मुखिया के मुखारी – बाज बनके आतंकियों का शिकार करना होगा

मुखिया के मुखारी – बाज बनके आतंकियों का शिकार करना होगा

हार बर्दाश्त नहीं हो रही है,सो आग लगाने की पूरी कोशिश जारी है।  हिंदू जागरण, एकता खटक रही सो, बाबा बागेश्वर के हिंदू एकता यात्रा को प्रतिबंधित करने की मांग मौलाना ने  की ।  कश्मीर से पंडित भगाएं गए,मंदिर जलाए गए, केरल में बहुसंख्यक होते ही मंदिर में पूजा बंद कराने की कोशिश। झारखंड में जुम्मे की छुट्टी जगह-जगह मुस्लिम आरक्षण की मांग, शोभा यात्राओं में पथराव ,ये धार्मिक कट्टरता नहीं है तो और क्या ,क्यों ऐसे शहर या क्षेत्र सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील हो जाते हैं । जहां मुस्लिम आबादी का प्रतिशत 20 से ज्यादा होता है और, जो मुस्लिम बहुल क्षेत्र बन जाते हैं वहां शोभा यात्राओं पर रोक की मांग की जाती है,पत्थर बरसाए जाते हैं । कश्मीर, उत्तर प्रदेश,दिल्ली,राजस्थान आप प्रदेश पर प्रदेश शहर पर शहर गिनते रहिए,
तासीर एक जैसी । संविधान रक्षा की बातें करने वाले कह रहे हैं कि कोर्ट ने मस्जिद के सर्वे का आदेश कैसे पारित कर दिया, सर्वें दोबारा कैसे हुआ,यदि न्यायाधीश ऐसे ही फैसला देंगे तो देश में आग लग जाएगी ,क्या ये संविधान रक्षक- भक्षक नहीं बन गए ।न्यायालीन आदेशों का परिपालन शासन,प्रशासन की बाध्यता है। आप यदि संविधान की दुहाई देते हैं तो न्यायालय के फैसलों पर ये चढ़ाई क्यों ? क्यों ये रंगबाजी? सर्वे का मुहूर्त क्या अखिलेश, ओवैसी, राहुल निकालेंगे? या शासन का आदेश मानेंगे।

संभल की सर्वे के नाम पर हुई हिंसा बताती है की कट्टरता को परश्रय और आश्रय दोनों विरोधी दलों के द्वारा दी जा रही है। जुम्मे की नमाज के बाद संभल सांसद ने उत्तेजक बयान दिए ,भीड़ को धार्मिक आधार पर उकसाया, उन्मादी बनाया, जिसकी परिणीति है संभल हिंसा। बरसों से मस्जिद है, कयामत तक मस्जिद रहेगी,कहने वालों से सवाल है की मस्जिद तो तभी बनी होगी जब भारत में इस्लाम आया। विदेशी आक्रांताओं ने सैकड़ो मंदिर तोड़े, यही ऐतिहासिक सत्य है । यही विवाद आपका यरुशलम में भी है,बामियान की बुद्ध की मूर्ति तो आपने अभी-अभी तोड़ी है ।जिहाद के नाम पर बम धमाके, धार्मिक नारों के साथ गोलीबारी, आपकी सहिष्णुता की कमी का प्रतीक है। इसी वजह से पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, सूडान, सीरिया, ईरान,इराक, घाना जैसे कई मुस्लिम देशों में भी ,आपस में ही धार्मिक उन्मादी,भीड़ हिंसा को ही अपना जीवन आधार मानती है। कुंदरकी की हार पच नहीं रही, हाथों में हिंसक हथियार, पत्थर, देसी कट्टे से उन्मादी भीड़ ने पुलिस पर आक्रमण कर दिया,कई पुलिसकर्मी घायल हुए ,क्या पुलिस और सुरक्षाकर्मी सबकी भौजाई हो गए जो कोई भी,कभी भी उन पर आक्रमण करेंगा और वों हाथ पे हाथ धरे बैठे रहे। पुलिस की गलतियां गिनाई जा रही है,दंगाइयों कों मलहम लगाया जा रहा है क्यों?

