शिवनाथ नदी में हेमाद्रि संकल्प व श्रावणी दस स्नान ‌की बिखरी छटा,गायत्री परिजनों ने यज्ञ आयोजित कर पौधरोपण का लिया संकल्प

शिवनाथ नदी में हेमाद्रि संकल्प व श्रावणी दस स्नान ‌की बिखरी छटा,गायत्री परिजनों ने यज्ञ आयोजित कर पौधरोपण का लिया संकल्प

 

 राजनांदगांव :  श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को गायत्री शक्तिपीठ द्वारा हर वर्ष की तरह मोहारा स्थित शिवनाथ नदी में८ हेमाद्रि संकल्प व श्रावणी दस स्नान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उक्त आयोजन मे बड़ी संख्या में गायत्री परिजनों व सत्य सनातन धर्मी जन सम्मिलित हुए । इस दौरान वैदिक मन्त्रोंच्चार के बीच शिवनाथ नदी की जलधारा में प्रवेश कर उपस्थित परिजनों ने दूध, दही, घी,शहद, कुशा, गोमूत्र औषधि ,गोमल, गोमूत्र,भस्म, गंगाजल आदि दस प्रकार के स्नान किया, और अपने तन- मन की शुद्धि करते हुए नए यज्ञोपवीत धारण किया गया । इस दौरान नदी तट में इस अनुष्ठानिक आयोजन की विहंगम छटा बिखरी रही। लोग इस अनुष्ठानिक आयोजन को आश्चर्य मिश्रित ढंग से देखते रहे।

श्रावणी पर्व पर सृष्टि सृजन

  बता दें कि शिवनाथ में श्रावणी दस स्नान के पश्चात नदी तट पर आयोजित तीन कुंडीय गायत्री यज्ञ में वैदिक मन्त्रों के साथ आहुतियां प्रदान की गई और सर्वे भवन्तु सुखिन: की कामना करते हुए परिजनों ने धरती को हरा- भरा रखने के लिए एक-एक पेड़ लगाने का संकल्प लिया गया । 

इस अनुष्ठानिक आयोजन को वैदिक विधि-विधान से संचालित कर रहे गायत्री शक्तिपीठ के पुरोहित सुखनंदन जी ने बताया कि हरियाली पर्व पर ही इस सृष्टि का सृजन‌‌ हुआ। क्षीर सागर में शेष सैंया में लेटे पार ब्रहम परमेश्वर श्री हरि को एक अकेले रहना नहीं भाया और उन्होंने एकोहम, बहुश्याम की भावना की, फिर गायत्री शक्ति की स्फुरणा होते ही एक-एक कर स्थावर- जंगम के पादप व अन्य जीव- जंतु पैदा होते चले गए। पुरोहित जी ने बताया कि श्रावणी पूर्णिमा के दिन ही मां गायत्री शक्ति से वेदों का प्रादुर्भाव हुआ था। यही वजह है कि ‌आदि शक्ति मां गायत्री वेदमाता ‌कही जाती है। शिवनाथ नदी में श्रावणी स्नान सहित नदी तट पर आयोजित यज्ञीय आयोजन व वेद पूजन आयोजन में अहमदाबाद (गुजरात) से पधारे हंसमुख भाई ठक्कर, वरिष्ठ गायत्री परिजन सालिकराम साहू, मुरलीधर चौधरी, धनसाय साहू, डॉ,दुलेश्वर ,हरिश गांधी, गौतम देवांगन, व्यास नारायण कौशिक,भारत देवांगन,रमेश च्यवन,केशव देवांगन, देवशरण, नृपाराम, आदि सहित बड़ी संख्या में सनातन धर्मावलंबी उपस्थित थे। 

रक्षा सूत्र बंधन

गायत्री शक्तिपीठ के व्यवस्थापक भाई ओमप्रकाश जी ने बताया कि श्रावणी मास के अंतिम सोमवार को भगवान शिव पूजन सहित सम्पन्न हुए उक्त अनुष्ठानिक आयोजन में अंत: व बाह्य अंत: करण‌ से पवित्र व परिशुद्ध हुए परिजनों ने घर आकर अपनी प्यारी- प्यारी बहनों से राखी बंधवाई और उन्हे शुभाशीष सहित शगुन उपहार प्रदान किया । इस दौरान वैदिक मन्त्रोंच्चार के बीच शहर की जीवन दायिनी शिवनाथ नदी में दस प्रकार से स्नान कर परिशुद्ध हुए अपने भाईयों की कलाई में राखी बांध कर बहनों ने भीअपने- आप में अनुष्ठानिक दिव्यता का अनुभव किया। गायत्री शक्तिपीठ के व्यवस्थापक ने बताया कि आगामी वर्षों में शिवनाथ नदी में श्रावणी स्नान पश्चात शहर‌ के किसी गायत्री परिजन के यहां उक्त महायज्ञीय अनुष्ठानिक आयोजन की व्यवस्था की जाएगी।









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