खराब जीवन शैली व खानपान से लगातार बढ़ रहे मधुमेह के मरीज

खराब जीवन शैली व खानपान से लगातार बढ़ रहे मधुमेह के मरीज

कभी अनुवांशिक बीमारी कहे जाने वाले मधुमेह इन दिनों खराब जीवन शैली और गलत खानपान से लगातार बढ़ते जा रही है। इस बीमारी के होने के बाद व्यक्ति का जीवन लगातार हीन होते जाता है उनका ब्लड शुगर का लेबल सामान्य नहीं रह पाता है। युवाओं की असंतुलित जीवन शैली के कारण यह बीमारी अब युवाओं में बढ़ती ही जा रही है। मधुमेह होने के बाद और भी अन्य बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। यही वजह है कि बेहतर दिनचर्या से इस बीमारी से बचा जा सकता है।

ग्लूकोज की मात्रा नियंत्रित रखें

कुछ दशकों की बात करें तो पहले मधुमेह 50 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोग इस बीमारी की चपेट में आते थे। अब असंतुलित खानपान होने और दिनचर्या सही नहीं होने से यह बिमारी भयंकर रूप ले रही है। भागदौड़ भरी जिदगी में तनाव अधिक है, न तो खाना खाने का समय है और न सोने बैठने का समय तय है। तला-भुना अधिक खाते हैं और शारीरिक श्रम से दूर होते जा रहे हैं। पाचन तंत्र खराब होता है और शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढऩे लगती है। इंसुलिन भी कम बनता है या नहीं बनता है। यही मधुमेह का कारण बनता है।

14 वर्ष घट सकती है आयु

अंतर्राष्ट्रीय शोध की माने तो वर्तमान में लगभग 30 वर्ष की अल्प आयु में ही मधुमेह के शिकार हो रहे हैं। अगर 30 वर्ष की आयु में शुगर की मरीज बनते हैं तो व्यक्ति का औसत जीवन से 14 वर्ष कम हो सकती है। जर्नल द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्राइनोलॉजी द्वारा किये गये शोध के अनुसार 40 वर्ष की उम्र वाले मधुमेह रोगी की उमर 10 वर्ष और 50 वर्ष आयु वाले मरीजों की आयु में 6 वर्ष की कमी देखी देखी गई है। मधुमेह से बीमारियों का खतरा

मधुमेह रोग से ग्रसित लोगों को कई गंभीर बिमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इन रोगों में हृदय रोग, हार्ट अटैक, किडनी समस्या, कैंसर सहित उच्च रक्तचाप, नसों की कमजोरी और फंगल इन्फेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। मोटापे की समस्या से बचने नियमित रूप से व्यायाम, योग करना चाहिए और समय से सोना व उठना चाहिए। जीवनशैली में सुधार लाने से काफी हद तक इस रोग से बचाव संभव है। लोगों को अनुवांशिक कारणों से भी यह बीमारी होती है। अगर परिवार में किसी को यह बीमारी रही है तो उन्हें 40 वर्ष आयु के बाद वर्ष में दो से तीन बार जांच अवश्य करानी चाहिए। मधुमेह की बीमारी मुख्यत: दो प्रकार की होती है। टाइप-वन मधुमेह से युवा अधिक ग्रस्त होते है। इसमें इंसुलिन नहीं बनता और खून में ग्लूकोज के लेवल को सामान्य बनाए रखने को इंसुलिन इंजेक्शन लेने पड़ते हैं।

- डॉ नवीन दुल्हानी, एम डी मेडिसिन, मेकाज डिमरापाल

 









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