पड़ रहा है पिथौरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आने वाले मरीजों को मातृ शिशु अस्पताल प्रारंभ नहीं होने के कारण आज भी महासमुंद एवं रायपुर रिफर किया जा रहा है जिसके कारण क्षेत्र के करीब 300 गांव के लोगों को इसकी सुविधा से वंचित होना पड़ रहा है ।
ज्ञातव्य हो कि केंद्र शासन द्वारा करोड़ों रुपए की लागत से पिथौरा ब्लाक मुख्यालय में 50 बिस्तरों वाला मातृ शिशु अस्पताल भवन का निर्माण आज से 5 वर्षों पूर्व कराया गया है तथा अस्पताल के भीतर उपयोग होने वाले फर्नीचर से लेकर कमोबेश सभी सामग्रियों की आपूर्ति भी हो चुकी है तथा उक्त सामग्रियां अस्पताल भवन के भीतर पड़े हुए हैं किंतु नए भवन का विधिवत प्रारंभ नहीं हो पाने के कारण इसका लाभ यहां आने वाले मरीजों को नहीं मिल पा रहा है । लिहाजा आज भी गंभीर मरीजों को महासमुंद एवं रायपुर के निजी एवं शासकीय अस्पतालों का चक्कर काटना पड़ रहा है ।
पिथौरा विकासखंड के लगभग 300 गांव के लोगों को इस अस्पताल की सुविधा मिल सके इस लिहाज से भारत सरकार के द्वारा 50 बिस्तरों का अस्पताल का निर्माण कराया गया है ताकि मातृ एवं शिशु को निशुल्क रूप से बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके किंतु भवन के निर्माण होने के 2 वर्षों बाद भी अस्पताल के विधिवत प्रारंभ नहीं हो पाने के कारण लोगों को आज भी दूरस्थ क्षेत्रों में भटकना पड़ रहा है |
इस मामले को लेकर पूर्व संसदीय सचिव रूप कुमारी चौधरी के प्रतिनिधि मनमीत छाबड़ा ने पत्र क्रमांक 791220 009958 के द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी महासमुंद को ऑनलाइन शिकायत करते हुए अस्पताल को तत्काल प्रारंभ करने की दिशा में पहल करने की अपील की है ताकि माताओं एवं शिशुओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो सकें। उपरोक्त पत्र के आधार पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा पिथौरा ब्लाक के खंड चिकित्सा अधिकारी को पत्र लिख कर जवाब चाही गई है
जिसमें खंड चिकित्सा अधिकारी तारा अग्रवाल द्वारा जिला चिकित्सा अधिकारी को लिखें गए पत्र क्रमांक 132 दिनांक 3/3 /2020 के आधार पर उक्त भवन को प्रारंभ करने के लिए 16 बिंदुओं में कमियां पाई गई है जिसमें 1 पानी की व्यवस्था पर्याप्त नहीं होना, 2 पूर्व के बिजली बिल का भुगतान नहीं होना, 3 कमरों में एग्जास्ट फैन की व्यवस्था नहीं होना, 4 लैब एवं रसोई कक्ष में सिंक का नहीं होना, 5 ड्रेनेज सिस्टम में गड़बड़ी पाया जाना, 6 सुरक्षित जैव अपशिष्ट प्रबंधन हेतु उचित व्यवस्था नहीं होना, 7 भवन के बाहरी दीवारों को रंग रोगन कराए जाने की आवश्यकता , 8 भवन के भीतर टूटे हुए स्टाइल्स को मरम्मत कराने की आवश्यकता, 9 भवन में डायरेक्शन बोर्ड लगाए जाने की आवश्यकता , 10 भवन के भीतर बने शौचालयों में डोर लॉक का अभाव, 11 पुरुष शौचालयों में यूरिन सिंक का सही जगह नहीं लग पाना, 12 , शौचालयों में नल का अभाव, 13 नवनिर्मित भवन के दीवारों में दरारें आ गई है जिसका मरम्मत कराए जाने की आवश्यकता , 14 भवन में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाया जाना, 15 अस्पताल परिसर के भीतर वाहनों के पार्किंग की उचित व्यवस्था नहीं होना, 16 रसोई कक्ष में सिंक का नहीं लगाया जाना आदि कमियों के कारण उक्त भवन को प्रारंभ नहीं हो पाना बताया जा रहा है ।
बहरहाल भवन को बनकर तैयार हुए 2 साल बीत गए किंतु उक्त नवनिर्मित अस्पताल भवन का विधिवत प्रारंभ नहीं हो पाना क्षेत्र वासियों के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है तथा लोगों को आज भी विषम परिस्थितियों में अपने परिजनों को लेकर महासमुंद और रायपुर सहित अन्य बड़े शहरों का चक्कर काटना पड़ रहा है जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान के अलावा मानसिक परेशानियों से भी जूझना पड़ रहा है ।
कसडोल ब्लाक के ग्रामीण भी होते हैं लाभान्वित — पिथौरा ब्लाक के सरहद से महज 10 किलोमीटर दूरी पर कसडोल ब्लाक की सीमा जुड़ जाती है लिहाजा कसडोल ब्लॉक के करीब 50 गांव के लोगों को भी इस अस्पताल का लाभ मिलता है तथा सामान्य एवं गंभीर परिस्थितियों में पिथौरा ब्लाक के अस्पतालों में अपना स्वास्थ्य सुविधा का लाभ लेते हैं इन गांव के लोगों को भी इस अस्पताल का लाभ मिलेगा किंतु इस भवन के प्रारंभ नहीं हो पाने के कारण इन गांव के लोगों को भी बड़े शहरों में भटकने मजबूर होना पड़ रहा है ।विशेषज्ञ डॉक्टरों की भी आवश्यकता — 50 बिस्तरों वाले मातृ शिशु अस्पताल के प्रारंभ हो जाने एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों सहित प्रशिक्षित स्टाफ की पदस्थापना हो जाने के बाद क्षेत्र के करीब साढे 300 गांव के लाखों लोगों को इसका लाभ मिलेगा ।
सुविधा के अभाव में कर देते हैं रायपुर रिफर — पिथौरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में वाले वाले ऐसे गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा के दौरान गंभीर स्थिति के चलते सुविधाओं के अभाव में आज भी उन्हें रायपुर अथवा महासमुंद रिफर कर दिया जाता है ऐसी स्थिति में मरीज के अलावा परिजन भी भयभीत हो जाते हैं तथा परिजनों में परेशानियां बढ़ जाती हैं ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को सबसे ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है लिहाजा इस अस्पताल के प्रारंभ हो जाने से क्षेत्रवासियों को बड़ी राहत मिलेगी क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों को इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है