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मुखिया के मुखारी – नासमझ...नासमझ..नासमझ.....

मुखिया के मुखारी – नासमझ...नासमझ..नासमझ.....

खिसयानी बिल्ली खंबा नोचे ,इस कहावत का अक्षर श: पालन इंडिया गठबंधन कर रहा है। विपक्षी दल का दो आम चुनाव के बाद दर्जा पाकार कांग्रेस इस गलतफहमी में आ गई थी कि उसने मोदी के विजय रथ को रोक दिया, उसे अपनी हार का एहसास कम भाजपा के 240 पर सीमित होने की खुशी ज्यादा थी, पर वास्तविकता तो वास्तविकता है, भाजपा अभी भी सत्ता में है,इंडिया गठबंधन की खिसियाहट अब तीव्र से तीव्रतम हो रही है, राहुल गांधी के नेतृत्व पर ममता प्रश्न चिन्ह लगा चुकी है? और कई नेता उनका समर्थन कर चुके हैं, मतलब राहुल गांधी अब इंडिया गठबंधन को पूर्णता स्वीकार्य नहीं है  । संविधान और आरक्षण की हवा विधानसभा चुनाव में चली नहीं, मुद्दा विहीन राजनीति का हश्र हार है ,और वही हुआ।  महाराष्ट्र और हरियाणा की हार ने बता दिया कि सीधे मुकाबले में कांग्रेस ठहरती नहीं, जम्मू कश्मीर और झारखंड में क्षेत्रीय दलों के कंधों पर चढ़कर सत्ता सुख भोग रही कांग्रेस के पास ना तो मुद्दे हैं, ना वों नेतृत्व क्षमता की अकेले अपने दम पर 272 का आंकड़ा पार कर ले, गठबंधन उसकी मजबूरी हैं ,और गठबंधन उन्हीं दलों के साथ है जो उसके कभी धूर राजनीतिक विरोधी थे, कांग्रेस को इतिहास का भान भी नहीं रहता, संविधान पर संसद में हुई चर्चा ने उसकी पोल ही खोली ।

इतिहास के पन्नों से कांग्रेस के वों काले कारनामे निकाले गए सबूत के साथ, जो सत्ता की मदहोशी और छुद्र राजनीतिक स्वार्थ के लिए कांग्रेस ने किए थे,अकाट्य तथ्यों और सच्चाई से भागती कांग्रेस ने पुनः गलती दोहराई और अंबेडकर की दुहाई देने लगी, संविधान निर्माता, भारत रत्न ,डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की राजनीतिक वजूद को खत्म करने के लिए कांग्रेस ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी, उनकों चुनाव हराने के लिए सारे राजनीतिक दांव पेच आजमाए गए ,तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने खुद उनके खिलाफ चुनाव प्रचार किया । कांग्रेस के नेताओं और कांग्रेस के मन में डॉक्टर अंबेडकर को लेकर कभी कोई उदारता नहीं थी, यदि कांग्रेस उन्हें मानती तो भारत रत्न देती, डॉक्टर अंबेडकर की मृत्यु के बाद लिखे गए शोक संदेश में नेहरू ने उन्हें विवादित व्यक्तित्व कहा क्या ये उदार मन से लिखा गया शोक संदेश था? जब शोक संदेश की भाषा ऐसी थी तो फिर श्रद्धा की कोई बात ही नहीं, अंबेडकर की बनाई संविधान की धज्जियां राहुल ने संसद में ही उड़ा दी, धक्के मार नेता विपक्ष,सांसदों को लहू- लुहान कर बैठे,राहुल के इस कृत्य को छुपाने में पूरा विपक्ष लगा है। भाजपा सांसदों को झूठा बताने की पूरी कोशिश हो रही है, नागालैंड की भाजपा की आदिवासी महिला सांसद की अस्मिता से भी विपक्षियों का कोई वास्ता नहीं रहा, संसद में सीसीटीवी लगे हैं बावजूद इसके राहुल गांधी और उनके सहयोगी झूठ परोसने की कोशिश कर रहे हैं, खड़गे की अपमान की नई कहानी गढ़ रहे, ठीक वैसे ही जैसे अमित शाह के भाषण के 12 घंटे बाद अंबेडकर के अपमान की कहानी गढ़ी गई थी।

संसद के इस धक्का कांड के बाद राहुल के लिए अपनी छवि पर लगने वाले धक्के को बचा पाना मुश्किल होगा ,बात इतनी आगे बढ़ गई है या बढ़ा दी गई है, कि अब धक्के का सच बाहर आएगा ही, सीसीटीवी फुटेज के बाद इस झूठ को टिकना ही नहीं हैं ,पर लगता है विपक्षी गठबंधन के नेता राहुल को इसमें और उलझाना चाह रहे, समझौते की कोई गुंजाइश अब राहुल ने भी नहीं बचाई है, भाजपा की कार्यशैली को जानते समझते हुए भी धक्का कांड को इतना तूल देना राहुल की राजनीतिक अदूरदर्शिता है, जिसके ऊपर खड़गे, प्रियंका से लेकर विपक्षी नेताओं का हो हल्ला,कोई राजनीतिक लाभ नहीं दिला सकेगा या फिर विपक्षी दलों की सच को नकारने की पुरानी आदत इसके पीछे होगी। दंगों के वीडियो फुटेज हर बार आते हैं चाहे वों दिल्ली के हो या फिर बंगाल, यूपी,बिहार के हर बार वीडियो पर सवाल उठाए जाते हैं,सच छिपाए जाते हैं ,पर इस बार दंगा सड़क में नहीं संसद में हुआ है, आम लोगों के बीच नहीं, माननीयों के बीच हुआ है  । ललकारा आपने मोदी शाह की जोड़ी को है, मुद्दों के समझ की कमी ने आपको कई दर्द दिए हैं, पर इस बार दर्द बड़ा होगा, झटका बड़ा होगा,कितनी बार कितने समय तक वक्त आपको समझाए ,फिर भी आप समझ ना पाए ,तो फिर यही सब समझेंगे, कहेंगे -------------------------------नासमझ...नासमझ..नासमझ.....

 

चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल

 

 

 






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