बदनामी सफलता के गगन चुंबी ईमारत को भी प्रभावित करती है, ईमारत खंडहर बनेगी या धवस्त हों जाएगी, ये बदनामी के स्तर पर निर्भर करता है ,और यदि मसला राजनीति का हों तों ये द्रुत गति से होता है,दुर्गति राजनीति की आरोपों से शुरू होती है, यदि उनमे तथ्य हों तों बदनामी और पराभाव का कारण बनती है, जन धारणाओं को ना समझने की भूल जन से विलग, सत्ता से अलग कर देती है । राजनीति का एकमात्र अंतिम लक्ष्य सत्ता प्राप्ति, बिना सत्ता के राजनीतिज्ञ सारी नीतियों के राज भूल जाते है,राज के लिए छटपटाते है ,व्याकुलता, आकुलता, व्यग्रता सब सत्ता के लिए ,सत्ता जब ना हों तों जनसेवा और जब सत्ता मिल जाए तों सिर्फ और सिर्फ स्वसेवा ,ऐसे में कैसे रहेगा हमेशा आपके पास सत्ता का मेवा ? सारे सिद्धांतों की तिलांजली देकर सरकार कैसे चलेगी? जनता की चुनी सरकार, भर्ष्टाचारों से घिरी, सत्ताधीशो को आलोचकों से ज्यादा जब चाटुकार पसंद आने लगे ,चाटुकारों की फ़ौज मौज करने लगे तों, सरकार की ओज धीरे -धीरे निस्तेज हों जाती है,सत्ता के शिखर से सत्ताधीशो को ना ये दिखता है ,ना इसका अहसास होता है। ये शाही बंगलो, मंत्रालयों में बैठ जनता में अपनी पैठ खोते रहते है ,अंदाज शाही, हरकते राजशाही तों फिर क्यों करे ये परवाह लोकशाही की, बड़े बाबुओ से घिरी सरकार है ,सरकारी कारिंदों के आगे गिरगिट रंग बदलने में कमतर है ,बड़े बाबु बड़ा महत्त्व इनका सरकार में है ,अपनी महत्ता से सत्ता का संचालन करते जननेता को राजनेता बनने प्रेरित करते।
नेता के राज अपनी जेब में रखते ,सरकार अपनी जेब में रखते ,जेब में रखी सरकार, राजदार ये बड़े बाबु फैसले सारे मनमाने करते ,रुपयों का बटवारा करते हिस्सा पूरा ईमानदारी से करते, 60 साला नौकरी वालों के फेर में पांच साल विधायक ,मंत्रियो का आना, याने बेलगाम अफसर शाही का सरकार पर हावी हों जाना । छत्तीसगढ़ की सरकारों की रुखसती आरोपों और बदनामी की वजह से हुई थी,जोगी सरकार भी आरोपों से घिरी बदनामी की चादर ओढ़ी ,चहेते अफसरों ने जनता की चाहत से सरकार को दूर किया ,खुद बड़े बाबु से नेता बने जोगी इसे समझ नही पाए, प्रतिभाशाली जोगी तीन साल में ही ऐसे विदा हुए, की कभी वापसी नही कर पाए, रमन की सरकार में रमा था मन छत्तीसगढ़ियों का ,इसीलिए वों बार -बार चुनाव जीत पाए, पर आखिरी कार्यकाल के आखिरी सालों में ,सरकार अपहृत हों गई, सरकार अफसरों की जेब की शोभा बन गई ,जनता ने फिर घटा दी सरकार की आभा ,विपक्ष में नगण्य संख्याबल के साथ उपस्थिति ,अब तक की सबसे बड़ी हार ,हार नही खदेड़ दिए गए थे,सिर्फ 14 में समेट दिए गए थे । फिर आया दौरे ए हुकूमत कांग्रेस का, अपार बहुमत की सबसे बड़ी जीत की कांग्रेस छत्तीसगढ़ की छत्तीसगढ़ियों द्वारा निर्वाचित पहली सरकार ,धान के कटोरे में धान का महत्त्व बताती सरकार, छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़िया वाद की पहली सरकार ,तीजा पोरा, भवरा ,बांटी नरवा, गरवा, घुरवा अउ बारी की सरकार छत्तीसगढ़िया अस्मिता की सरकार, पर सरकार की अस्मत नौकर शाहों के जेब में चली गई।
