राजनांदगांव : कांग्रेस नेता जितेंद्र मुदलियार ने भाजपा पर आरोप लगाते कहा है कि प्रदेश एवं जिले के वरिष्ठ नेताओं के संरक्षण में आबकारी । विभाग कोचियों के माध्यम से खुलेआम शराब बेचकर 5 सामाजिक वातावरण को खराब कर रहा है। यही वजह है कि राजनांदगांव जिले में तेजी के साथ अपराधों 1 का ग्राफ भी बढ़ा है।
जारी बयान में कांग्रेस नेता ने गंभीर आरोप लगाया न है। जिसमें उनके द्वारा कहा गया है कि आबकारी विभाग में, जो पूर्व में लोकेशन अधिकारी और • सेल्समैन ब्लैक लिस्टेड घोषित किए गए थे, अब 1 एक सिंडिकेट बनाकर उनको फिर से वापस लाते सभी दुकानों से कोचियों के माध्यम से प्रतिदिन हजारों पेटी शराब उठाई जा रही है। बदले में आबकारी विभाग के अधिकारी कोचिया से एक पेटी शराब के पीछे दो सौ की वसूली कर रहे हैं। करोड़ों रुपए व भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं। राजनांदगांव जिले में ही एक दिन में अवैध शराब बेचने के एवज में लाखों न रुपए की वसूली कर भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
मुदलियार ने कहा है कि इस अवैध शराब न बिक्री के पीछे प्रशासनिक तंत्र के अलावा सत्ताधारी क दल के कुछ बड़े नेताओं का खुला संरक्षण है। यही 1 वजह है कि कोचिया और सिंडिकेट के कथित सदस्यों के खिलाफकोई कार्रवाई नहीं हो रही है। कांग्रेस नेता 2 ने पुलिस प्रशासन पर भी आरोप लगाया है। पुलिस व पर भी आबकारी सिंडिकेट से मिलीभगत की बात कही गई है।
उन्होंने कहा कि ये बड़े दुर्भाग्य का विषय है कि राजनांदगांव विधानसभा का प्रतिनिधित्व विस स्पीकर डॉ. रमन सिंह कर रहे हैं और उनके निर्वाचन क्षेत्र में न इस तरह अवैध शराब का व्यापार जोरशोर से चल रहा है। जनता जानना चाहती है कि क्यों उन्होंने इस पर क चुप्पी साध रखी है। उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे न तत्काल इस विषय पर संज्ञान लेकर कार्रवाई सुनिश्चित न करवाएं। अगर ऐसा नहीं होता है तो उन्हें जनता को 1 जवाब देना होगा कि क्या अवैध शराब व्यापार को क उनका भी संरक्षण प्राप्त है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि आबकारी विभाग में 1 किए जा रहे शराब बिक्री के नाम पर करोड़ों रुपए के घोटाले की आर्थिक अपराध शाखा से शिकायत की जाएगी। साथ ही यह भी कहा है कि अगर अवैध शराब बिक्री नहीं रोकी गई तो आने वाले दिनों में 1 आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने प्रशासन को भी आड़े 1 हाथों लिया है और कहा कि सार्वजनिक स्थलों से 1 लेकर शालाओं के मैदान भी अब अवैध शराब के कारोबार से सुरक्षित नहीं है। इस पूरे मामले में प्रशासन न की भूमिका पूरी तरह संदिग्ध है।



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