नई दिल्ली. भारतीय रेलवे ने पंबन ब्रिज का निर्माण पूरा कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. यह भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज है, जो आधुनिक इंजीनियरिंग का शानदार उदाहरण है. यह पुल मुख्य भूमि के मण्डपम को पंबन द्वीप और रामेश्वरम से जोड़ेगा. रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) द्वारा निर्मित यह प्रोजेक्ट भारतीय रेलवे की तकनीकी और डिजाइन में प्रगति को दर्शाता है. वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज उस पुल को कहते हैं जिसमें बीच वाला हिस्सा खुलता नहीं बल्कि लिफ्ट की तरह पूरा ही ऊपर चला जाता है.
पंबन ब्रिज 2.05 किलोमीटर लंबा है और इसमें 19.3 मीटर के 100 स्पैन और 63 मीटर का अनोखा नेविगेशनल स्पैन है. वर्टिकल लिफ्ट तकनीक के साथ डिजाइन किया गया यह पुल भारत में अपनी तरह का पहला और दुनिया में दूसरा पुल है. इसे अंतरराष्ट्रीय कंसल्टेंट TYPSA ने भारतीय और यूरोपीय मानकों के अनुसार डिजाइन किया है.
पुल की खासियतें
इस पुल में इलेक्ट्रो-मैकेनिकल कंट्रोलिंग सिस्टम का उपयोग किया गया है, जो ट्रेन नियंत्रण प्रणाली के साथ जोड़ा गया है. यह इसे पुराने मैन्युअल ऑपरेटेड ब्रिज से अलग बनाता है. बिजली की खपत कम करने के लिए पुल में काउंटरवेट मैकेनिज्म जैसी उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. पुराने पुल की तुलना में नए पुल में जहाजों के सुरक्षित गुजरने के लिए 3.0 मीटर अधिक वर्टिकल क्लीयरेंस (पानी और पुल के बीच का गैप) और समुद्र स्तर से 22 मीटर की नेविगेशनल एयर क्लीयरेंस दी गई है.
पुराने और नए पुल में अंतर
1914 में कमीशन किए गए पुराने पुल की वर्टिकल क्लीयरेंस सीमित थी और उसमें समुद्री पानी गिर्डर्स पर टकराता था. वहीं, नए पुल में 63 मीटर चौड़ी नेविगेशनल स्पेस के साथ वर्टिकल लिफ्ट तकनीक का उपयोग किया गया है, जिससे जहाजों का आवागमन आसान होगा.
परियोजना का महत्व
इस प्रोजेक्ट पर 535 करोड़ रुपये की लागत आई है. यह पुल ट्रेन की संचालन गति को बढ़ाने के साथ-साथ मुख्य भूमि और रामेश्वरम द्वीप के बीच कनेक्टिविटी को भी मजबूत करेगा. इसके निर्माण से न केवल श्रद्धालुओं को रामनाथस्वामी मंदिर तक पहुंचने में सहूलियत होगी, बल्कि यह पुल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी बनेगा. पंबन ब्रिज का बेहतरीन डिजाइन और समुद्र का खूबसूरत दृश्य इसे एक यादगार अनुभव बनाएगा. इसके अलावा, यह क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा देगा और आर्थिक गतिविधियों को गति प्रदान करेगा. इस पुल का निर्माण भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है.
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