कैसे बनते हैं नागा साधु? देनी होती हैं कठिन परीक्षा

कैसे बनते हैं नागा साधु? देनी होती हैं कठिन परीक्षा

महाकुंभ 2025 में साधु-संतों के साथ नागा साधुओं का आगमन शुरू हो गया है. नागा साधु, अन्‍य साधु संतों से बिल्‍कुल अलग होते हैं. नागा साधु का जीवन आसान नहीं होता. महीनों तक स्‍नान न करने वाले नागा साधु प्रयागराज महाकुंभ में जरूर पुण्‍य की डुबकी लगाते हैं. 

कौन होते हैं नागा साधु?

नागा साधु अन्‍य साधु-संतों से अलग होते हैं. वह अपनी साधना और तपस्या के लिए मुश्किल जीवन शैली अपनाते हैं. नागा साधु कुंभ में पवित्र स्‍नान के लिए प्रयागराज आते हैं. 

कुंभ में जरूर करते हैं स्‍नान

नागा साधु रोज नहाने पर विश्‍वास नहीं करते. कहा जाता है कि वह महीनों स्‍नान नहीं करते, लेकिन प्रयागराज कुंभ वह जरूर स्‍नान करते हैं. नागा बनने के लिए उन्‍हें कठिन परीक्षाओं से गुजरना होता है. 

ब्रह्मचर्य की परीक्षा

अगर कोई साधु बनना चाहता है तो अखाड़ों में उसके ब्रह्मचर्य की परीक्षा ली जाती है. सीधे तौर पर कोई भी अखाड़े ऐसे किसी को शामिल नहीं करते . 

तप-वैराग्‍य और अनुशासन

किसी को साधु बनने के लिए उसमें तप, ब्रह्मचर्य, वैराग्य, ध्यान, संन्यास और धर्म का अनुशासन तथा निष्ठा आदि प्रमुखता से परखे और देखे जाते हैं.

कितना समय लगता है

इन कठिन परीक्षाओं से गुजरने के बाद ही कोई साधु संत बनता है. इन परीक्षाओं से गुजरने में 6 माह से 12 साल का समय लग जाता है. उसके बाद कोई साधु संत बन पाता है. 

संन्‍यास धर्म

इसके बाद ये अपना श्राद्ध, मुंडन और पिंडदान करते हैं तथा गुरु मंत्र लेकर संन्यास धर्म में दीक्षित होते है. इसके बाद इनका जीवन अखाड़ों, संत परम्पराओं और समाज के लिए समर्पित हो जाता है. 

लंबे समय तक तपस्‍या

नागा साधुओं पूरी तरह से निर्वस्‍त्र रहते हैं. ये ज्‍यादातर अपना जीवन किसी गुफा आदि में बिताते हैं. नागा साधु अपनी तपस्‍या के दौरान लंबे समय तक स्‍नान नहीं करते. 

आंतरिक शुद्धता पर जोर

वह तपस्‍या के दौरान भस्‍म का लेप लगाकर ध्‍यान और योग करने पर विश्‍वास करते हैं. नागा साधु अपनी साधना में शरीर की बाहरी शुद्धता से अधिक, आंतरिक शुद्धता पर ध्यान केंद्रित करते हैं.

इन कठिन परीक्षाओं से गुजरते हैं

जानकारी के मुताबिक, नागा साधुओं के कई संस्कारों में ये भी शामिल है कि इनकी कामेन्द्रियन भंग कर दी जाती हैं. उन्हें 24 घंटे नागा रूप में अखाड़े के ध्वज के नीचे बिना कुछ खाए-पीए खड़ा होना पड़ता है. 

कंधे पर दंड रखा जाता है

इस दौरान उनके कंधे पर एक दंड और हाथों में मिट्टी का बर्तन होता है. इस दौरान अखाड़े के पहरेदार उन पर नजर रखे होते हैं. इस प्रक्रिया के बाद वह नागा साधु बन जाता है.

ब्रह्मचारी से महापुरुष बनाया जाता है

नागा साधुओं के स्नान का कोई सटीक नियम या समय निर्धारण नहीं होता है. अगर व्यक्ति ब्रह्मचर्य का पालन करने की परीक्षा से सफलतापूर्वक गुजरता है, तो उसे ब्रह्मचारी से महापुरुष बनाया जाता है. 

पांच गुरु बनाए जाते हैं

उसके पांच गुरु बनाए जाते हैं. ये पांच गुरु पंच देव या पंच परमेश्वर (शिव, विष्णु, शक्ति, सूर्य और गणेश) होते हैं. इन्हें भस्म, भगवा, रूद्राक्ष आदि चीजें दी जाती हैं. यह नागाओं के प्रतीक और आभूषण होते हैं.

 

 









You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे


Related News



Comments

  • No Comments...

Leave Comments