आस्था व्यवस्था और भव्यता की त्रिवेणी है त्रिवेणी संगम, प्रयागराज में हों रहा महाकुंभ गोचर पर आधारित यह वैदिक रीति सनातन परम्परा की वैज्ञानिकता का प्रमाण है, विकास विरासत के साथ होंगा तों उसमे समग्रता है सम्पन्नता आनादि काल से हर बारह वर्ष में महाकुंभ होता है, परिस्तिथितियां बदलती रही कभी हम संपन्न तों विपन्न रहे, कभी राजा तों कभी गुलाम रहे ,आक्रांताओं का आतंक झेल, धर्म धार्मिक स्थानों पर विध्वंस झेला जजिया लेकर भी लोगों ने अपने आप कों गाजी की पदवी से नवाजा , धर्मांतरण का खुला खेल हुआ, तलवार के दम पर लोगों कों सलवार पहनाया गया , स्वर्ण पंडितों का कश्मीर में पूरा धर्मांतरण हुआ, देश के कई हिस्सों में स्वर्ण हिन्हू ब्राम्हण ,राजपूत ,जाट,गुज्जर जैसी अनेक जातियों कों धर्मान्तरित किया गया । हिन्दू से मुसलमान होने का कारण हिंदूओ की जाति प्रथा नही थी उसके पीछे खलीफा के नाम का फतवा पढ़ शासन करने वाले मुस्लिम शासक थे, जिन्होंने धर्म के नाम पर कतलों गैरत मचा हम पर शासन नही हमारा दमन किया, जनसंख्या सांख्यिकी जैसे -जैसे बदली वैसे -वैसे भारत के भू -भाग बटते रहे और हम कटते रहे, देश ने धार्मिक आधार पर बटवारा देखा ,फिर भी सहिष्णुता कभी नही देखा ,एक देश है पर कानून एक नही ,सामान नागरिक संहिता नही, संविधान सबके लिए सर्वोपरी क्यों नही है ? संविधान में समानता का अधिकार है तों फिर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ,वक्फ बोर्ड, वर्शिप एक्ट जैसे एकतरफा समानता के अधिकार के विरुद्ध प्रावधान क्यों नही है? एक तरफ़ा पसंदगी और नापसंदगी ने विरासत से दुरी सिर्फ विकास का ढिंढोरा कितना बजाया या सत्ता था इस असंतोष से हिन्दू समाज जागा, चेतना ने करवट ली हिन्दू अस्मिता का आगाज हुआ ,काशी कारीडोर,अयोध्या मंदिर के बाद,प्रयागराज का महाकुंभ उसकी बुलंद आवाज है, करपात्री महाराज के दमन से हिंदुत्व के दीप कों बुझाने की सारी कोशिशे असफल हों गए ।
मोदी युग के प्रभाव में योगी महाराज का कुशल प्रशासक के रूप में उदभव हुआ ,धर्म ध्वजा फिर शिखर में लहराई, हिन्दू जन मन ने धर्म की ली नई अंगड़ाई ,योगी मोदी की जुगलबंदी का ये दौर बताता है की ये हिन्दू अस्मिता का दौर है,मोदी पहले प्रधानमंत्री है जों हर हिन्दू संस्कार करते हुए अपने आप कों गौरवान्वित महसूस करते है, देश कों गौरव महसूस होता है ,महाकुंभ दिव्यता और भव्यता बता रही की कितने ऊँचे दृढ़ धार्मिक आस्था के साथ इसका आयोजन हो रहा ,महाकुंभ में कैबिनेट का स्नान और कैबिनेट की मीटिंग बताती है की सरकार विरासत के साथ विकास कर रही है, देश में तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों कों नेताओं कों तथाकथित बुद्धजीवियों कों सनातन से बैर है ,धर्मनिरपेक्षता की आड़ में सनातन के संस्कारों का विरोध उनका एक मात्र लक्ष्य है । अवैध घुसपैठियों के लिए टेसुए बहा रहे,विधवा विलाप कर रहे, इस देश में क्यों कोई अवैध घुसपैठिया रहे, क्यों हमारे संसाधनों पर ढाका डाले , ,यूपी के अकललेस नेता हर बात पर तंज कसते है ,महाकुंभ असफल हों जाए ऐसी रंज रखते है, कुंभ कों राजनीति का अखाड़ा बना रहे ।
कारसेवकों पर गोली चलाने वाले की मूर्ति स्थापित हो गई फिर भी उन्हें सनातनी कट्टर दिखते है,उपचुनाव हार गए अब विधानसभा चुनाव भी हारेंगे तय खुद अपनी हरकतों से कर रहे । अपने आप कों अकललेस साबित कर रहे, अकललेसों की पूरी फ़ौज है ,प्रदेश अलग ,नाव अलग काम सबके एक मुस्लिम प्रेम है ,योगी युग का अब विस्तार का दौर है ,उत्तर प्रदेश से बह रही सनातन की बयार है, सुशासन के रथ पर योगी सवार है, इतिहास गुजरात वाला ही होंगा इसके पुरे आसार है ।धर्म की निरंतरता निर्मल है ,सह अस्तित्व भारत की थाती रक्षाति,धर्मान्धता के रक्त से लाल है ,दिल्ली फतह की लड़ाई है, छोटा ही सही पर ये सत्ता की नही अस्तित्व की लड़ाई है,योगी लखनऊ की तहजीब जानते है, यूपी के अजीब व्यक्तित्वों कों कानून व्यवस्था के आगे नतमस्तक किया सरकार के भौकाल कों स्थापित किया । त्याग ,तपस्या मंजिल दिला ही देगी ,यूपी बदल गया, बदलना दिल्ली कों भी है,योगी का दिल्ली में होना और दिल्ली की जीत दोनों जरुरी है, केजरीवाल की वाल ढह रही, आलाप, प्रलाप ,प्रपंच भी नही चल रहा, सिर्फ सनातन की हवा बह रही, भगवे में रंगे योगी भगवा रंगेंगे दिल्ली कों डर यही आपकों सता रहा, डर में कुछ दुबके, कुछ दुत्कारे गए है, जी कहने वाले अब हकलाने लगे है ,पंजाब में अपना मान बिठा लिया,मान दिल्ली में अपना बैठ जाने का डर है, नियत का फेर घोटालों की कहानी जीत कों तरसेगी ,दिल्ली की जनता अपना भविष्य बदलेगी -------------हिन्दू अस्मिता दिल्ली भी जीतेगी
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल
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