महाकुंभ का सफल दिव्य और अलौकिक आयोजन जैसा प्रयागराज में हुआ ,सभ्यता का मानव समागम 66 करोड़ से उपर श्रद्धालुओं ने संगम में पूण्य स्नान किया,विश्व धरोहर महाकुंभ का आयोजन यदि हिन्दू धर्म के आलावा किसी और धर्म का होता तों आयोजक अभी तक उस धर्म की शिखर पुरुष हो गए होते,पर आयोजन हिन्दुओं का था तों आलोचनाएं उनके हिस्से उतनी आ रही जीतने की व्यवस्था नही, व्यथा विपक्षियों की जातिविहीन श्रद्धालुओं का सैलाब एक ही घाट में स्नान करता है फिर भी जातिवाद का आरोंप, शताब्दियों से कुंभ ऐसा ही होता आ रहा ,जाति की जरूरत धर्म से ज्यादा राजनीति को है,और यही उनकी पीड़ा की वजह है, सुप्त हिन्दू समाज में चेतना का संचार राम जन्मभूमि आंदोलन से हुआ तों महाकुंभ से ये चेतना प्रतिष्ठित हुई स्थाई हुआ ।चेतना के इस संचार की माध्यम कई थे ,जिनका योगदान अतुलनीय एवम अविस्मरणीय है, वर्तमान नेतृत्व ने उसे पोषित पल्लवित कर उस मुकाम तक पहुँचाया, जहां सनातनियों को आत्मगौरव कि अनुभूति हुई,विदेशियों ने भी अपनी हिस्सेदारी निभाई संस्कृति को आत्मसात किया,देश विदेश में यह आयोजन सौम्य आयोजन बनकर उभरा जिसकी चमक और धमक पुरे विश्व में फैली।
प्रधानमंत्री ने राजनीति करते हुए भी धर्म ध्वजा उठाए रखी,हिन्दू भावनाओं को समझा पूरी सहिष्णुता के साथ बहुसंख्यक आबादी को धर्म से आबाद किया,योगी ने पूरी तन्मयता से उसे निभाया, विपक्षी इसी वजह से उनसे बेवजह की दुश्मनी निभा रहे ,साधुवाद की जगह उन्हें वाद -विवाद में उलझा रहे, लोकतंत्र में मतों की महत्ता सत्ता की चाहत संस्कारों को तिरोहित करने से ही पूरी नही होती, सरकार निभाने से सत्ता और मजबूत होती है,वर्तमान राजनीति परिदृश्य को यही कहता है पर जनता की नब्ज समझने में असफल विपक्षी नेता और बुद्धजीवियों का रुदन रुक नही रहा ,मुद्दे उनके औंधे मुंह गिरे संगम में बह गए,क्या देश ने मोदी ,योगी और उनकी सरकारों को वों सम्मान दिया जिसके वों अधिकारी थे ? ज्यादा प्रचार -प्रसार का आरोंप लगाने वाले विपक्षियों ने यदि यह आयोजन ( जों उनके बस की बात नही थी ) किया होता तों ना जानें कितने तारीफों के कसीदे पढ़े जाते,नीयत नही थी ऐसा नही था की उन्हें मौका नही मिला पर बिना नीयत के नियती ने उन्हें ये सौभाग्य नही दिया,सांड लाल रंग देखके भड़कता है,धर्म विरोधी मतंग सांडो को भगवा रंग भड़का देता है,करवट ले चुके जागृत हो चुके सामाज की स्पंदन सुनने समझने की जगह सत्ता का क्रंदन विपक्ष को बेबस करेगा ,गंगा की डुबकी से गरीबी दूर नही होती कहने वाले खरगे हिमांचल की सुक्खों सरकार सरकारी योजना के लिए हिन्दू मंदिरों से पैसे मांग रही ,अपनी गरीबी दूर करने मंदिरों के शरणागत हो रही, हिन्दू धर्म की उपेक्षा और उन्ही से अपेक्षा,वक्फ से क्यों नही मांगा पैसा क्या यही है धर्म निरपेक्षता ? वैसे खरगे खरा नही बोलते ये कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री ने बताया कुंभ को अद्भुत बताया संगम स्नान किया।
बिहार से भी श्रद्धालुओं का रेला संगम तट पर उमड़ा, तटबंध जातियों के टूट गए ,इस टूट से लालू के राजनीतिक अरमान टूट रहे कुंभ को फालतू कहने वाले सजायापता भर्ष्टाचारी लालू खुद बिहार की राजनीति में साबित होने वाले हैं फालतू ,बंगाल के पड़ोस में बांग्लादेश भाषायी और सांस्कृतिक विरासत एक ही फिर भी हिंदूओ का गमन बंगाल में चुनावी हिंसा धार्मिक ,असहिष्णुता की ममत्व विहीन मिशाल ममता को दिख नही रहा की बंगालियों ने भी महाकुंभ में स्नान किया आत्मगौरव को अंगीकृत किया ,महाकुंभ को मृत्युकुंभ बताने वाली ममता का यही बयान उनके राजनीतिक और सत्ता मृत्यु का कारण बनेगा,महाकुंभ से जगी नई बंगाली हिन्दू अस्मिता करवट लेगी ,सत्ता और सरकार बदलेगी,दिल्ली हार के बहाने ढूंढे जा रहे,केजरी के झूठों के संग बुद्धजीवी नाच रहे, कैग रिपोर्ट के खुलासे बुद्धजीवियों के खोजी पत्रकारिता पर तमाचा है,फिर भी AAP के तमाशों के सहचर बने बैठे है,ये बुद्धजीवी कैश फॉर वोट की प्रवृति इनकी अभी तक नही बदली, जिन बुद्धजीवियों के आगे कुतर्क परोसे जाते जों एकतरफा एजेंडा चलाते फिर भी क्यो बुद्धजीवी कहलाते कैसे अपने आप को बुद्धजीवी बताते,बिना समदर्शिता के मूल्याकंन जिसमे पुर्वाग्रह प्रभाव बताता है,इनमें है बुद्धि का आभाव,गंगोत्री से संगम तक गंगा साफ हो गई बिहार बंगाल को खुद साफ़ कर देगी ,भूरे बाल साफ करने कहने वाले लालू खुद सफाचट होने वाले ,ममत्वहीन ममता सत्ताहीन होंगी ,देव असुर अनादी काल से रहें है पुराण कहता है ,प्रवृति वही वाली दिखती ,अभी भी ये उनके बयानों में दिखता है ,सत्ता सम्मान की किसी धर्म के अपमान से कैसे मिलेगी ? न्याय में किसी की हार तों किसी की जीत होगी,सत्कर्मो की बढ़ाई नही कर सकते तों उनसे सत्ता की चढ़ाई भी नही होगी,कृतज्ञ हैं सनातनी मोदी योगी सरकारों के, कृतघ्नता विरोधियों की सनातनियों ने देख समझ ली,महाकुंभ से -------------------------------------- भगवा रंगा पूरा देश सिर्फ सियार छूटे
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल
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