पौष पूर्णिमा आज, यहां जानें पूजा विधि, मंत्र, स्नान-दान का महत्व

पौष पूर्णिमा आज, यहां जानें पूजा विधि, मंत्र, स्नान-दान का महत्व

एक साल में 12 पूर्णिमा तिथियों का उल्लेख मिलता है। हर पूर्णिमा का अपना महत्व होता है। आज पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। आज से महाकुंभ भी आरंभ होने जा रहा है। इससे पौष पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पौष पूर्णिमा से मां लक्ष्मी अपनी अष्ट सिद्धियों को जागृत करती हैं और पृथ्वी पर भ्रमण करते हुए व्यक्ति को धन-धान्य प्रदान करती हैं। इसी कारण से पौष पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष विधान माना गया है। इसी क्रम में आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और स्नान दान का महत्व। 

पौष पूर्णिमा तिथि 

पौष पूर्णिमा तिथि आरंभ:  13 जनवरी, सोमवार, प्रातः 5:25 मिनट से 
पौष पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 जनवरी, मंगलवार, तड़के 3:56 मिनट पर 
उदया तिथि के अनुसार, पौष पूर्णिमा की पूजा आज यानी 13 जनवरी को की जाएगी।

पौष पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 
ब्रह्म मुहूर्त: 13 जनवरी, प्रातः 5: 27 मिनट से 6:21 मिनट तक है। 
अभिजीत मुहूर्त: 13 जनवरी, दोपहर 12:09 मिनट से 12:51 मिनट तक है। 
गोधुलि मुहूर्त: 13 जनवरी, सायं 05:42 मिनट से 06:09 मिनट तक है।

स्नान दान मुहूर्त 
रवि योग: प्रातः 7:15 मिनट से प्रातः 10:38 मिनट तक  
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:15 मिनट से दोपहर 02: 57 मिनट तक 
ऐसे में पौष पूर्णिमा के दिन स्नान-दान के लिए ब्रह्म मुहूर्त का समय शुभ रहेगा। इस समय में स्नान-दान करने से अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होगी। वहीं, मां लक्ष्मी की प्रातः पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त एवं संध्या पूजा के लिए गोधुलि मुहूर्त उत्तम रहेगा। मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी।

पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि

  1. पौष पूर्णिमा दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें। 
  2. यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं, वरना घर पर ही सामान्य जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें। 
  3. इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और ॐ घृणिः सूर्याय नमः मंत्र का जप करें। 
  4. इसके बाद एक चौकी पर साफ-सुथरा लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। 
  5. पूजा में धूप, दीप नैवेद्य आदि अर्पित करें।
  6. शाम के समय पूजा के दौरान अपने समक्ष जल का कलश रखें। 
  7. विष्णु जी को पंचामृत, केला और पंजीरी का भोग अर्पित करें। 
  8. इसके बाद पंडित को बुलाकर सत्यनारायण की कथा करवाएं और आसपास के लोगों को भी आमंत्रित करें। 
  9. पूजा के बाद परिवार और अन्य लोगों में प्रसाद बांटे और दान-दक्षिणा दें।

करें इस स्तोत्र का पाठ
पौष पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी जी को समर्पित कनकधारा स्त्रोत का पाठ करें। इस स्त्रोत का पाठ करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और साधक पर अपनी दया दृष्टि बनाए रखती हैं जिससे धन की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता।

पौष पूर्णिमा व्रत का महत्व 
पौष माह की पूर्णिमा साल 2025 की पहली पूर्णिमा  है। कई साधक पूर्णिमा पर व्रत आदि भी करते हैं। इस दिन पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु देवी लक्ष्मी और सत्यनारायण भगवान की पूजा की जाती है।धार्मिक मान्यता के अनुसार पौष पूर्णिमा से मां लक्ष्मी अपनी अष्ट सिद्धियों को जागृत करती हैं और पृथ्वी पर भ्रमण करते हुए व्यक्ति को धन-धान्य प्रदान करती हैं। पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान और जरूरतमंदों में दान करने से सुख-समृद्धि का घर में आगमन होता है। मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा बरसाती हैं। वहीं, मां लक्ष्मी की पूजा से घर में धन-संपदा आती है। घर की आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगता है।

 









You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे


Related News



Comments

  • No Comments...

Leave Comments