निर्भया केस : पटियाला कोर्ट आज जारी कर सकता है नया डेथ वारंट
निर्भया गैंगरेप केस में दोषियों के सभी कानूनी विकल्प समाप्त हो चुके हैं. आखिरी बची दया याचिका भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा खारिज कर दी गई थी. आज पटियाला न्यायालय उनके खिलाफ नया डेथ वारंट जारी कर सकता है. दरअसल दिल्ली सरकार ने बुधवार को मामले के चारों दोषियों की फांसी के लिए नई तारीख निर्धारित करने का अनुरोध करते हुए यहां की एक अदालत का रुख किया है. जानें विस्तार से…
नई दिल्ली : निर्भया गैंगरेप केस के दोषियों के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट आज नया डेथ वारंट जारी कर सकता है. दरअसल दिल्ली सरकार ने बुधवार को मामले के चारों दोषियों की फांसी के लिए नई तारीख निर्धारित करने का अनुरोध करते हुए यहां की एक अदालत का रुख किया था.
याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका खारिज कर दी है.
बता दें कि सभी दोषियों के पास अब किसी प्रकार का कोई भी कानून विकल्प नहीं रहा है. साथ ही सभी याचिका का खारिज हो चुकी है.
दिल्ली कारागार नियमावली के मुताबिक मौत की सजा का सामना कर रहे किसी दोषी की दया याचिका खारिज होने के बाद उसे फांसी देने से पहले 14 दिन का समय दिया जाता है. सभी चारों दोषियों को एकसाथ फांसी दी जानी है.
विकल्प की कोई गुजांईश नहीं
दरअसल याचिका में कहा गया है कि किसी भी दोषी की कोई याचिका लंबित नहीं है. सभी दोषियों ने अपने सभी कानूनी विकल्पों को आजमा लिया है, इसलिए अब कोर्ट चारो दोषियों खिलाफ नया डेथ वारंट जारी करे.
बता दें कि पिछले दो मार्च को न्यायालय ने निर्भया गैंगरेप के दोषियों की तीन मार्च को फांसी देने के आदेश पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने दोषी पवन गुप्ता की राष्ट्रपति के यहां दया याचिका लंबित होने की वजह से फांसी की सजा पर रोक लगाई थी. दो मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने पवन गुप्ता की सुधारात्मक याचिका खारिज कर दी थी, जिसके तुरंत बाद पवन गुप्ता ने राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दायर की थी.
17 फरवरी को जारी हुआ था डेथ वारंट
गौरतलब है कि पिछले 17 फरवरी को पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी कर दिया था. एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने 3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी देने का आदेश जारी किया था. पिछले 28 फरवरी को पवन गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में क्युरेटिव याचिका दायर कर फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की मांग की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.