संभल में अन्याय का इतिहास लगातार खुल रहा है, पन्ने पे पन्ने निकल रहे, उन अनसुनी दास्तां ने न्याय की उम्मीद जगाई है, योगी आदित्यनाथ कर्ण सुहाती बातों की जगह पूरा सच खोज रहे, विध्वंस की सारी सच्चाई बाहर ला रहे,वक्फ के काले कारनामे, पलायन की सारी सच्चाईयों के बाद ,पत्थरबाजों की गिरफ्तारियां हुई । अब 1978 के संभल दंगे के आरोपियों की बारी आई है, 1978 के संभल दंगों की पुरानी फाईले खोली गई है ,जाँच हों रही पीड़ितो को सालों बाद न्याय की उम्मीद जागी, “जब जब होई धरम की हानी, बाढ़हि असुर अधम अभिमानी। तब-तब धरि प्रभु विविध शरीरा, हरहि दयानिधि सज्जन पीरा।।” संभल में कल्कि अवतार होना है ,शायद संभल में किए गए सारे अन्यायों की यही एक वजह है।ये चौपाई जिनके लिए लिखी गई थी वों इसका कितना अर्थ समझे, पर जिनकीं इसमें आस्था नही उन्होंने इसका पूरा मर्म समझ लिया, पुराणों को भी गलत साबित करने की कुचेष्टा हों रही, संभल की पहचान बदल भगवान के अवतरण को रोकने की कोशिश हों रही ,कितना सुनियोजित, कुत्सित, धार्मिक कट्टरवाद ,षडयंत्र है ये, विरासतों पर तों पहले से रोज प्रश्न चिन्ह लगाए जा रहे थे,अब भविष्य पर भी बुरी नजर है,दावे पर दावे बिना सबूतों के, अवैध कब्जो की मानसिकता ने महाकुंभ के जमीन पर भी दावा ठोक दिया । वक्फ ने अपनी कलई खुद खोल ली,महाकुंभ के आयोजन से विघ्न संतोषियों को तकलीफ है, रोज नई- नई आपत्तियाँ, तैयारियों को लेकर रोज नई कहानियाँ, सनातन के सबसे बड़े आयोजन में विघ्न डालने का सारा प्रायोजन है ,तथाकथित धर्म निरपेक्ष दलों की नियत उजागर हों रही, सत्ता लोलुपता के चाहत में बना गठबंधन निज स्वार्थो से आहत हों टूट गया, बिखर गया, जनता के द्वारा तों पहले ही ठुकराएँ गए थे ,अब एक दुसरे को ठुकरा रहे ,खुद ठोकर मार गठबंधन के सारे गांठ खोल रहे, लक्ष्य था, एक ही येन केन प्रकारेण सत्ता प्राप्त हों जाए, हिंदुत्व की प्रचंडता कम हों जाए ,जगती हिन्दू अस्मिता ठहर जाए पर ऐसा हों न सका।
नियत की खराबी ने सबकुछ खत्म कर दिया, ना सत्ता मिली, ना गठबंधन बचा, बचा तों सिर्फ तुष्टीकरण के सबूत बचे ,नए -नए सबूत मिले।अर्धराज्य दिल्ली की सत्ता की चाहत में लड़ें भिड़े जो कल तक मोदी को रोकने एक थे ,वों आज एक दुसरे को टांग मारने लगे । उत्तरप्रदेश में उपचुनाव में सीटों के लिए तरसती कांग्रेस अब सहयोगी दलों के साथ के लिए तरस रही है । गठबंधन सरकारों का दौर और उनका हश्र देश ने पहले भी देखा है,इस परिणाम के बाद चार सौ की महत्ता भी देश समझ रहा है, विपक्षी दल खुद अपने कर्मो से वों आकड़ा पार करवाएंगे ,अगले चुनाव में जनता अपनी गलती सुधारेगी जरुर, जो कहानी चुनाव परिणामों की गुजरात में हुई थी वों ,पुरे देश में दोहराई जाएगी ,फिर अपार