संभल जिले में लैंड स्कैम, 114 प्लॉट की फर्जी बिक्री...घोटाले में बिल्डर भी शामिल

संभल जिले में लैंड स्कैम, 114 प्लॉट की फर्जी बिक्री...घोटाले में बिल्डर भी शामिल

उत्तर प्रदेश:  के संभल जिले में लैंड स्कैम का मामला प्रकाश में आया है. जिले के चंदौसी में स्थित ऐतिहासिक बावड़ी के पास करीब 114 प्लॉट की फर्जी बिक्री से संबंधित एक लैंड स्कैम का खुलासा हुआ है, जिसमें फर्जी वसीयत का इस्तेमाल कर प्लॉट का रजिस्ट्रेशन किया गया।

इसमें मुख्य तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोग शामिल हैं. वरिष्ठ जिला अधिकारी ने पूरे मामले की जानकारी दी है. अब प्लॉट के मालिकाना हक की जांच पुलिस और खुफिया एजेंसियों द्वारा की जा रही है. उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र मूल रूप से लक्ष्मणगंज इलाके का हिस्सा था, लेकिन जैसे-जैसे शहर विकसित हुआ, 'मुगलपुरा' नाम की एक नई कॉलोनी तैयार हो गई.

धोखाधड़ी और धमकी को लेकर FIR दर्ज

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक मोहम्मद यूसुफ सैफी की 54 वर्षीय विधवा गुलनाज़ बी, जिन्हें शुक्रवार को एक घंटे के नोटिस पर बावड़ी पर बने घर को खाली करने के लिए मजबूर किया गया था, उन्होंने आमना बेगम, उनके पति जहीरुद्दीन और अन्य पर धोखाधड़ी और धमकी जारी करने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई. चंदौसी पुलिस स्टेशन की इंस्पेक्टर रेनू सिंह ने पुष्टि की कि जांच चल रही है.

गुलनाज ने धमकी मिलने का किया दावा

शिकायत के मुताबिक, गुलनाज ने साल 2016 में आमना बेगम से 103 वर्ग किमी का प्लॉट खरीदा था. उन्होंने निर्माण के लिए प्रशासनिक मंजूरी ले ली थी, लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की खुदाई के दौरान बावड़ी निकलने के करीब तीन हफ्ते बाद शुक्रवार को उन्हें अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. गुलनाज़ ने दावा किया कि जब उसने आमना और उसके पति से संपर्क किया, तो उन्होंने उसके परिवार को धमकी दी.

मंदिर के पास पहले 80 बीघा लेकिन अब केवल 19 बीघा

अलग से, संभल के डीएम राजेंद्र पेंसिया और एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई के नेतृत्व में एक सर्वे में एएसआई-संरक्षित चंद्रेश्वर महादेव मंदिर की भूमि पर अतिक्रमण का पता चला. मंदिर के पास मूल रूप से 80 बीघे जमीन थी, लेकिन अब केवल 19 बीघे ही उसके नियंत्रण में है. चरागाह भूमि के रूप में वर्गीकृत 50 बीघे से अधिक भूमि को अनुचित तरीके से पट्टे पर दिया जाना पाया गया. परिसर में लगा एएसआई का साइनबोर्ड भी क्षतिग्रस्त हो गया.

भूमि रिकॉर्ड का होगा सत्यापन

बिश्नोई ने टीओआई को बताया, 'हमें गुलनाज की शिकायत मिली है. एक राजपत्रित अधिकारी तीन दिनों के भीतर भूमि रिकॉर्ड का सत्यापन करेगा, जिसके बाद एफआईआर पर विचार किया जाएगा. जमींदारी उन्मूलन के बाद 1952 के ऐतिहासिक रिकॉर्ड इन मामलों को सुलझाने के लिए मानक होंगे. पट्टे चंद्रेश्वर महादेव मंदिर की करीब 50 बीघे जमीन का दाखिल-खारिज किया जा रहा है और कार्रवाई चल रही है.'

घोटाले में प्रमुख बिल्डर भी शामिल

चंदौसी की एसडीएम निधि पटेल ने मामले को लेकर कहा, "निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए भूमि रिकॉर्ड की जांच की जा रही है. राजस्व अधिकारी बावड़ी और उसके आसपास से संबंधित दस्तावेजों को भी स्कैन कर रहे हैं, जिसमें बावड़ी के आसपास की 28 बीघे जमीन भी शामिल है." एक अन्य अधिकारी ने कहा कि घोटाले में एक प्रमुख बिल्डर की संलिप्तता की भी जांच की जा रही है।

150 साल पुरानी बावड़ी मिली

150 साल पुरानी मानी जाने वाली बावड़ी का पता 21 दिसंबर को लक्ष्मणगंज क्षेत्र में एक अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान लगाया गया था. यह बावड़ी लगभग 400 वर्ग मीटर में फैली हुई है और इसमें तीन मंजिल हैं - दो संगमरमर से बने हैं और एक ईंट से. साथ ही चार कक्ष और एक कुआँ भी है. एएसआई का मानना है कि बावड़ी के भीतर पाई गई सुरंग का इस्तेमाल ब्रिटिश राज के खिलाफ 1857 के विद्रोह के दौरान भागने के रास्ते के रूप में किया गया होगा।






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