मुखिया के मुखारी – तोला माटी कोड़े बर नई आवय धीरे-धीरे

मुखिया के मुखारी – तोला माटी कोड़े बर नई आवय धीरे-धीरे

 

 

तोला माटी कोड़े बर नई आवय धीरे-धीरे ------------------ छत्तीसगढ़िया संस्कृति विशेषकर शादियां भव्य से भव्यतम तो हो रही है पर उनमें छत्तीसगढ़ी संस्कृति निम्न से निम्नतर हो रही है, जमाना था जब माटी कोड़ने के नेग और गड़वा बाजा से छत्तीसगढ़िया शादी शुरू होती थी । दौर ए नए में गड़वा बाजा की जगह डीजे ने ले ली और चुलमाटी की जगह इवेंट ने ,शादी अब शादी ना रही इवेंट हो गया। इवेंट मतलब वेंनट टू कल्चर सो संस्कृति तिरोहित होने लगी , संस्कारों की जगह इवेंट ने ले ली,लगुन की इंगेजमेंट हो गया,तेलमाटी, चुलमाटी माटी में मिल गए । संस्कारिक समारोह शादी अब घरों और होटलों में इवेंट हो गए ।  संस्कृति का क्षरण दर क्षरण होते रहा, सात जन्मों का बंधन सात सालों तक टिक जाए तो बहुत ,आधुनिकता ने विवाह संस्कार को समारोह के रूप में परिवर्तित तो कर दिया ,पर रुह सम नहीं हो पाए, क्योंकि ये समारोह थे संस्कार नहीं ।आधुनिक शिक्षा ने शिक्षित तो किया पर स्वार्थी भी खूब बनाया । संस्कृति का क्षरण आत्मा का विलोपन है, तीजा महोत्सव तो खूब मनाया गेड़ी पर भी खूब चढ़े पर ना विवाह संस्कार वापस ला पाए ,ना छत्तीसगढ़िया अस्मिता। चढ़ लिए गेड़ी गेड़राहों नें राजनीतिक भूख मिटाने रंग तो छत्तीसगढ़ियां का चढ़ाया पर उसमें छत्तीसगढ़ी और छत्तीसगढ़िया दोनों गायब ।

11 महीने हो गए सरकार बदले पर व्यवस्था आज तक नहीं बदली ,जेल गए कई अधिकारी,व्यापारी पर आका का खाखा नहीं बदल पाई विष्णु सरकार । सुशासन कैसा है ये जिसमें भ्रष्टाचार के पुरोधा शीर्षस्थ पुरुष को अभी तक अभयदान मिला हुआ है।  क्यों केंद्रीय एजेंसी, ना राज्य सरकार की जांच एजेंसियां नाम उगलवा पा रही है, ना एफआईआर से ऊपर कुछ कर पा रही है, जांच है या कोई दिखावा? क्या यही है आपका जीरो टॉलरेंस? व्यक्ति अपने कर्मों से अधोगति पाता है क्या ये कर्म सरकार की छवि को अधोगति नहीं देंगे। 15 साल के पुरानी रमन सरकार पर छत्तीसगढ़ियों का मन रमा नहीं क्यों?

अधिकारी क्षण प्रतिक्षण बलिष्ठ हो रहे थे जनप्रतिनिधि कनिष्ठ से कनिष्ठतम परिणाम लघुत्तम 2018 का चुनाव भाजपा हारी नहीं खदेड़ दी गई थी बक्श दिया छत्तीसगढ़ियों ने मुख्य विपक्षी दल बनने लायक संख्या पा ली ।  वक्त बदला विधानसभा में उम्मीदवारी से नकार दिए गए चल चुके कारतूस फिर काम आए, सांसद बन गए भूपेश सरकार ने नहीं पहचाना वक्त का इशारा तो 2024 के चुनाव में चारों खाने चित्त हो गए । ना आप पटक सकते हैं,ना आपकी पटकने की औकात है,लोकतंत्र में पटकती सिर्फ जनता है । पटकनी खाकर भी आप सत्तारूढ़ हो गए,पटकनी देने वाले सत्ताच्युत हो गए आप भी वही, वों भी वही, जनता भी वही, बदला सिर्फ जनता का मत, मत से मत खेलिए किसी दिन भी अस्मत तार - तार हो जाएगी ।

 

गलतियां दोहराइये मत वरना ,मत नहीं जाएंगे दोहराए भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार के आरोप आपने लगाए तो फिर इन्हें साबित करेगा कौन?अगला तो साहसी ही नहीं दुस्साहस कर रहा है, इवीएम से बड़ा बैलेट को बता रहा है आप लेटे हैं व्यवस्था चौपट है ,वों मदमस्त है आप ही उन्हें मौके पर मौके दे रहे हैं ,वों चौके पर चौके मार रहे हैं। जनआकांक्षाओं की बली देंगे तो जनधारणाएं बदलेगी, जनधारणाएं बदलेगी तो सत्ता बदलेगी, गिरगिट जिस कौम से हारे रंग बदलने में ,उनके रंगों पर चलेंगे तो आर- पार नहीं नदिया के पार होंगे । ऐसा सुशासन आपका जिसमें जिलाधीश इलू -इलू कर रहे, जामगांव में प्रेम की गांव बसा रहे । आपके विचार ऐसे की आचार के नाम पर उत्तर भारतीय दक्षिण, भारतीय बनकर नाम कमा रहे।  व्यवस्था सारी आपकी व्यवस्थापक सारे आपके फिर भी दोषियों को सजा नहीं मिल रही ,छुट्टे सांड बने घूम रहे आपको ही आंख दिखा रहे, इस धृष्टता का कारण क्या है? पालक से बड़ा संघारक और निर्माण करता है ,क्या नारायण को छोड़ महादेव लाना होगा ।

तब क्या छत्तीसगढ़ का कल्याण होगा मेरे वोंटर लोकसभा के बदल कैसे गए, विधानसभा में? वोंटर ना हुए बंधुआ मजदूर हो गए, हमें दिया तो बार-बार हमें ही देंगे वरना मतदान नहीं इवीएम में जुगाड़ हो गया । वों झूठ रोज-रोज बेचते हैं आपसे सच नहीं बेचा जा रहा है।  गजब है विष्णु का सुशासन जिसमें आरोप की भरमार है कार्यवाहियों की मारम- मार ।  ऐसे कैसे आप मैदान मार लेंगे? संक्रमण के इस क्रम को क्रमित कीजिए कर्म करिए आरोप नहीं न्याय कीजिए, छत्तीसगढ़िया शादी में छत्तीसगढ़ी संस्कृति बचे, नैतिकता बचे, ऐसा उपक्रम कीजिए।  पाटन की पुरानी गलतियों से नहीं सीखा पौधे को बरगद आपने ही बनाया फिर वही कर रहे।  भ्रष्टाचार पर कुछ तो कार्यवाही करिए,भ्रष्टाचार पर मिट्टी डालिए पर अभी तक तो समस्या यही दिख रही है कि, ना आप भ्रष्टाचार पर और नहीं भ्रष्टाचारियों पर मिट्टी डाल पा रहे हैं क्योंकि----------------------------तोला माटी कोड़े बर नई आवय धीरे-धीरे

चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल






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