शार्क टैंक में पहुंचने वाली छत्तीसगढ़ की पहली महिला बनी ईशा झंवर

शार्क टैंक में पहुंचने वाली छत्तीसगढ़ की पहली महिला बनी ईशा झंवर

धमतरी :  धमतरी निवासी ईशा झंवर नेशनल टीवी में उद्योग को बढ़ावा देने के लिए आने वाले कार्यक्रम शार्क टैंक में पहुंचने वाली छत्तीसगढ़ की पहली महिला स्टार्टअप बन गई है। वह धमतरी में केमिकल फ्री टोमेटो केचप, इमली केचप, मेयोनेज़ खाद्य पदार्थ का उत्पादन कर रही है। इतनी कम उम्र में वह सफल उद्यमी की ओर अग्रसर है।

एकता राकेश झंवर की बेटी इशा ने रव‍िवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए अपने उपलब्धियां के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि जब वह कोटा राजस्थान में कोचिंग के लिए गई हुई थी तो पिज्जा,मोमोज, सॉस खाने की वजह से उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। जब वापस आई तो इसकी आदी हो चुकी थी। घर में इन सब चीजों का खाने पर मना किया। उनकी मां 10 साल शक्कर छोड़ चुकी है। जिसकी वजह से उनके मन में ख्याल आया कि आखिर उनके उम्र के लोगों को केमिकल युक्त यह सब चीज खाना पड़ रहा है तो उन्होंने कुछ ऐसा उत्पाद बनाने सोचा।इस बीच उनका चयन इंजीनियरिंग कॉलेज पंजाब में हो गया। कोविड के दौरान जब वापस ऑनलाइन पढ़ाई के लिए पहुंची तो इसमें वह आगे बढ़ने लगी। धीरे-धीरे ट्रायल किया और रिसर्च कराई। 172 ट्रायल और तीन रिसर्च के बाद उनका उत्पादन फाइनल हुआ।

उन्होंने बताया कि वह तीन चार प्रोडक्ट का उत्पादन कर रही है। जिसमें टोमेटो केचप, मेयोनेज़ पिज़्ज़ा पास्ता सॉस, ईमली सॉस जैसे उत्पादन जो बाजार से बिल्कुल हटकर है। मेयोनेज़ में पेक्टोटीन, काजू मिल्क, गुड़ मिलाई है। वह पूरी तरह से केमिकल फ्री है। इसी तरह कैचप में बाजार के उत्पाद में केमिकल कलर एवं अन्य चीजों को मिलाया जाता है जबकि उनके उत्पाद में गुड़, टमाटर पेस्ट, इलायची, काली मिर्च, लौंग है। यह एफएसएसएआई से मान्यता प्राप्त है उनकी फैक्ट्री लोहरसी में है। उनका उत्पाद ऑनलाइन रिपीट गुडडॉटकॉम और अमेजॉन पर उपलब्ध है

शार्क टैंक में पहुंचना बड़ी बात

शर्क टैंक में पहुंचने के मामले में उन्होंने बताया कि वह धीरे-धीरे अप्लाई करती गई। तीन चार राउंड के बाद वह फाइनल राउंड में पहुंची। सामने उद्यमी बैठे होते हैं और उनके उत्पाद को पसंद कर डील पक्का किया। वह शार्क टैंक में पहुंचने वाली छत्तीसगढ़ की पहली लड़की स्टार्टअप है। उनका उत्पादन 8 से 10 माह से जारी है। इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग करने के बाद आज वह इस फील्ड में अपने परिवार के सपोर्ट से आगे बढ़ रही है। 33 लाख का ग्रांट मिला है जिससे वह अपने उत्पादन को गति दे पा रही है। इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार, छत्तीसगढ़ सरकार और पंजाब सरकार का आभार भी व्यक्त किया है। उनकी इस उपलब्धि पर माहेश्वरी समाज के दीपक लखोटिया, राजेंद्र माहेश्वरी, गोविंद गांधी आदि ने बधाई दी है।









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