सीजीएचएस के 42 लाख से अधिक लाभार्थियों के लिए अलर्ट है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत विभिन्न राज्यों के 80 शहरों में सीजीएचएस सेवाएं मुहैया कराने वाले केंद्रों से जब कोई दवा लें तो उसकी गुणवत्ता परख लें। पिछले तीन साल के दौरान सीजीएचएस केंद्रों पर मिलने वाली दवाओं में से 29 दवाएं ऐसी मिली हैं, जो घटिया क्वालिटी की हैं। खास बात है कि इन सभी दवाओं की खरीद, सरकारी मेडिकल स्टोर डिपो ' जीएमएसडी' से की गई है। घटिया क्वालिटी वाली दवाओं की सूची में रामिप्रिल 5 एमजी, जिसका निर्माता यूनिक्योर इंडिया लिमिटेड है। मिथाइलकोबाल्मिन 500 एमजी जिसे, यूनिक्योर इंडिया लिमिटेड ने तैयार किया है। ओमेप्राजोल 20 एमजी कैप्शूल, जिसे स्काईमैप फार्मास्युटिकल द्वारा बनाया गया है। एनलप्रिल 2.5 एमजी, जिसका निर्माता मेडिपोल फार्मा इंडिया है। टैबलेट एल. मिथाइल फोलेट 7.5 एमजी, जिसे प्योर एंड क्योर द्वारा तैयार किया गया है। एसवाई. पैरासिटामोल, जिसे एचएएल द्वारा बनाया गया है। रेनिटिडिन 150 एमजी, जिसे केएपीएल द्वारा तैयार किया गया है। मिथाइलकोब्लामिन 500 एमसीजी, जिसे यूनिक्योर इंडिया लिमिटेड ने बनाया है। हालांकि सीजीएचएस ने इन आरोपों का खंडन किया है। उनका कहना है कि उनकी दवाएं तय मानक के हिसाब से खरीदी गई हैं।
संसद के मौजूदा सत्र में पिछले सप्ताह लोकसभा सदस्य लुम्बा राम ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री से पूछा था कि क्या केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन या कोई अन्य प्रतिष्ठित सरकारी संस्थान, सीजीएचएस केंद्रों के लाभार्थियों को आपूर्ति की जाने वाली एलोपैथी, होम्योपैथी, आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं के मानकों की जांच करते हैं। पिछले तीन वर्ष के दौरान निम्न स्तर की दवाओं का ब्यौरा क्या है। दवाओं की गुणवत्ता और प्रभावशीलता में सुधार के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने बताया, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ), अन्य प्रतिष्ठित संस्थान व एनएबीएल मान्यता प्राप्त लैब, नमूना संग्रह और उसके बाद प्रयोगशाला परीक्षण की प्रणाली के माध्यम से एलोपैथिक दवाओं के मानकों की जांच की जाती है। होम्योपैथी में, होम्योपैथिक मेडिकल स्टोर डिपो (एचएमएसडी) मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं से रिपोर्ट लेने के साथ साथ सीजीएचएस अनुमोदित फर्मों से दवाएं प्राप्त करके गुणवत्ता सुनिश्चित करते हैं।
होम्योपैथिक दवा निरीक्षण दल, होम्योपैथिक फार्माकोपिया ऑफ इंडिया (एचपीआई) मानकों के अनुपालन की जांच करता है। मानकों को पूरा करने में विफल रहने वाले बैचों को आगे के परीक्षण से गुजरना पड़ता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि केवल अनुमोदित दवाएं ही अनुमोदित हो पाएं। आयुर्वेद में, सीजीएचएस आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर डिपो (एएमएसडी) को आयुर्वेदिक दवाइयां आपूर्ति करने वाले निर्माता डब्लूएचओ जीएमपी/सीओपीपी या क्यूसीआई प्रमाणित हैं। गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक बैच का परीक्षण सरकार द्वारा अनुमोदित एनएबीएल मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में किया जाता है। यूनानी में, सीजीएचएस, जीएमपी प्रमाणित दवाइयां खरीदता है। सरकार द्वारा अनुमोदित या एनएबीएल मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं से इन हाउस विश्लेषणात्मक रिपोर्ट और गुणवत्ता विश्लेषण प्राप्त कर गुणवत्ता सुनिश्चित की जाती है। यह रिपोर्ट, यूनानी फार्माकोपिया के अनुसार, पहचान, शुद्धता, गुणवत्ता और शक्ति के लिए परीक्षण करती है।