यदि पुलिस इतनी गलत है तो उन्हें अपनी निजी सुरक्षा से भी हटवा लीजिए, इन्हीं दंगाइयों से कहे कि आपकी सुरक्षा करें ,क्यों रामगोपाल,अखिलेश और उनके जैसे नेताओं ने पुलिस की सुरक्षा ली है । क्या नेताओं के सुरक्षाकर्मी भी हाथ पैर हाथ धरे रहे तो उनकी सुरक्षा हो जाएगी? अपनी सुरक्षा में तो चौकस पुलिस चाहिए और संविधान की रक्षा के लिए बेबस क्यों? क्या यही है संविधान बचाने की कवायद? बिना कानून व्यवस्था के संविधान कैसे बचेगा? संभल की हिंसा बता रही है कि ना आपसे अपनी राजनीतिक विचारधारा, ना सत्ता की लालसा सम्हल रही है,सत्ता पाने के लिए कुछ भी करेंगे । बार-बार दोहराया जा रहा है की राम मंदिर के फैसले के बाद हर मस्जिद में मंदिर ढूंढा जा रहा है। यदि आपने मंदिर तोड़ा ही नहीं तो किस बात का डर, क्या छुपाना चाह रहे हैं, हो जाने दीजिए सर्वे,दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। सच सामने आने दीजिए सारे बवाली शांत हो जाएंगे हर विवादित जगह की धार्मिक पहचान हो जाएगी। 1991 पूजा स्थल अधिनियम की दुहाई दी जा रही है, क्या ये इन मामलों पर लागू होता है?  वैसे इस देश में सर्वोच्च न्यायालय (शाहबानों प्रकरण) का फैसला भी संसद ने भी बदला क्यों? यदि ऐसा ही फैसला किसी मंदिर प्रकरण में हो जाए तो कैसा रहेगा।

बात-बात पर फतवे जारी होते हैं, क्या पहनना, सिर्फ हलाल का खाना,गाना नहीं गाना टीवी पर नहीं आना,कहा ये जाता है, इस्लाम शांति का मार्ग प्रशस्त करता है ,तो फिर वों सारे मुल्ले मौलवी मौन क्यों? क्यों इन आतंकियों के खिलाफ फतवें जारी नहीं होते? जो राजनेता खुल्लम-खुल्ला आतंकियों कों समर्थन दे रहे है वों कभी नहीं चाहेंगे कि पुलिस, प्रशासन अग्र सक्रिय त्वरित होकर काम करें, पर शासन कों ये करना ही होगा। इस देश ने कांग्रेस और कांग्रेसनीत राजनीतिक दलों का दलित प्रेम देखा है। भारत रत्न अंबेडकर जी चुनाव नहीं जीत पाए , मायावती जीत कर पीट दी गई, सीताराम केसरी की धोती खोल दी गई। पाकिस्तान के पहले दलित कानून मंत्री जोगिंदर मंडल को भागकर आना पड़ा ,ये शायद मुस्लिम,दलित गठजोड़ का हिस्सा था। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे पर अंबेडकर जी की कही बातें कोई नहीं बोलता,नाम तो सब लेते हैं पर उनकी लिखी पुस्तक का कोई नाम क्यों नहीं बताता, यदि समीकरण बदलने हैं तो सबसे पहले संविधान को रक्षित ही नहीं, समदर्शी भी करना होगा और ये योगी,मोदी सरकार की बाध्यता है । राम मंदिर विरोधि, कार सेवकों पर गोली चलाने वाले, और इन आतंकियों पर शासन कों सख्त कार्यवाही करनी होगी इसमें कोई कोताही नही, गाल बजाने से काम नहीं चलेगा-----------------------------बाज बनके आतंकियों का शिकार करना होगा।

चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल






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