करीब 74 पहले भारत का संविधान तैयार हुआ था। इस संविधान की एक मूल प्रति ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी हुई है। इस प्रति में पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सहित संविधान सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं।
संविधान की यह मूल प्रति महाराजा बाड़ा स्थित सेंट्रल लाइब्रेरी में सुरक्षित है। 231 पृष्ठों वाली इस प्रति की कीमत मात्र 120 रुपए दर्ज है । लाइब्रेरी में यह प्रति 31 मार्च 1956 में आई थी। तब से हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर इसे लाइब्रेरी में आने वाले लोगों के अवलोकनार्थ रखा जाता है। सामान्य तौर पर यह अलमारी में सुरक्षित रहती है। इस बारे में लाइब्रेरियन आरएस माहौर कहते है, शहर के लिए यह धरोहर खास है। गणतंत्र दिवस के मौके पर इसे देखने के लिए काफी लोग आते हैं।
हाथ से बने कागज पर हाथ से ही लिखे संविधान को संजोकर रखना मुश्किल काम है। इसके लिए संविधान का खास रखरखाव किया जाता है। संविधान की मूल प्रति को फलालेन के कपड़े में लपेटकर नेफ्थलीन बॉल्स के साथ रखा गया था।
कहां रखी है भारतीय संविधान की मूल प्रति?
भारतीय संविधान की मूल प्रति को नाइट्रोजन गैस की एक चैंबर में रखा गया है। ये गैस चैंबर संसद भवन के पुस्तकालय में बनाया गया है। इसे वैज्ञानिक विधि से तैयार किया गया था।
गैस चैंबर में क्यों रखा गया संविधान?
पहले इस फलालेन के कपड़े में रखा गया लेकिन पाया गया कि संविधान की प्रतियां सुरक्षित नहीं है। वैज्ञानिकों ने दुनिया के अन्य देशों में संविधानों को किस तरह सुरक्षित रखा गया है, इस बात की जांच की। पता चला कि अमेरिकी संविधान सबसे सुरक्षित वातावरण में है।
इसके बाद वैज्ञानिकों ने 1994 में संसद भवन के पुस्तकालय में एक चैंबर तैयार कराया, जिसे और सुरक्षित बनाने के लिए ऐसी गैस का इस्तेमाल किया गया जो कागज और स्याही पर असर न डाले। इसके लिए चैंबर में नाइट्रोजन गैस का प्रयोग किया गया।
भारतीय संविधान की सुरक्षा
संविधान की सेहत की जांच के लिए हर साल चैंबर की नाइट्रोजन गैस खाली की जाती है और अच्छे से जांच परख होती है। हर दो महीने में भी चैंबर की चेकिंग की जाती है। इसके अलावा सीसीटीवी कैमरों से लगातार निगरानी की जाती है।
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