परमेश्वर राजपूत, गरियाबंद/ छुरा: दीपावली एवं गोवर्धन पूजा का पर्व वनांचल क्षेत्र में भी बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। ग्रामीण अंचल में लोग इसे अपनी परंपरा एवं रिति-रिवाज से आज भी मनाते हैं। दीपावली के अवसर पर लोग अपने घरों में लक्ष्मी पुजन करने के पश्चात गांव के गौरा गुड़ी के पास सभी इकट्ठा होकर मिट्टी से बने गौरा गौरी का विधि-विधान से पुजा अर्चना कर गौरा गीत गाते हैं और गांव के बइगा के साथ रात भर दीपक जलाकर जागरण करते हैं। साथ ही इस स्थान पर रात्रिकालीन जागरण हेतु सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है। और सुबह गौरा गौरी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।
तत्पश्चात दुसरे दिन सुबह से गोवर्धन पुजा की तैयारी करते हुए सबसे पहले वे गौमाता के लिए खिचड़ी और हरा सब्जी एवं बड़ा,पुड़ी बनाकर तैयार करते हैं तब तक गांव के चरवाहे गाय बैल को जंगलों से चराकर दोपहर तक वापस लौटते हैं। तत्पश्चात सभी लोग गौमाता का पुजन कर उसे खिचड़ी का भोजन कराते हैं जिसके बाद वे स्वयं भोजन ग्रहण करते हैं। फिर गांव के यादव टोली को बाजे गाजे के साथ घर से निकालते हैं और गोवर्धन पुजा हेतु गांव के गोठान में सभी ग्राम वासी इकट्ठा होकर गोवर्धन पुजा करते हैं। इसी बीच गौमाता को यादवों के द्वारा सुहाई के नाम से जाने वाले माला को पहनाते हैं और पशु पालक और कृषक यादवों को पैसा,धान और कपड़े के साथ नारियल देकर सम्मान पूर्वक विदा करते हैं। वास्तव में ये दृश्य बड़ी ही आनंदमय होता है जिसे आज भी वनांचल क्षेत्रों में देखकर दीपावली और गोवर्धन पुजा देखते ही बनता है।



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