नौकर सारे शाह बन गए सरकार को शह दे दी, मात दे दिए, आरोपों घोटालों से घिरती सरकार घटती लोकप्रियता का अहसास ना कर पाई, साँस सत्ता की उखड़ गई ,लोकप्रियता की ना प्रियता बची ,ना लोक बचा, ना चुनाव में सरकार बची, इतिहास में हास के सारे कारण है , ना जाने फिर भी क्यों आप अनजान है,बेटी बचाव बेटी पढ़ाओ की तर्ज पर आप भी इतिहास पढ़ लेते, सरकार बचा लेते, सत्ता की नरमी में, सुख में, ना जनता का दुःख दिख रहा ,ना उनकी गर्मी, संगी साथी आपके फिर अफसर हों लिए ,बदनामी के सारे पुरोधा आपके शिखर पुरुष हों लिए ,सुशासन में प्रथा क्या पीठ खुजाने की होती है, धारणा तों यही बन रही, सत्ता बदली व्यवस्था नही ,सरकार सांय -सांय बता रही, अफसर सरकार के कंधे पर रख के बंदूक धांय-धांय चला रहे, कभी कमिश्नर जमीन मिशन का बचा रहे,कभी अफसर भ्रष्टाचारियों को पनाह दे रहे, डौंडी में शिक्षक ने नौकरी के झांसे में आकर आत्महत्या कर ली ,जांच सारे घोटालों के मंथर है, मंद पड़ती न्याय की आस है ,सौम्या की सौम्यता सर चढ़कर बोल रही ,सरकार की जाँच एजेंसियां तय समय पर जाँच रिपोर्ट नही पेश कर रही, जमानत का ये आधार बताता है ,पुरानी धार से यार इस सरकार में भी बनाए जा रहे ,तभी तों सारे आरोपी मंत्री, नेता खुल्ला बेधड़क घूम रहे ,धड़ा -धड़ रोज बयानों के तीर छोड़ रहे ,फिर भी आप उन्हें कानून की गिरफ्त से छोड़ रहे, क्या यही है आपका अलग चाल ,चरित्र ,चेहरा? आप भी तों भर्ष्टाचार की पुरानी बीमारी से ग्रस्त हों रहे , त्रस्त हों जायेंगे आप ,संवाद DPR के भ्रष्ट आचरण से ,छवि नही बना रहे, आपकी छवि का क्षरण कर रहे, सरकार छत्तीसगढ़ की उसका विज्ञापन दिल्ली, ग्वालियर वालों को बाँट रहे, पैसे बचाकर अशर्फी लुटाने का खेल कर रहे, कौड़ियो की चीज के लिए लाखों करोड़ो खर्च कर रहे ,सरकार छत्तीसगढ़ की पर एक बिहारी सब पर भारी के सूत्र वाक्य पर चल रहे, आचार के लिए अपना आचरण बदल रहे ,भर्ष्टाचार का लाब्दा ये ओढ़ लिए आपको भी ओढ़ाने की पूरी तैयारी है । आपदा बन आपकों अपदस्थ करवाएंगे ,ये तों पदस्थ है ,सालों साल के लिए ,आप पांच सालों में पद गवाएंगे, भर्ष्टाचार के आचार को आहार मत बनने दीजिये, मौका है इतिहास बदलिए बदनामी नही ख्याति अर्जित कीजिये, नकेल डालिए नौकरों पर उन्हें शाह मत बनने दीजिये, सत्ता की धमक सांय -सांय बनी रहे समझिए वर्ना ----------------------------- निर्जनता के सांय -सांय की आहट है ,सुगबुगाहट है ।
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल



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