मुखिया के मुखारी – बटेंगे तो कटेंगे एक रहेंगे तो नेक रहेंगे

मुखिया के मुखारी – बटेंगे तो कटेंगे एक रहेंगे तो नेक रहेंगे

पंचतंत्र की सीख है एक लकड़ी टूट सकती है पर लकड़ियों के गट्ठर का टूटना असंभव है एकता में बड़ी ताकत है एक रहेंगे तो नेक रहेंगे अब पंचतंत्र के इस उपदेश से भी राजनीतिज्ञों को परहेज हो गया है । धर्म संस्कृति के क्षरण ने भारत के भू-भाग को भी क्षरित किया भारतवर्ष का विशाल भू -भाग सिमट गया आधुनिक इतिहास में 1947 में देश का धर्म के आधार पर बंटवारा हुआ,फिर ये भू-भाग कट गया मतलब हम जब- जब बटे तब -तब कटे स्वतंत्रता के शुरुआती दिनों में लाशों से भरी ट्रेनों की आवाजाही सबने देखी इतिहास गवाह है कि हमारा स्वतंत्रता आंदोलन मानव रक्त से सना हुआ है ।  जिस गंगा, जमुनी, तहजीब की हम दुहाई देते हैं उसकी करसमाई कुबत इतनी नहीं थी कि तत्कालीन राजनीतिक नेतृत्व इस देश को बटने से और भारतीयों के कटने से रोक पाए सांप्रदायिक दंगों का इस देश का इतिहास इस गंगा ,जमुनी, तहजीब के अस्तित्व को ही नकरता है पर हमें इतिहास से सीख लेनी ही नहीं । 1857 का स्वतंत्रता आंदोलन सबने मिलकर लड़ा तब किसी ने दो देश की मांग नहीं की थी ये भू -भाग भी वही था ,भारतीय भी वही थे नहीं थी तो सिर्फ राजनीतिक पार्टियां फिर इस देश में अंग्रेजों द्वारा स्थापित पार्टी का उदय हुआ। जिसका नाम कांग्रेस था फिर कांग्रेसी बटे उनमें से कुछ पूर्व कांग्रेसी मुस्लिम लीग के पुरोधा बन गए और देश कट गया । बटने- कटने का मर्म और पीड़ा आज भी भारतीयों को है नहीं है तो सिर्फ सत्तालोलुप राजनीतिज्ञों को जो देश धर्म के आधार पर बटने के बाद भी पंथ निरपेक्ष की चादर ओढ़ा धर्मों के बीच समभाव से दूर कर दिया। एक धर्म को विशेष सुविधा और दूसरे धर्म को फिराकत की वास्तविक अल्पसंख्यक पारसी बिना किसी सरकारी सहायता के देश सेवा में लगे रहे बहुसंख्यक आबादी अपने धार्मिक सांस्कृतिक विरासतों के लिए तरसती रही ।देश की जनसंख्या में द्वितीय बहुसंख्यक आबादी तथाकथित रूप में अल्पसंख्यक कहलाने लगे पर्सनल लॉ को वक्फ बोर्ड हज सब्सिडी सरकारी रोजा इफ्तार की सुविधाओं से पोषित की जाने लगी।

जिस मानसिकता ने बटवारा करवाया वों फिर सर उठाने लगे सबका साथ सबका विकास सबका प्रयास के सूत्र वाक्य के साथ नए राजनीतिक चेतना उदित हुई सत्ता परिवर्तित हुई पर सत्ता की चाहत नें फिर गैर जरूरी सुविधाओं की मांग कर राजनीति को दूषित और कलंकित करने का खेल जारी रखा।कश्मीर घाटी से एक भी संसद या विधायक हिंदू नहीं है पर पूरे देश में मुसलमानों के लिए विधायक और संसद का टिकट चाहिए जिन क्षेत्रों में मुस्लिम बहुसंख्यक है वहां से कोई हिंदू,सिख,इसाई पार्षद भी नहीं निर्वाचित हो पाता अल्पसंख्यक पारसियों को कोई टिकट ही नहीं देता शायद यही अल्पसंख्यक का कल्याण और धर्मनिरपेक्षता है ।हरियाणा विधानसभा चुनाव में सांप्रदायिक हिंसा के दो आरोपियों ने चुनाव लड़ा एक मामन खान जो कांग्रेस की टिकट पर इस उद्घोषणा के साथ चुनाव लड़े की यदि वों जीत जाएंगे तो नूंह को हिंदुओं से खाली करवा देंगे नूंह मुस्लिम बाहुल विधानसभा क्षेत्र है जहां से ये हरियाणा में सर्वाधिक मतों से चुनाव जीते । दूसरे आरोपी बिट्टू बजरंगी हिंदू बाहुल क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ मात्र 286 वोट पाकर अपनी जमानत नहीं बचा सका सांप्रदायिक हिंसा के आरोपी को अखिल भारतीय पार्टी टिकट देती है, दूसरा निर्दलीय लड़ता है यह उदाहरण है पार्टी के सांप्रदायिक दृष्टिकोण का और उसकी जीत मानसिकता में अंतर का क्या यही गंगा, जमुनी ,तहजीब है? जिसके भाई चारा में एक भाई और दूसरा चारा बना रहे एक अपनी हर बातों को संविधान से ऊपर रखे और दूसरा संविधान सम्मत बात भी ना कर सके एक किसी बात का कागज नहीं दिखाएंगे और दूसरे से उनके आराध्य के जन्म स्थल के कागज मांगे जाएं।

ऐसी दोहरी मानसिकता और मापदंड से प्रदूषण लोगों के समूह को रोकने के लिए एकता की बात क्यों नहीं कही जाएगी ?बटेंगे तो कटेंगे ही भारत और पाकिस्तान जब तक विश्व के मानचित्र पर रहेंगे तब तक लोगों को बटने और कटने का एहसास रहेगा ही जिनकी बटने और कटने की मानसिकता रहेगी वों पाकिस्तान के बाद बांग्लादेश भी बना डालेंगे हमने इतिहास से सीख ली है और जिन्होंने कहा है उन्होंने भी इसलिए देश की एकता और अखंडता के लिए पूरे देश को एक स्वर में कहना चाहिए बटेंगे तो कटेंगे एक रहेंगे तो नेक रहेंगे।

चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल






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