दक्षिण कोरिया एक ऐसा देश जो तेज आर्थिक विकास और आधुनिकीकरण के लिए जाना जाता है, एक अभूतपूर्व संकट से जूझ रहा है। दक्षिण कोरिया की जन्मदर तेजी से घट रही है। यहां महिलाएं बच्चे पैदा नहीं करना चाहतीं और आर्थिक व सामाजिक दबाव घटती जन्मदर का कारण बन रहा है। यही ट्रेंड जारी रहा तो सदी के अंत तक दक्षिण कोरिया की आबादी अपने मौजूदा आकार के एक तिहाई तक सिमट सकती है।
कुछ अनुमानों के मुताबिक, घटते जन्म दर के कारण सदी के अंत तक दक्षिण कोरिया की आबादी 52 मिलियन से घटकर मात्र 17 मिलियन रह जाएगी। इससे भी खराब स्थिति यह हो सकती है कि देश अपनी 70 फीसदी आबादी को खो सकता है और यहां केवल 14 मिलियन लोग ही बच सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था अस्थिर हो जाएगी और अभूतपूर्व सामाजिक चुनौतियां पैदा हो सकती हैं।
कैसे घटी दक्षिण कोरिया की जन्म दर
दक्षिण कोरिया की प्रजनन दर में मौजूदा गिरावट की सबसे बड़ी वजह सरकार द्वारा लागू की गई परिवार नियोजन नीतियां हैं। 1960 के दशक में यहां की सरकार ने इस बात को लेकर चिंता जताई कि जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास से ज़्यादा हो रही है, इसलिए उसने जन्मदर को कम करने के उपाय किए। उस समय, दक्षिण कोरिया की प्रजनन दर प्रति महिला 6 बच्चे के स्तर पर थी। सरकार ने ऐसी नीतियां लागू कीं कि1982 तक प्रजनन दर गिरकर 2.4 हो गई और अर्थव्यवस्था में उछाल आया। 1983 तक प्रजनन दर और गिर गई, जो तब से घट ही रही है। ऐसे में उस समय सरकार द्वारा किए गए जनसंख्या नियंत्रण के उपाय अब दक्षिण कोरिया के अस्तित्व के लिए संकट बन गए हैं।
क्यों बच्चे नहीं पैदा करना चाहती हैं महिलाएं
जन्मदर बढ़ाने में जुटी सरकार
दक्षिण कोरिया की सरकार ने उच्च जन्मदर को प्रोत्साहित करने के लिए नीतियां लागू की हैं। इसमें बच्चों की देखभाल के लिए विदेशी घरेलू कामगारों की भर्ती करना, कर लाभ प्रदान करना और यहां तक कि 30 वर्ष की आयु तक तीन या अधिक बच्चे होने पर पुरुषों को अनिवार्य सैन्य सेवा से छूट देने का प्रस्ताव करना। हालांकि, अब तक, इन उपायों का बहुत कम प्रभाव पड़ा है।


