परमेश्वर राजपूत, गरियाबंद/छुरा : विशेष पिछड़ी भुंजिया जनजाति के लोगों के लिए सरकार और प्रशासन के द्वारा युं तो कई योजनाएं संचालित की जाती है जिससे उनके जीवन स्तर पर सुधार हो। लेकिन अभी भी ग्रामीण अंचलों में बसे भुंजिया जनजातीय के बीच सुविधा व संसाधन की कमी देखने को मिलती है और आज भी यहां सुधार की आवश्यकता महसूस होती है।
छुरा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत कोठीगांव के खलियापानी के रहने वाले दिव्यांग राकेश कुमार भुंजिया जो लगभग 15 वर्ष के हैं जो बचपन से दोनों आंखों से दिव्यांग हैं उन्होंने बचपन से पढ़ाई करने की इच्छा जताई तो गांव के प्राथमिक शाला में पढ़ाने वाले एक शिक्षक ने उन्हें पढ़ाई करने में मदद की गांव के प्राथमिक शिक्षा पुरा करने के बाद उन्हें आगे की पढ़ाई करने हेतु कोई संसाधन और सुविधा नहीं मिल पाया जिससे आगे की पढ़ाई नहीं कर पाये।
दिव्यांग राकेश कुमार आज भी अपने अनुभव के आधार पर अपनी गांव की गलियों से लेकर खेत तक अकेले जाकर आ जाते हैं गांव की गलियों में अनुभव के हिसाब से साईकिल भी चला लेते हैं। हमनें उनसे मुलाकात कर बात भी की तो उन्होंने बताया कि मेरे आगे भी पढ़ाई करने की इच्छा थी लेकिन मैं वनांचल के एक छोटे से गांव में निवास करता हूं और संसाधन व सुविधा के आभाव में पढ़ाई अधुरा छोड़ना पड़ा।
हालांकि आज उन्हें शासन की ओर से पेंशन तो मिलता है लेकिन उनका दिव्यांग होने के चलते अलग से राशनकार्ड नहीं बन पाया है और न ही प्रशासन के द्वारा उन्हें कम से कम गांव के आस पास आने जाने हेतु किसी प्रकार की कोई सुविधा उपलब्ध हो पाया है। अभी फिलहाल अपने मां बाप के साथ रहकर उनका जीवन यापन होता है।
जब हमने उनकी मां से बात की तो उन्होंने बताया अभी तो हम जिवित हैं तो हम इनकी देखभाल पालन पोषण कर रहे हैं और हमारे नहीं रहने के बाद इनका क्या होगा ये सोच के हम चिंतित हो जाते हैं अगर इनके लायक कोई प्रशासनिक मदद मिले तो इनके आगे भविष्य के लिए हम सोच पाते हम पढ़े लिखे नहीं हैं जानकारी के आभाव में हम इनके लिए आगे क्या क्या करें ये समझ नहीं पा रहे हैं।



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