राजनांदगांव : नगर निगम के पूर्व अध्यक्ष शिव वर्मा ने महापौर के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जिनका कार्यकाल समापन बेला पर है। उसे आज अचानक कर्मचारीयों की चिंता कैसे हो रहा है। जिनका वेतन देने के लिए सरकार से 7 करोड़ रूपया मांग रहे हैं। जबकि महापौर रहते कभी भी कर्मचारी के हित की बात नहीं कहा और ना ही कर्मचारियों को हर महीने वेतन कैसे मिले इसके लिए कभी भी चिंता ही नहीं किया। सिर्फ अपने कार्यकाल को हवा हवाई में गुजार दिए। निगम द्वारा निगम हित के लिए तथा कर्मचारियों को हर माह एक निश्चित तिथि पर वेतन मिले जिसके लिए दुकान का निर्माण किया गया है। परंतु दुर्भाग्य के साथ कहना पढ़े की अभी तक उस दुकान का अनुबंध नहीं हुआ। हितग्राही को दुकान देने के बाद निगम भूल गए और हमारी दुकान से ही हितग्राही दूसरे को किराए में देकर लाभ उठा रहे हो आखिर इस पर निगम प्रशासन एवं महापौर कार्रवाई करने से क्यों बच रहे हैं। जबकि दुकानों से 3 से 5 करोड़ रूपया आना है ।
जिससे हम कर्मचारियों को हर महा एक निश्चित तिथि पर वेतन कर सकते हैं।वर्मा ने आगे कहा कि महापौर के कार्यकाल में निगम का आय बढ़ाने के लिए कोई भी नया दुकान का निर्माण नहीं हुआ हर बार महापौर बजट के पहले सुझाव मांगते थे परंतु अमल नहीं करते थे सिर्फ खाना पूर्ति करना ही उसका उद्देश्य था जबकि बजट में निगम का आय बढ़ने के लिए बहुत से सुझाव दिया जाता था जैसे पूर्व में बने निगम काम्प्लेक्स के ऊपर दुकान बनाकर आय बढ़ाया जा सकता है। शहर के सभी क्षेत्रों में छोटे-छोटे गुमटी बनाकर भी निगम की आय बढ़ाई जा सकता है। महापौर इन पांच वर्षों में अपनी सरकार से धनराशि क्यों नहीं मांगा और 5 वर्षों में कर्मचारियों की हित के लिए ध्यान क्यों नहीं आया जिस प्रकार राजस्व वसूली नहीं हो पा रही है कह कर कर्मचारियों का अपमान किया है जबकि राजस्व विभाग में कर्मचारियों की कमी है अन्य विभाग से काम करने वाले कर्मचारी लाकर वसूली करना चाहिए इस पर निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। भाजपा की सरकार आने के बाद विकास कार्य के लिए बड़ा धनराशि लगातार उपलब्ध करा रहे हैं जिससे अब विकास दिखेगा। उन्होंने कहा कि महापौर का इच्छा शक्ति ही नहीं है। होता तो निगम का दुकान तथा राजस्व वसूली पर गंभीर होकर कार्य करता।
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