राजनांदगाव : नगर निगम के पूर्व अध्यक्ष शिव वर्मा ने कमरछठ पर्व पर माताएं बहनों को बधाई देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में कमरछठ पर्व का बड़ा ही महत्व है। माताएं इस दिन संतान के स्वास्थ खुशहाली एवं दीर्घायु की कामना करने के लिए व्रत रखते हैं। पर्व के अवसर पर मंदिर व घर-आंगन में मिट्टी खोदकर सगरी बनाया जाएगा। इसमें पानी डालकर फुल-पत्तियों से सजाए जाएंगे।
जिसके बाद भगवान शिव परिवार की स्थापना विधि-विधान से कर पूजा-अर्चना की जाती है। कमरछठ व्रत में तालाब में पैदा हुए खाद्य पदार्थ अथवा बगैर जोते हुए खाद्य पदार्थ खाए जाते हैं। इसलिए इस दिन बिना हल चली वस्तुओं का ही महत्व होता है, महिलाएं पूजा के बाद पसहर चावल जिसे लाल भात कहते हैं और 6 प्रकार की भाजी का सेवन करती हैं। इस दिन सिर्फ भैंस के दूध और दही का ही सेवन किया जाता है। संतान की लंबी उम्र के लिए छत्तीसगढ़ में आदिकाल से ये त्योहार मनाया जा रहा है।
श्री वर्मा ने आगे कहा कि कमरछठ में 6 अंक का काफी महत्व है, सगरी में 6-6 बार पानी डाला जाता है। साथ ही 6 खिलौने, 6 लाई के दोने और 6 चुकिया यानि मिट्टी के छोटे घड़े भी चढ़ाए जाते हैं। 6 प्रकार के छोटे कपड़े सगरी के जल में डुबोए जाते हैं और संतान की कमर पर उन्हीं कपड़ों से 6 बार थपकी दी जाती है, जिसे पोती मारना कहते हैं। छत्तीसगढ़ में हर साल भादों के माह में कमरछठ (हलषष्ठी) का पर्व मनाया जाता है। इस साल कमरछठ का त्योहार 24 अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा। कमरछठ पर्व को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी है और शहर के चौक-चौराहों में इन दिनों पसहर चावल की बिक्री हो रही है और पसहर चावल का कमरछठ पर्व में बड़ा ही महत्व होता है। इस साल हलषष्ठी व्रत 24 अगस्त को दोपहर 12:30 बजे से शुरू होगा और 25 अगस्त को सुबह 10:11 बजे तक रहेगा। आइए जानते है कमरछठ का क्या महत्व है।
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