जंगल की जमीन, मंगल भू माफियाओं का

जंगल की जमीन, मंगल भू माफियाओं का

बिलासपुर :  सैकड़ो एकड़ जंगल की जमीन का मालिकाना हक अवैध रूप से भू माफियाओं को हस्तांतरित किया गया, भू माफियाओं ने उस पर रिसार्ट अन्य इमारते खड़ी कर ली, क्या जमीन की यह बंदरबांट बिना राजनीतिक एवं प्रशासकीय संरक्षण के हुई है ।

जंगल की 145 एकड़ जमीन पर बिना अनुमति रिसार्ट बनाने के अलावा रिसार्ट तक आने-जाने के लिए सड़क भी बन गई। अचरज की बात ये तब भी वन विभाग के अलावा प्रशासन के अफसरों को भनक नहीं लग पाई। जंगल की जमीन पर खेती भी हो रही है और लोगों ने मकान भी बना लिया है। अब जाकर मामला कलेक्टर अवनीश शरण के संज्ञान में आया है।

प्रारंभिक जांच रिपोर्ट मिलने के बाद कलेक्टर ने इने टीएल की बैठक में रखने का निर्देश दिया था। कलेक्टर ने राजस्व अफसरों को पूरे मामले की जांच कर राजस्व रिकार्ड में छोटे-बड़े जंगल के झाड़ के रूप में दर्ज करने व बेदखली की कार्रवाई का निर्देश दिया है।इसके लिए कलेक्टर ने 15 दिन की मोहलत दी है।

कलेक्टर अवनीश शरण ने कोटा एसडीएम को पूरे मामले की जांच करने व रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में बताया है कि छोटे–बड़े झाड़ के जंगल के रूप में दर्ज तकरीबन 145 एकड़ जमीन या तो विलोपित पाए गए या फिर निजी खातों में अतिरिक्त रूप से दर्ज पाए गए। यह खेला रतनपुर तहसील के घासीपुर इलाके में हुआ है।

केंद्र सरकार के कानून के मुताबिक राजस्व मद में दर्ज छोटे–बड़े झाड़ के जंगल में बिना अनुमति कोई भी निर्माण नहीं किया जा सकता। घासीपुर गांव के राजस्व मद में जो जमीन जंगल के रूप में दर्ज है, वहां बिना अनुमति मकान,सड़क व रिसॉर्ट बनाए जा रहे हैं। जंगल की जमीन पर कब्जा कर खेती भी की जा रही है। धान और कोदों की फसल ली जा रही है।

 विधायक धर्मजीत सिंह ने विधानसभा में उठाया था मामला

तखतपुर विधायक धर्मजीत सिंह ने विधानसभा में यह मुद्दा उठाया था और पूछा था कि छोटे बड़े झाड़ के जंगल के कारण विकास कार्यों में आने वाली परेशानी को कैसे दूर किया जा सकता है। इनमें कई जमीनें ऐसी है जिनमें घास का एक टुकड़ा तक नहीं है पर वह छोटे बड़े झाड़ के जंगल के रूप में राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है। जिसकी वजह से वहां बिजली सब स्टेशन से लेकर कॉलेज भवन भी नहीं बन पा रहा है। कोटा ब्लॉक में प्रस्तावित फूड पार्क और शक्कर कारखाना इसी के चलते नहीं लग पाया। नगर निवेश मंत्री ओपी चौधरी ने इसमें सख्त कानून होने की मजबूरी जता दी थी।

 कोटा एसडीएम ने रिपोर्ट में दी चौंकाने वाली जानकारी

कोटा एसडीएम ने प्रारंभिक प्रतिवेदन पेश करते हुए बताया है कि ग्राम घासीपुर तहसील रतनपुर जिला बिलासपुर स्थित भूमि खसरा नंबर 6/1 में 121.87 एकड़ ( 74.00 रिकॉर्ड से विलोपित है एवं 47.13 एकड़ भूमि निजी में अतिरिक्त दर्ज है)।

खसरा नंबर 39/1 क रकबा 10.00 अतिरिक्त निजी मद में दर्ज है। खसरा नंबर 61/1 से 12.81 एकड़ भूमि अतिरिक्त दर्ज है। खसरा नंबर 64/1 से एक एकड़ निजी भूमि स्वामी के नाम पर दर्ज है। खसरा नंबर 67 से 0.91 निजी एवं 3 एकड़ अतिरिक्त दर्ज है। खसरा नंबर 68/1 से 9.11 एकड़ अतिरिक्त भूमि निजी मद में दर्ज है।

 इन बिंदुओं पर कलेक्टर ने मांगी रिपोर्ट

1– भू राजस्व संहिता की धारा 115 के नवीन संशोधन अनुसार प्रश्ननाधीन खसरा एवं अन्य अभिलेख में शुद्धिकरण हेतु प्रकरण दर्ज कर विधि सम्मत कार्यवाही की जाए।

2– संबंधित खसरा नंबरों के विरुद्ध विक्रय किए गए धान के रकबा एवं खातेदारों के सत्यता की जांच करें।

3– संबंधित क्षेत्र/ खसरा नंबरों का ग्राम एवं नगर निवेश बिलासपुर के मास्टर प्लान अंतर्गत सम्मिलित है अथवा नहीं? यदि सम्मिलित है तो उक्त खसरा नंबरों का वर्तमान भू– स्वामियों/ कब्जाधारियों द्वारा भूमि उपयोग मास्टर प्लॉन में दिए गए प्रयोजन अनुसार उपयोग किया जा रहा है अथवा नहीं? का जांच करें।

4– शासकीय भूमि के निजीअंतरण की वैधता/ सत्यता की जांच करते हुए अवैध अंतरण पर विधिसम्मत कार्यवाही करें।

5– मिसल, अधिकार अभिलेख,निस्तार पत्रक,एवं वाजिब उल अर्ज अभिलेख अनुसार खसरा एवं रकबा किस स्पष्ट मिलान किया जावे एवं निजी भू– स्वामियों का चिन्हांकन करते हुए शासकीय भूमि पर कब्जे की स्थिति में नियमानुसार कार्यवाही करें।









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