फर्जी तरीके से जिले में हो रही हजारों क्विंटल धान की खरीदी,जिनके नाम जमीन ही नहीं उन्हें बनाया गया जमींदार

फर्जी तरीके से जिले में हो रही हजारों क्विंटल धान की खरीदी,जिनके नाम जमीन ही नहीं उन्हें बनाया गया जमींदार

मध्य प्रदेश : मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में धान की खरीदी प्रारंभ हो गई है जो बीस जनवरी तक जारी रहेगी। सरकार किसानों के लिए धान खरीदी के एमएसपी तय किया है जिसमें साधारण धान 2300 रूपये क्विंटल जबकि ए ग्रेड धान के लिए 2320 रूपये क्विंटल पर खरीदी की जा रही है। किसानों को धान बेचने के लिए पहले पंजीयन कराना पड़ता है जिसमें उन्हें अपने जमीन की जानकारी समिति प्रबंधक एवं ऑपरेटर को प्रदान करनी पड़ती है जमीन के रकवे के अनुसार उत्पादन तय करके उसी मात्रा में उससे धान की खरीदी की जाती है परन्तु सिंगरौली जिले में धान खरीदी का लाभ किसानों को न मिलकर बिचौलियों को मिल रहा है। बताया जाता है कि व्यापारी फर्जी तरीके से समिति प्रबंधक एवं ऑपरेटर से साठ-गांठ करके अपना पंजीयन करा लिए हैं और अब वह बाजार से धान कम दाम में खरीदकर एमएसपी पर बेच रहे हैं जिससे उन्हें बड़ा लाभ हो रहा है और किसान धान खरीदी केन्द्र तक पहुंच ही नहीं पा रहा है जिस कारण वह अपनी फसल औने पौने दामों में उन्हीं व्यापारियों को बेच रहा है। किसानों को लाभ पहुंचाने की यह योजना सिंगरौली जिले में सफल होती नहीं दिख रही है।

फर्जी तरीके से जिले में हो रही हजारों क्विंटल धान की खरीदी

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सिंगरौली जिले में समिति प्रबंधकों व ऑपरेटरों से साठ गांठ कर व्यापारी अपने खरीदे हुए धान की बिक्री कर रहे हैं। इसमें समिति प्रबंधक, ऑपरेटर तथा विभागीय अधिकारियों को भी मोटी रकम मिल रही है। बताया जाता है कि इसकी कई शिकायतें भी हुई हैं जांच भी हुई परन्तु गोरखधंधा अनवरत चल रहा है।

जिनके नाम जमीन ही नहीं उन्हें बनाया गया जमींदार

 

 

सूत्रों की मानें तो जिनके नाम पर जमीन ही नही है ऐसे लोगों के नाम पर पंजीयन हुआ है इसमें दूसरे लोगों की जमीन व नाम जोड़कर फर्जी पंजीयन बनाया गया है। ताज्जुब की बात तो यह है कि फर्जी पंजीयन में भूमि स्वामी की जाति अलग है वही पंजीयन में जोड़े गए नाम की किसानो की जाति अलग है। फर्जी पंजीयन के इस खेल में कंप्यूटर ऑपरेटर व समिति प्रबंधक सहित पटवारी भी सवालों के घेरे में है। सूत्र कहते है इन इन पंजीयन को तहसीलदार की आई डी से सत्यापन का कार्य पटवारी द्वारा किया जाता है और पटवारी भी फर्जी पंजीयन को सत्यापित कर व्यापारियों को फायदा पहुंचाने में लगे हुए हैं। सूत्र कहते हैं कि परसौना खरीदी केन्द्र पर व्यापारियों के धान को खपाया जा रहा है।

भ्रष्टाचार के मामले में निलंबित ऑपरेटर को परसौना खरीदी केन्द्र का बनाया गया ऑपरेटर

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, गहिलरा खरीदी केन्द्र पर भ्रष्टाचार के मामले में किसानो की शिकायत पर तत्कालीन कलेक्टर राजीव रंजन मीणा के जांच निर्देश के बाद तत्कालीन तहसीलदार जाह्न्वी शुक्ला के जांच के बाद कंप्यूटर ऑपरेटर को निलंबित कर दिया गया था लेकिन सहकारिता विभाग के एक अधिकारी के द्वारा पुन: निलंबित हुए कंप्यूटर ऑपरेटर को उसी पद पर पदस्थ कर दिया गया। जिसका आलम यह है कि आज जिले फर्जी पंजीयन का खेल जोरो पर है। सूत्र कहते हैं कि सहकारिता विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी पंजीयन का खेल चल रहा अब इसमें कितना सच्चाई है यह तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा। लेकिन ताज्जुब की बात तो यह है कि जिन व्यापारियों के पास जमीन नही है वो कंप्यूटर ऑपरेटर व पटवारियों की मिलीभगत से हजारों क्विंटल धान का पंजीयन बनवाकर सरकार को राजस्व का चूना लगा रहे हैं और खुद लाखों रूपये की कमाई कर रहे हैं।









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