दंतेवाड़ा : महिला नक्सली ने सरेंडर किया
- जिला पुलिस का अनोखा प्रयोग, 4 सरेंडर कर चुके नक्सलियों ने प्रेमी-प्रेमिका को आत्मसमर्पण करने के लिए पत्र लिखा
- इन्हीं में से 1 लाख की इनामी जयमती ने जवाब में पुलिस को लिखा खत, जताई थी नक्सलवाद छोड़ने की इच्छा
दंतेवाड़ा. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले दंतेवाड़ा में इश्क जीत रहा है और हिंसा हार रही है। अपने प्रेमी का खत पढ़कर 1 लाख रुपए की इनामी महिला नक्सली ने सरेंडर कर दिया। महिला नक्सली का प्रेमी भी पहले नक्सली था। सरेंडर के बाद वह पुलिस में शामिल हो गया है। पुलिस ने इसी तरह 4 और सरसेंडर कर चुके नक्सलियों से उनके प्रेमी और प्रेमिकाओं के नाम खत लिखवाए हैं। पुलिस कि नक्सलियों की हिंसा को इश्क के पैगाम के साथ हराने की कोशिश रंग लाती नजर आ रही है।
एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि प्रेमी लक्ष्मण का खत मिलते ही हमसे से चिट्ठी के जरिए महिला नक्सली जयमती ने संपर्क किया। उसने चिट्ठी में लिखा कि वह सरेंडर करना चाहती है। मगर नक्सलियों को उस पर शक है, लिहाजा उस पर पाबंदी लगा दी गई है। वह जंगलों से नहीं निकल पा रही। जयमती ने शनिवार का दिन बताते हुए वह जगह भी बताई जहां से पुलिस उसे ले जा सकती है। टीम वहां पहुंची और जयमती को लेकर आई।
जब नक्सली के पास पहुंचा उसके प्रेमी का खत
जयमती नक्सलियों के लिए प्रचार-प्रसार करने का काम करती थी। वह नए युवक युवतियों को नक्सली बनने को कहती थी। इस टीम का उसे अध्यक्ष बनाया गया था। 20 फरवरी को कुछ गुप्त सूत्रों ने उसतक उसके प्रेमी का खत पहुंचाया। बड़े नक्सलियों को इस बात का शक था कि प्रेमी लक्ष्मण के बाद जयमती भी सरेंडर कर सकती है। लिहाजा उस पर खास नजर रखी जाने लगी। प्रेमी लक्ष्मण ने खत में उसे बताया कि वह एक अच्छी जिंदगी जी रहा है, वह चाहता है कि जयमती भी उसके साथ रहे और आगे खुशहाल परिवार बसाए। नक्सली शादी और बच्चों के खिलाफ होते हैं। ऐसे में जयमती ने भी यह सब छोड़कर सामान्य जिंदगी को चुनना बेहतर समझा।
ऐसे आया इश्क वाले लेटर का आइडिया
एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि पिछले दिनों एक नक्सली जो कि सरेंडर कर चुका था उसकी प्रेमिका एंकाउंटर में मारी गई। इस वैलेंटाइन हमने यह पता कि ऐसे कौन से नक्सली हैं जो सरेंडर कर चुके हैं मगर अब भी उनकी प्रेमिका या प्रेमी नक्सली ही हैं। हमें 4 ऐसे जोड़े मिले। हमने उसने पत्र लिखवाए। हमने उनसे अच्छी जिंदगी की तरफ आने की अपील की। जयमती के मामले में वो और उसका प्रेमी लक्ष्मण शादी करना चाहते मगर नक्सलियों ने इन्हें रोक दिया, नक्सली ये सब नहीं होने देते। इसलिए लक्ष्मण के सरेंडर के बाद इन बातों को समझकर जयमती ने भी हिंसा का रास्ता छोड़ दिया।