पौष पुत्रदा एकादशी : एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की इस तरह करे पूजा,मिलेगा मनचाहा वरदान

पौष पुत्रदा एकादशी : एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की इस तरह करे पूजा,मिलेगा मनचाहा वरदान

नई दिल्ली :  प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। इस शुभ अवसर पर जगत के पालनहार और धन की देवी मां लक्ष्मी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से हर मनोकामना पूरी होती है।

वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार, 10 जनवरी को पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इस शुभ अवसर पर पौष पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी। पौष पुत्रदा एकादशी व्रत करने से निसंतान एवं नवविवाहित दंपतियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। आसान शब्दों में कहें तो वंश में वृद्धि होती है। इसके साथ ही सुख और सौभाग्य में भी अपार वृद्धि होती है। अगर आप भी पुत्र सुख पाना चाहते हैं, तो पौष पुत्रदा एकादशी पर भक्ति भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। वहीं, पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।

संतान प्राप्ति मंत्र

1. अस्य गोपाल मंत्रस्य, नारद ऋषि:

अनुष्टुप छंद:, कृष्णो देवता, म

म पुत्र कामनार्थ जपे विनियोग:।

2.ऊँ कृष्णाय विद्महे दामोदराय

धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।

3. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव

जगत्पते देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ।।

4. ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै।

5. क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नमः।

6. ओम बाल शिवाय विदमहे कालिपुत्राय धीमहि तन्नो बटुक प्रचोदयात्।।

7. प्रेम मगन कौशल्या निसिदिन जात न जान। सुत सनेह बस माता बाल चरित कर गान।।

8. ॐ क्लीं गोपालवेषधराय वासुदेवाय हुं फट स्वाहा ।।

9. ॐ नमो भगवते जगत्प्रसूतये नमः ।।

10. शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।

लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं

वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम्॥

यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे:।

सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा:।

ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो

यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम:॥

संतान स्तोत्र

नमोऽस्तु गणनाथाय सिद्धी बुद्धि युताय च।

सर्वप्रदाय देवाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च।।

गुरु दराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय ते।

गोप्याय गोपिताशेष भुवनाय चिदात्मने।।

विश्व मूलाय भव्याय विश्वसृष्टि करायते।

नमो नमस्ते सत्याय सत्य पूर्णाय शुण्डिने।।

एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम:।

प्रपन्न जन पालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।

शरणं भव देवेश सन्तति सुदृढ़ां कुरु।

भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गण नायक।।

ते सर्वे तव पूजार्थम विरता: स्यु:रवरो मत:।

पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्व सिद्धि प्रदायकम्।।






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