राजनांदगांव : नगर निगम के पूर्व अध्यक्ष शिव वर्मा कहा कि निगम के अधिकारी कर्मचारियों का दिवाली सरकार के भरोसे है। निगम प्रशासन एवं महापौर के लापरवाही के कारण स्थापना व्यय 65 से बढ़कर 100 से अधिक बढ़ गया है। आखिर इसकी जिम्मेदारी कौन है। वर्मा ने आगे कहा कि दिवाली सामने है अधिगम कर्मचारियों को तीन माह से वेतन नहीं मिला है। एडवांस तो भगवान भरोसे है। नगर निगम एक स्वयंसेवी संस्था है जिनको अपनी खुद की आय का स्रोत स्वयं बनाता है लेकिन पिछले एक दशक से निगम की हालत ठीक नहीं है। इसके बावजूद नगर निगम का औसतन 65 फ़ीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए लेकिन यह सुनकर आश्चर्य होगा कि यहां का स्थापना व्यय तेजी से बढ़ता जा रहा है और अब तो 100 पार हो चुका है। वहीं राजस्व विभाग का वसूली भी टारगेट से बिल्कुल कम है 50 फिसली वसूली नहीं हो पा रहा है। विगत 10 वर्षों से राजस्व वसूली एकल खिड़की पद्धति से होना चाहिए था परंतु जानबूझकर इस पर अभी तक कोई पहल नहीं किया गया है। टैक्स पटाने के लिए लोगों को निगम का चक्कर काटना पड़ता है।
इस पंचवर्षीय कार्यकाल में निगम का आय बढ़ाने किसी ने कोई ठोस पहल नहीं किया जिसका परिणाम है कि आज कर्मचारियों को 3 महीने हो जाने के बाद एक माह का वेतन दे पा रहे हैं। हर बार निगम के अधिकारी महापौर शासन की ओर निगाहें लगाए रहते हैं। कभी भी अपनी तरफ से शासन प्रशासन से चर्चा कर निगम की आय बढ़ाने के लिए पहल करना चाहिए था और 5 साल ऐसे गुजार दिए। गुड़ाखू लाइन आयुर्वेदिक ओषालय को तोड़कर नए व्यावसायिक परिसर बनाने के लिए टेंडर आने के बाद भी इस पर भी महापौर पहल नहीं किया। बल्कि पूर्व में बने मुख्यमंत्री स्वालंबन की दुकान जरूरतमंद को नहीं मिल पाया वह भी राजनीतिक शिकार हो गया। करोड़ रुपए का बना चबूतरा जिसके अंतर्गत रेवाड़ीह, मोहर नदी के किनारे, कमला कॉलेज के सामने, नवागांव, पेंडी, चबूतरा में बैठने वाले कोई नहीं है।
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