अंत भी अनंत भी मैं वेद और पुराण हूँ--------------नारी नहीं जहान हूँ,हिंद की मैं शान हूँ-----------आँगन की तुलसी भी मैं कुछ पल की वहां मेहमान हूँ, वार दूँ जहान सारा मैं ऐसी क़द्रदान हूँ, फिर भी मिले दुत्कार क्यों ये सोच के हैरान हूँ ।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ,यह सूत्र वाक्य भाजपा ,सरकार और प्रधानमंत्री का दिया हुआ है ,और इस पर अमल भी हो रहा है ,पर पता नहीं छत्तीसगढ़ सरकार की स्मृति से ये पिछले दो-तीन -दिनों से विस्मृति क्यों हो गया है ।छत्तीसगढ़ की बेटी पढ़ भी ली आगे बढ़ भी गई ,पर नहीं बचाया जा रहा उसका आत्मस्वाभिमान। सरकार के सबसे महत्वपूर्ण विभाग वित्त की झोली करो से भरती है ,प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष करों का संग्रहण मैदानी कर्मचारी और अधिकारी करते हैं, यदि इन्हीं मैदानी अधिकारी और कर्मचारियों को उनके दायित्वों के निर्वहन से रोका जाए ,और उन्हें धमकाया जाए तो, ये किसका सुशासन है?
और वो अधिकारी महिला हो तो ये संवेदनहीनता की चरम पराकाष्ठा है, सुशासन के दावों की पोल खोंलती, सरकारी कार्य प्रणाली है। सरकार बदल गई पर क्या बदला, छत्तीसगढ़ियों का भाग्य ?हमारा प्रदेश हमारी सरकार और हमारा ही मान नहीं, नारी शक्ति का अपमान, छत्तीसगढ़ की उन्नति उत्तरोत्तर प्रगति कर रही है, यदि इन परिस्थितियों में भी किसी कर्तव्यपरायण महिला अधिकारी को धमकाया जाता है, तो फिर सवाल तो सरकार के पुरोधाओं पर ही उठेंगे? राज्य जीएसटी के निरीक्षकों को धमकाने की घटनाएं विगत दिनों हुई, जिस बात पर धमकी दी गई वो भारहीन थी, सिर्फ ये कह देने से कि आपकी फर्म चालू है या बंद, व्यापारी ने शराफत के सारे द्वार बंद कर दिए ,उस महिला निरीक्षक की बोलती बंद करने का भरपूर दुस्साहस किया गया,व्यापारी इतना दुस्साहसी था कि सरकार के मुखिया और वित्त मंत्री के नाम की धमकी देने लगा।
आदेशात्मक इतना था कि जीएसटी कमिश्नर को कहो कि मुझसे बात करें ,तुम्हें एक लाख की घूस मांगने का आरोप लगाकर एसीबी वालों से पकड़वा दूंगा, महिला निरीक्षक ने शराफत का दामन नहीं छोड़ा पर वो, तथाकथित सरकार बनाने वाला व्यापारी सारे आचार -विचार छोड़कर उसे धमकाता रहा। हफ्तों से वों बेटी आत्मग्लानि से भरी हुई है, समझ ही नहीं पा रही है कि ,आखिर उससे ऐसी क्या गलती हो गई? जिसकी वजह से उसे ये धमकी दी जा रही है।कोई उसका साथ क्यों नहीं दे रहा, सिवाय विभागीय निरीक्षकों के । उसने घटना की जानकारी वरिष्ठों को दी पर उनका रवैया टाल- मटोल वाला ही रहा। कार्यवाही की सुगबुगाहट तब हुई जब इस घटना का ऑडियो क्लिप वायरल हो गया ,यदि ऐसा ना हुआ होता तो ये मामला भी दब गया होता।क्या व्यापारी यूं ही हवाई फायर कर रहा था या ,फिर उसे फायर करने की राजनीतिक ताकत मिली हुई थी ? प्रथम दृष्टया उसके दोनों फर्म आवासीय क्षेत्र में है ,वहां कैसे व्यवसायी गतिविधियां संचालित हो रही है ? ना ही वों प्रोपराईटर, निगम के अधिकारियों ने कैसे गुमास्ता दिया ,क्या ये कार्यवाही के लिए पर्याप्त आधार नहीं है? थानेदार साहब जो पूछ रहे हैं ,क्या वों ऐसा हर मामलों में करतें हैं ? क्या हर FIR कप्तान साहब की अनुमति के बाद ही लिखी जाती है? क्या यही प्रथम सूचना लिखने का आधार है?
क्या बिना फोरेंसिक जांच के ऐसे मामलों पर पुलिस ने एक भी प्राथमिक की दर्ज नहीं की है, या फिर इस मसले में खिलाड़ी अनाड़ी नहीं सबसे बड़ा खिलाड़ी है ,जिसके आगे सरकार और पुलिस प्रशासन के हाथ पांव फूल रहे हैं। जो इतने बड़े-बड़े नाम इतनी आसानी से ले रहा है ,उसकी बड़े लोगों से पहुंच बहुत आसान है ,जिसके आगे छत्तीसगढ़ की बेटी का नहीं कोई सम्मान है। सरकार के त्रिदेवों से सीधा मसला जुड़ा है ,एक है मुखिया ,दो है नेता युवा, जिनके विभाग का है ये मसला ,वों हैं सबसे आला, IAS से बने हैं राजनेता, राजधानी का नालंदा परिसर विस्तारित हो रहा प्रदेश भर ,जिन्होंने नें जवांग जैसे नक्सली क्षेत्र में शिक्षा का अलख जगाया, उनके विभाग की शिक्षित अबला को राजनीतिक बला रूपी व्यापारी हतोत्साहित करने में लगा है। शिक्षा की महत्ता में कानून की महत्ता भी शामिल होगी,दूसरे हैं युवा उपमुख्यमंत्री गृह है जिनका विभाग जिनके विभाग के अधिकारियों के लिए महिला स्वाभिमान का कोई मायने नहीं है, तीसरे हैं मुखिया जी जिन्होंने FIR करने के निर्देश दिए थे ,अब तक कोई FIR नहीं हुई, क्या यही है सुशासन? क्या यही है शिक्षा की महत्ता?क्या यही है झंडे {कानून} की महत्ता? सबने सत्ता पा ली,मातृ सत्ता कों कब मिलेगी महत्ता? क्या छत्तीसगढ़ की बेटी किसी नेता की बेटी होती तो भी क्या यही होता?जुगाड़ है सर्वत्र जुगाड़ है, सांय -सांय सबने धाय -धाय लिख दिया कि FIR हो गई ,अभी तक सब टांय -टांय,छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान बचेगा कैसे करके बेटियों का अपमान? हे दूसरी पंक्ति के नेता पहली पंक्ति में आओगे कैसे मुखिया छत्तीसगढ़ के बेटी को दुखिया करके सुखिया कैसे रह पाओगे भाजपा की सरकार में धर्मांतरण भी सरकारी हो रहे,जेल में बिना किसी सूचना के हिंदू कैदी ईसाई हो रहे, अब आप माने या ना माने पुराने रुसवाई के हर कारण आपके हो रहे, ना बेटी पढ़ाओ, ना बेटी बचाओ और यदि ये करना भी हो और ना भी करना हो तो-------- सबसे पहले बेटी का आत्मस्वाभिमान बचाओ ।
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल
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