हैबीटेट राइट्स का गइडलाइन बनाने एक्सपर्ट कमेटी का गठन
वेबडेस्क : अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता ) अधिनियम, 2006(एफ.आर.ए.) बने लगभग 14 साल रहा है। इन 14 साल मेें देश के विशेष संकटग्रस्त जनजाति समूहों के लिए विशेष प्राविधान जिसे हैबीटेट राइट्स नाम से जाना जाता है। इस पर कोई काम नहीं हुआ है। मिनिस्ट्री ऑफ टराइबल अफेयर भारत सरकार के लगातार दिशा निर्देश जारी करने के बाद भी राज्य सरकार ने विशेष संकटग्रत जनजाति समूह हैबीटेट राइट्स देने में कोई ध्यान नहीं दिया है। छत्तीसगढ़ मे बैगा, पहाड़ी कोरवा चरवाहे, कमार और अबूझमाडि़ या विशेष संकटग्रस्त जनजाति समूह रहते है। हैबीटेट राइट्स के गाइडलाइन नहीं होने से राज्य सरकार हैबीटेट राइट्स के क्रियान्वयन में मुश्किल हो रहा था।
हैबीटेट राइट्स का गाइडलाइन बनाने के लिए भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेयर्स ने एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी मे विभिन्न राज्यों के प्रमुख सचिवों के साथ अशासकीय संस्थाओं के सदस्य और स्वतंत्र शक्तिओं को भी सदस्य बनाया गया है। स्वतंत्र शक्ति के रूप मे नरेश विश्वास क हैबीटेट राइट्स के एक्सपर्ट कमेटी मे सदस्य बनाया गया है। कमेटी का प्रथम बैठक 16 मसिक दिल्ली में होगा।
उल्लेखनीय है चक नरेश विश्वास ने डिंडोरी जिला के बैगा के सात गााँव का हैबीटेट राइट्स दिलाने का काम किया हैश् देश में एक मात्र उदाहरण है। वैसे त नरेश चबश्वास मूलत: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिला का रहने वाला है। लगभग दशकों से डिंडोरी जिला के बैगा आदिवासियोंके बैगाओं के बेवर खेती क पुनजीवित करने और बैगाओं के वन अधिकारों के मुद्दे पर काम कर रहें है।
नरेश विश्वास ने छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिला के छुही पहाड़ और नारायणपुर के अबूझमाड़ क्षेत्र का हैबीटेटै राइट्स के लिए काम कर रहें है। श्री विश्वास कसेंटरल कमेटी के सदस्य बनाने से छत्तीसगढ़ के पहाड़ी कोरवा, अबूझमाडिय़ा और बैगा आदिवासियों को वन अधिकार कानून के तहत हैबीटेट राइट्स मिलने की संभावना दिखाई दे रहा है।