बहुमत की सरकार आएगी ,वैकल्पिक राजनीति के पुरोधा की बहुत सारी है दुविधा, ईमानदारी का दावा है, मांथे पर भर्ष्टाचार का कलंकी टीका है ,लोकतंत्र में अस्थाई मुख्यमंत्री ही नई व्यवस्था है,नारी सम्मान के दावे है फ्री फ्री के बीच इक्कीस सौ रूपये के महिला सम्मान राशि की घोषणा है ,क्या महिला सम्मान इक्कीस सौ रूपये का मोहताज है ? आप तों ताज महिला के सर से उतारना चाह रहे, महिला मुख्यमंत्री के रहते अपने आप को अगला मुख्यमंत्री बता रहे ,सब मौन बुद्धजीवी भी मौन ,बताइए ये कैसा महिला सम्मान ? जो पांच महीनें मुख्यमंत्री रह गई, क्या उनमे पांच साल मुख्यमंत्री रहने की क्षमता नही या प्रतिभा नही है ? नारी सम्मान आपका दिखावा है, बंगले से जैसे रुख्सत स्वाति मालीवल को किया था, वैसे ही सत्ता से बेदखली के लिए आतिशी के साथ आपकी योजना है।
शीशमहल में रहने वालों को ने कब गरीबों की सुनी है, नोट के बदले वोट लेने की ये चलन नई -नई है, धर्म में बाटा अब जाति में बाट रहे ,मुल्ला मौलवीय से लेकर पुजारी ग्रंथी तक तनख्वाह बांध रहे, गजब कि धर्म निरपेक्षता है ,धार्मिक व्यक्तियों कों तनख्वाह आप किस आधार पर देंगे, यदि आधार उनके धार्मिक कार्य है ,तों क्या ये संविधान सम्मत है ? संविधान के तथाकथित रक्षकों की अजब ये मज़बूरी है ,गजब की उनकी धर्म निरपेक्षता है ,हर जाँच को राजनैतिक बता भर्ष्टाचार का मान बढ़ाने वाले ,आप सारे माननीय है, पार्षदीय में आलिशान बंगला कार खरीदने वाले ,आप सब नए जादूगर है,आप भर्ष्टाचारी नही जादूगर है ,और यदि आप अनपढ़ है तों फिर आप सबसे मासूम मंत्री है ,पद गोपनीयता की शपथ विभाग प्रमुख मंत्री कहे मै अनपढ़ मुझे कुछ नही पता, तों फिर उन्हें मंत्री किसने बनाया ?क्यों बनाया? जैसे वों आज मासूम बन रहे, वैसे तब भी रहे होंगे ,अनपढ़ मंत्री बन सकता है तों ,मंत्री पद की जवाबदारी क्यों नही निभा पाया ? इसका जवाब कौन देगा ? मुखिया सारे हर स्थिति में सुखिया हों जाते है, जनता दुखिया की दुखिया रह जाती है , निन्यानवे का फेर बड़ा बुरा है ,दो अंको की सबसे बड़ी संख्या है ,पर संतोष नही देती,व्यक्ति तिहाई संख्याबल पाने छटपटाता है, अपनों का साथ छूटता जाता है ,क्योकि अपनों से ही स्वार्थ टकराता है,उबर सको तों उबर जाओ ,इस फेर से ,राजतंत्रीय मानसिकता से निकल ,लोकतंत्रीय बनिए । परिवारवादी नही ,जनवादी बनिए, परिश्रम और नेक नियति से सबकुछ मिलता है ,सत्ता भी । नियत बदलिए मेहनत करिए ,अल्पमत ,बहुमत में बदलेगा जरुर, अकर्मण्यता की वजह से मैदान खुला छोड़ेंगे आप तों --------------------------सदैव निन्यानवे की फेर में रहेंगे आप
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल
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