क्या किसी राज्य की पुलिस सीबीआई, एनआईए और ईडी के अफसरों को अरेस्ट कर सकती है. या उनके काम को रोक सकती है या फिर उन्हें सहयोग से मना कर सकती है. ऐसे कई यक्ष प्रश्नों के जवाब बहुत से लोगों को मालूम नहीं होंगे. देश संविधान और कानून से चलता है. जब नियम-कायदों का पालन नहीं होता है तो मामले सुप्रीम कोर्ट जाते हैं. वहां से आया आदेश अमूमन पूरे देश में एक नजीर की तरह पेश किया जाता है. राज्य सरकारें सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्रीय जांच एजेंसियों को 'तोता' बताए जाने के बाद से गंभीर आरोप लगने के बावजूद केंद्रीय एजेंसियों के काम में बाधा डालती है. जब पानी सिर के ऊपर गुजर जाता है तो फिर सुप्रीम कोर्ट से फैसला आता है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
राज्य पुलिस द्वारा केंद्रीय जांच एजेंसियों के अधिकारियों की गिरफ्तारी के बढ़ते मामलों पर महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देते हुए सुप्रीम कोर्ट (SC) ने केंद्र के अधिकारियों को बदले की भावना से की जाने वाली कार्रवाई से बचाने के उद्देश्य से संतुलन बनाने पर जोर दिया है. इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने राज्य पुलिस को भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने से केंद्रीय जांच एजेंसियों के अफसरों को नहीं रोकने का भी सुझाव दिया है.
क्या था पूरा मामला?
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य पुलिस द्वारा केंद्रीय जांच एजेंसियों के अधिकारियों की गिरफ्तारी के बढ़ते मामलों पर एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, 'विवादास्पद सवाल ये था कि यदि संबंधित अधिकारी केंद्र सरकार से था, तो क्या उसे राज्य की पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाना चाहिए. अगर केंद्र सरकार ने उस अधिकारी के खिलाफ आगे बढ़ने की अनुमति दी थी, तो यह पूरी तरह से अलग सिनेरियो था. किसी आरोपी को जांच पर कोई अधिकार नहीं है, लेकिन उसे निष्पक्ष जांच का अधिकार है'.
भ्रष्टाचार के आरोप में तमिलनाडु पुलिस द्वारा ईडी अधिकारी की गिरफ्तारी से संबंधित एक मामले की सुनवाई का मामला सर्वोच्च अदालत की चौखट पर पहुंचा था.
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