प्रशांत किशोर ने सशर्त जमानत लेने से किया इनकार,न्यायिक हिरासत में भेजे गए

प्रशांत किशोर ने सशर्त जमानत लेने से किया इनकार,न्यायिक हिरासत में भेजे गए

पटना:गांधी मैदान में अवैध रूप से धरना देने के आरोप में गिरफ्तार जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर  को अदालत ने न्‍यायिक हिरासत में भेज दिया. जमानत की शर्त मानने से इनकार के बाद प्रशांत किशोर को न्‍यायिक हिरासत में भेजा गया. इस मामले में प्रशांत किशोर को अदालत से जमानत मिल गई, लेकिन उन्‍होंने सशर्त जमानत लेने से इनकार कर दिया. अदालत ने उन्हें 25 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत का आदेश दिया था. साथ ही कोर्ट ने बेल बॉण्ड के साथ शर्त रखी कि वो इस तरह के विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सकते जिससे कानून व्यवस्था भंग हो. प्रशांत किशोर ने बेल बॉण्ड भरने से इनकार कर दिया. प्रशांत किशोर की तरफ से कहा गया है कि विरोध प्रदर्शन करना उनका मौलिक अधिकार है. उन्होंने अदालत से शर्त हटाने की मांग की जिसे जज ने ठुकरा दिया.

सोमवार सुबह जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर और उनके समर्थकों को गिरफ्तार किया गया. उनकी इस गिरफ्तारी से समर्थकों में गुस्सा देखने को मिल रहा था. पटना एम्स में मेडिकल टेस्ट के बाद प्रशांत किशोर को सिविल कोर्ट में पेश किया गया जहां अदालत ने उन्हें जमानत दे दी. हालांकि जब उन्‍होंने जमानत की शर्त मानने से इनकार कर दिया तो अदालत ने उन्‍हें वापस न्‍यायिक हिरासत में भेज दिया. 

प्रशांत किशोर की ओर से कहा गया कि युवाओं के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ अगर आवाज उठाना गुनाह है तो जेल जाना मंजूर है. साथ ही अब उनका आमरण अनशन जेल में भी जारी रहेगा. 

प्रशांत किशोर की क्यों हुई थी गिरफ्तारी?
बीपीएसपी द्वारा 13 दिसंबर को आयोजित की गई परीक्षा के प्रश्नपत्र कथित तौर पर लीक होने के विरोध में किशोर ने दो जनवरी को आमरण अनशन शुरू किया था और अनशन के पांचवें दिन उन्हें गिरफ्तार किया था. जन सुराज पार्टी के समर्थकों के अनुसार. पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘हां, गांधी मैदान में धरने पर बैठे किशोर और उनके समर्थकों को पुलिस ने सोमवार सुबह गिरफ्तार कर लिया. उन्हें अब अदालत में पेश किया जाएगा. उन्होंने कहा कि उनका धरना ‘‘गैरकानूनी'' था क्योंकि वे प्रतिबंधित स्थल के पास धरना दे रहे थे.

पटना के जिलाधिकारी ने कहा था कि संबंधित अधिकारियों द्वारा बार-बार अनुरोध किए जाने के बावजूद, वे वहां से नहीं हटे. जिला प्रशासन ने धरना राज्य की राजधानी के गर्दनीबाग इलाके में स्थानांतरित करने के लिए उन्हें नोटिस भी दिया गया था, जो विरोध प्रदर्शन के लिए निर्धारित स्थल है. 

BPSC विवाद में अब तक क्‍या-क्‍या हुआ...?
 

  1. बीपीएससी द्वारा 13 दिसंबर को आयोजित एक संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने का आरोप लगाते हुए सैकड़ों अभ्यर्थियों ने शहर के बापू परीक्षा केंद्र में संचालित परीक्षा का बहिष्कार किया.
  2. इसपर आयोग ने 12000 उम्मीदवारों के लिए फिर से परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया था.
  3. इस आदेश के तहत अभ्यर्थियों को चार जनवरी को शहर के विभिन्न केंद्रों पर नए सिरे से आयोजित की जाने वाली परीक्षा में शामिल होने के लिए कहा गया था. 
  4. हालांकि, आयोग का मानना ​​है कि बिहार के शेष 911 केंद्रों पर परीक्षा ठीक से आयोजित की गई. 
  5. BPSC उम्मीदवारों के एक वर्ग ने 'समान अवसर' सुनिश्चित करने के लिए सभी केंद्रों के लिए फिर से परीक्षा का आदेश दिये जाने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया.
  6. आंदोलनकारी अभ्यर्थियों को कुछ दिनों बाद ही विभिन्न राजनीतिक दलों, निर्दलीय सांसद पप्पू यादव और जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर का समर्थन मिलना शुरू हो गया.
  7. प्रदर्शनकारियों ने यह भी दावा किया कि उन्होंने अधिकारियों को ‘सबूत' मुहैया कराए हैं कि कदाचार व्यापक रूप से हुआ था और यह केवल बापू परीक्षा केंद्र तक सीमित नहीं था. 
  8. ये अभ्यर्थी मांग कर रहे हैं कि राज्य भर में 900 से अधिक केंद्रों पर उपस्थित सभी पांच लाख उम्मीदवारों के लिए नए सिरे से परीक्षा आयोजित की जाए.
  9. 28 दिसंबर को बीपीएससी की पुन:परीक्षा में 5,943 छात्र शामिल हुए. बीपीएससी ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि पुन:परीक्षा सभी केंद्रों पर शांतिपूर्ण तरीके से हुई और किसी भी तरह की गड़बड़ी की कोई सूचना नहीं है.
  10. 29 दिसंबर  को प्रशांत किशोर अपने कुछ कार्यकर्ताओं के साथ गांधी मैदान पहुंचे और विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए, तो हंगामा शुरू हो गया, जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. 
  11. 2 जनवरी को प्रशांत किशारे अपने कार्यकर्ताओं के साथ पटना के गांधी मैदान में आमरण अनशन पर बैठ गए थे. उन्‍होंने राहुल गांधी और तेजस्वी यादव से भी समर्थन मांगा.
  12. 6 जनवरी को प्रशांत किशोर को पटना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. बाद में अदालत से उन्हें जमानत मिल गयी. हालांकि उन्‍होंने जमानत लेने से इनकार कर दिया. 

 









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