पिछले तीन वर्ष के दौरान पाई गई घटिया दवाओं के लिए सीजीएचएस के भीतर एक प्रभावी शिकायत प्रणाली है, जिससे मरीज दवाओं से संबंधित मुद्दों को उठा सकें। इसका मकसद मरीजों की चिंताओं को दूर करने के लिए त्वरित कार्रवाई करना है। केंद्रीय खरीद एजेंसी, मेडिकल स्टोर संगठन, घटिया या नकली सामान जैसे जोखिमों को कम करके सुरक्षित, उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की खरीद सुनिश्चित करती है। इसमें प्री डिस्पैच, रसीद और पोस्ट इंस्टॉलेशन जैसे प्रमुख चरणों में निरीक्षण शामिल है। अनुबंध विनिर्देशों के अनुपालन को सत्यापित करने के लिए योग्य कर्मियों द्वारा विभिन्न चरणों को पूरा किया जाता है। निष्कर्ष रिपोर्ट को निरीक्षण रिपोर्ट में दर्ज किया जाता है। इसका उपयोग, रिकार्ड रखने और भुगतान प्राधिकरण के लिए भी होता है।
जन औषधि दवाओं की गुणवत्ता के लिए कई तरह के कदम उठाए गए हैं। फार्मास्यूटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेस ब्यूरो ऑफ इंडिया 'पीएमबीआई' उत्पाद शिकायतों की जांच करता है। नियंत्रण नमूनों की समीक्षा करता है। जन औषधि केंद्रों और गोदामों से नमूने एकत्रित किए जाते हैं। एनएबीएल लैब में इनका पुन: निरीक्षण किया जाता है। आवश्यकतानुसार सुधारात्मक और निवारक कार्रवाई की जाती है। पीएमबीआई ने ब्रांडेड और जन औषधि जेनेरिक उत्पादों के बीच तुलनात्मक अध्ययन शुरु किया है। खुले बाजार की दवाओं के लिए मानक गुणवत्ता 'एनएसक्यू' की दर 3.70 प्रतिशत है, जबकि पीएमबीआई उत्पादों की दर 0.34 प्रतिशत है। उच्च मूल्य की प्रतिबंधित दवाइयों को मामला दर मामला आधार पर उन दर संविदागत निर्माताओं से खरीदा जाता है, जिनके पास उत्पादों की इन हाउस लैब टेस्टिंग, डीसीजीआई अनुमोदन और गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस 'जीएमपी'प्रमाणपत्र आदि होते हैं।
सीजीएचएस ने आरोपों का दिया जवाब
हालांकि, इस मामले पर अब सीजीएचएस मेडिकल स्टोर्स ऑर्गनाइजेशन की ओर से जवाब आया है। जिसमें कहा गया है कि सीजीएचएस, मेडिकल स्टोर्स ऑर्गनाइजेशन (एमएसओ) और जन औषधि परियोजना के माध्यम से थोक में जेनेरिक दवाइयां खरीदता है। इन दवाओं की आपूर्ति करने वाली प्रत्येक सरकारी एजेंसी गुणवत्ता बनाए रखने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का पालन करती है। इसके बाद सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार बिना किसी भेदभाव या पूर्वाग्रह के सीजीएचएस लाभार्थियों को अच्छी गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध करवाता है।
एमएसओ जेनेरिक दवाइयों की खरीद करता है और उन्हें एमएसओ के रेट कॉन्ट्रैक्ट के तहत सीजीएचएस वेलनेस सेंटर्स को सप्लाई किया जाता है। यह काम नई दिल्ली, करनाल, हैदराबाद, गुवाहाटी, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में स्थित 7 सरकारी मेडिकल स्टोर डिपो (जीएमएसडी) के जरिए पूरा किया जाता है। दवाओं की गुणवत्ता की जांच और अनुमोदन दो प्रयोगशालाओं में किए जाने के बाद किया जाता है- एक सरकारी प्रयोगशाला और दूसरी निजी प्रयोगशाला।
राज्य औषधि नियंत्रक द्वारा भी वेलनेस सेंटर्स से दवाएं एकत्रित करके उनका परीक्षण किया जाता है। यदि पूरे भारत में किसी भी प्रयोगशाला द्वारा कोई दवा खराब गुणवत्ता की पाई जाती है, तो उस दवा को तुरंत वापस ले लिया जाता है और प्रतिस्थापन (रिप्लेसमेंट) के लिए जीएमएसडी को वापस भेज दिया जाता है। यह बात बार-बार दोहराई गई और इस बात पर जोर दिया गया कि सीजीएचएस से कोई भी खराब दवा जारी नहीं की जाती है, तथा यह सुनिश्चित किया जाता है कि गुणवत्ता जांच का अक्षरशः पालन किया जाए।



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