दुनियाभर में कई ऐसे प्राकृतिक अजूबे हैं, जो हमें हैरान करते हैं. इन तमाम चीजों के बारे में जानने के लिए हमें सामान्य ज्ञान से जुड़ी किताबों का सहारा भी लेना पड़ जाता है, जो हमें ऐसे तथ्यों से अवगत कराता है, जिसके बारे में हमें कुछ पता ही नहीं होता. कुछ पल के लिए हम चौंक जाते हैं
हमारे देश भारत के बारे में ही सामान्य ज्ञान से जुड़ी कई ऐसी जानकारियां हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. उनके बारे में जानकर हैरानी होती है. बता दें कि भारत एक विविधतापूर्ण देश है. ऐसे में जिस तरह भारत के लोगों में भाषा, पहनावे और खान-पान में विविधता है, उसी तरह भौगोलिक दृष्टि से देश में कई विचित्र विविधताएं हैं.
भले ही हम अपने देश के बारे में बहुत कुछ जानते हैं, फिर भी कई तथ्य हम सभी के लिए अज्ञात हैं. जैसा कि हम सभी लगभग जानते हैं कि भारत में पहला सूर्योदय अरुणाचल प्रदेश में होता है, लेकिन इस बात से बहुत कम लोग वाकिफ हैं कि वो जगह कौन सी है.
ऐसे में अगर आपसे पूछा जाए तो क्या आप बता सकते हैं कि अरुणाचल प्रदेश में वह कौन सी जगह है, जहां भारत का पहला सूर्योदय होता है? शायद 90 प्रतिशत लोग नहीं बता पाएंगे. आज हम इस रिपोर्ट में जानेंगे उस जगह का नाम. बता दें कि इस प्रकार के प्रश्न अक्सर सामान्य ज्ञान से जुड़ी परीक्षा या क्विज में आते हैं.
आज हम आपको अरुणाचल प्रदेश के उस गांव का नाम बताएंगे, जहां पहुंचती है सबसे पहली धूप. साथ ही साथ यह भी बताएंगे कि वहां पर सूर्योदय और सूर्यास्त कब होता है. यकीन मानिए, जब आप यह जानेंगे तो आपकी आंखें फटी की फटी रह जाएंगी.
भारत में जिस स्थान पर सूरज की पहली किरण पड़ती है, उस गांव का नाम डोंग है. यह अरुणाचल प्रदेश का एक छोटा सा गांव है जो भारत, चीन और म्यांमार के ट्राय-जंक्शन पर स्थित है. आप इसे उत्तर-पूर्वी छोर पर स्थित भारत का पहला गांव भी कह सकते हैं. भारत में सबसे पहला सूर्योदय इसी गांव में होता है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव में सुबह तीन बजे तक सूरज की रोशनी पहुंच जाती है, यानी जब दिल्ली, मुंबई समेत देश के ज्यादातर हिस्सों के लोग गहरी नींद में होते हैं तो सूरज की पहली किरण डोंग वैली पर पड़ती है. सुबह 4 बजे तक यह पूरी तरह से रोशन हो जाता है और उसी समय से यहां के लोग अपने रोजमर्रा के काम में व्यस्त हो जाते हैं.
इतना ही नहीं, डोंग गांव में केवल 12 घंटे का दिन होता है. दोपहर के चार बजे, जब देश के अन्य हिस्सों में लोग चाय की तैयारी कर रहे होते हैं, तब इस गांव में रात हो जाती है. लोग उस समय रात के खाने और सोने की तैयारी भी करने लगते हैं.
डोंग गांव प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है. यह लगभग 1240 मीटर की ऊंचाई पर लोहित नदी और सती नदी के संगम पर स्थित है. यह गांव भारत की सीमा पर चीन और म्यांमार से सटा हुआ है. इस गांव की आबादी सिर्फ 35 लोगों की है. ये सभी झोपड़ियों में रहने वाले 3-4 परिवारों के ही सदस्य हैं.
अरुणाचल प्रदेश के PWD विभाग ने पास के वालोंग गांव में टूरिस्ट्स के रहने के लिए छोटी-छोटी झोपड़ी बना दी हैं, जिसके बाद अब यह देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है. सूरज की पहली किरण देखने के लिए कई पर्यटक इस गांव में आते हैं. वे गांव की एक चोटी पर खड़े होकर सूर्योदय का आनंद लेते हैं.
बता दें कि सूर्योदय के मामले में इस गांव की चर्चा पहली बार 1999 में हुई थी. इसके पहले तक यह माना जाता था कि भारत में सूर्य की पहली किरणें अंडमान के कंचल द्वीप पर पड़ती थीं. बाद में पता चला कि सूर्योदय सबसे पहले अरुणाचल प्रदेश की डोंग वैली में होता है, अंडमान में नहीं. इसके बाद यहां पर्यटकों, प्रकृति प्रेमियों और रोमांच के शौकीन लोगों का तांता लगना शुरू हो गया
इस गांव के सभी लोग खेती से जुड़े हैं. वे गांव में आने वाले टूरिस्ट्स को भोजन, नाश्ता और फल बेचकर अपनी जिंदगी गुजारते हैं. डोंग वैली में फिलहाल सुविधाओं का अभाव है. ऐसे में टूरिस्ट सुबह की पहली किरण देखने के लिए ही यहां आते हैं और गांव में कुछ घंटे बिताने के बाद वालोंग गांव लौट जाते हैं. अरुणाचल प्रदेश सरकार अब इस क्षेत्र को विकसित करने में जुटी है.
वालोंग वह गांव है, जहां भारत और चीन के बीच 1962 का भीषण युद्ध हुआ था. उस युद्ध के बाद से इस क्षेत्र में भारत की मजबूत सैन्य उपस्थिति है. वालोंग में पर्यटकों के लिए आवास और भोजन की सुविधा है.
उल्लेखनीय है कि वालोंग से 8 किमी की ट्रैकिंग करके डोंग गांव पहुंचा जा सकता है. डोंग घाटी के निकट किबिथू गांव में पूर्वी भारत की अंतिम सैन्य छावनी है. फिर इसके बाद चीन का इलाका शुरू हो जाता है।
Comments