मुखिया के मुखारी – अब वक्त है कृष्णनीति का 

मुखिया के मुखारी – अब वक्त है कृष्णनीति का 

आसन्न, संपन्न महाराष्ट्र झारखंड विधानसभा चुनाव, एवं देश के विभिन्न प्रदेशों में हुए उपचुनाव के परिणामों की समीक्षा करने वाले तथाकथित बुद्धजीवियों (मीडिया ) को ये समझ नहीं आ रहा है कि ऐसे परिणाम कैसे आ गए । हिंदू जागरण और एकता उन्हें खटकती थी,सो मुंह से ये नहीं बोल रहे की ये हिंदू एकता का परिणाम है । लोकसभा चुनावों में 240 सीटों ने भाजपा की नींद तोड़ी सबका साथ,सबका विकास से वों, बटेंगे तों कटेंगे, एक है तो सेफ है के नारे तक आए । मुल्ला,मौलवियों के तेजाबी बयानों और फतवों के बीच ,हिंदू हितों की बात भी खुलकर हुई । बैसाखी पर 6 महीने पहले आई भाजपा अब फिर चलने लायक हो गई ,यदि वों दौड़ना चाहती है तो इसी दृष्टिकोण से चलना होगा।  सत्तावरण करते ही 20% के तरफ भागने की जो आदत इंडिया गठबंधन की थी और है, वही आंशिक रूप से भाजपा को भी प्रभावित कर रही थी।पसमांदा और लाभार्थी मुस्लिमों को भी भाजपा पसंद नहीं आई,किसी भी मुस्लिम बहुल क्षेत्र का परिणाम और मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण चिख -चिखकर गवाही दे रहा है ,हमारी जिंदगी में दो तरह के लोग होते हैं, एक वों जिनके लिए हम आसमान भी जमीन पर ले आए तों वों, खुश नहीं होते दूसरे वों, जिनसे हम प्यार से बोल भर ले तो वों, अपना सारा संसार हम पर लुटा देने को तैयार हो जाते हैं । पर अफसोस की बात है कि हम ,हमेशा उन्हीं को चुनते हैं जिनके लिए हम हमेशा कम पड़ते हैं । इन्हीं मनोभावों के साथ भाजपा मुस्लिम मतों के लिए पूरा प्रयास कर रही थी ,परिणाम 2024 के लोकसभा चुनाव इसने भाजपा को प्रेम के शब्द बोलने के लिए मजबूर किया और उसने खुलकर हिंदू हितों की, सनातन की बात की, बुद्धजीवियों ने ये नेंरेटिव फैलाने की कोशिश की, भाजपा को मुस्लिमों ने मत दिया इसकी वजह से ये जीत मिली, ऐसी कोई भी मुस्लिम बाहुल्य सीट नहीं है जहां से भाजपा जीती।

झारखंड में 90% और महाराष्ट्र में 78% मुस्लिम मतदाताओं ने भाजपा के विरुद्ध मतदान किया , कुंदरकी ( उ. प्र.)अपवाद हैं जिससे सीख लेने की जरूरत है । 65% मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र का अपना सामाजिक समीकरण जिसमें शेख, तुर्क, पठान -------------------------------------है
इनमें से शेखों का कहना है कि वों राजपूत से मुस्लिम बने हैं, सो उन्होंने भाजपा प्रत्याशी रामवीर ठाकुर को मत दिया हिंदू मूल की तरफ उनका लौटना बताता है कि वों, पूजा पद्धति भले बदल दिए हो, उन्हें अपने पूर्वजों की पहचान है।  52 फिरको में बटा मुस्लिम समाज भारतीय जाति प्रथा को भी मानता है, सबके मस्जिद अलग-अलग हैं। एक दूसरे के खिलाफ फतवें भी दे रखे हैं, सरियत और तरीकत में विश्वास है। शिया, सुन्नी दो धाराएं हैं फिर अहमदी,बरेलवी, देवबंदी---------- इसके बाद भी वों सिर्फ मुस्लिम है।

हिंदू समाज को जातियों में बांटा गया,बांट को स्थाई रखने के लिए हर सरकारी कागज में जाति का कालम रखा गया । गांवों -गांवों में जातियों के सामुदायिक भवन बनाने के लिए सरकारी अनुदान और जमीन दी गई, यदि कुंदरकी की जीत दिल की होती है तो न्यायालय के आदेश पर हो रहे मस्जिद के सर्वेक्षण पर संभल में बवाल नहीं होता। कुंदरकी संभल लोकसभा में ही आता है, इस हिंदू जागरण को निष्प्रभावी बताने के लिए झारखंड के चुनाव परिणामों की आड़ ली जा रही है ।  90% मुसलमानों ने इंडिया गठबंधन को वोट दिया, भाजपा की हार का कारण जयराम महतो की नई पार्टी द्वारा 17% मत पाना है। हिंदू बटे तो सत्ता से कटे, जातियों के मोती में बटे । हिंदू समाज को मोतीचूर का लड्डू ,बटेंगे तो कटेंगे के नारे ने बनाया, मोतीचूर का लड्डू बजरंगबली को पसंद है, सो महाबली की शक्ति इस एकता ने पाई ।

भाजपा ने जीत का लड्डू खाया उद्धरण कईयों है, इतिहास से हमने ये सीखा है कि,इतिहास से हमने कुछ नहीं सीखा है का रवैया बदलना होगा।
इतिहास से सीखना ही होगा, कुछ लोगों की फितरत होती है कि वों तिरस्कृत होकर ही पुरस्कृत होते हैं। देश की दूसरी बहूसंख्यक आबादी को अल्पसंख्यक बताकर उन्ही का सबसे ज्यादा नुकसान किया गया। धार्मिक कट्टरता को बढ़ाकर उन्हें समावेशी नहीं रहने दिया गया, राजनीतिक कारणों की पसंद ना पसंद तो समझ में आती है पर ये सिर्फ धार्मिक क्यों? यदि संविधान सर्वोपरि है तो ,किसी भी धर्म विशेष को,विशेष रियायतें क्यों? भाजपा के सिर्फ बोलने के दिन नहीं रहे अब रात दिन काम करके दिखाना होगा। हिंदू जागरण का अलख पूरे राष्ट्र में जागना होगा, चाहे मसला कश्मीरी पंडितों का हो,भाषाई समस्या हो,जातिगत आरक्षण का मुद्दा हो, चाहे सांस्कृतिक विरासत व धार्मिक धरोहरों को बचाने का हो सब करने होंगे। यदि ये कार्य हो गए तो इससे राष्ट्र की अस्मिता बचेगी, आत्मगौरव बढ़ेगा, जीत का मार्ग प्रशस्त होगा, राजनीति बिना कूटनीति के हो नहीं सकती।  विश्व इतिहास के सबसे बड़े कूटनीतिज्ञ भगवान श्री कृष्णा थे, हम तो यही कहेंगे कि ------------ -----------------अब वक्त है कृष्णनीति का

चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल






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