शीतला अष्टमी : मां शीतला को क्यों लगाया जाता है बासी खाने का भोग?

शीतला अष्टमी : मां शीतला को क्यों लगाया जाता है बासी खाने का भोग?

 नई दिल्ली :  शीतला अष्टमी को बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व हर साल चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी होली के आठ दिन बाद मनाया जाता है। आमतौर पर मार्च या अप्रैल के महीने में होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल शीतला अष्टमी का व्रत शनिवार, 22 मार्च 2025 के दिन रखा जाएगा। यह तिथि पूर्ण रूप से मां शीतला की पूजा के लिए समर्पित है।

कहते हैं कि इस दिन (Shitala Ashtami 2025) देवी की आराधना करने से सभी प्रकार के रोग-दोष से मुक्ति मिलती है।

मां शीतला को क्यों लगाया जाता है बासी खाने का भोग? (Shitala Ashtami Par Kyon Lagta Hai Basi Khane Ka Bhog?) 

धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के अनुसार, शीतला अष्टमी पर बासी खाना खाने की परंपरा है, जिसे बसौड़ा या बसियौरा भी कहते हैं। यह दिन ठंड के समाप्त होने का प्रतीक है। कहा जाता है कि इस दिन शीतला माता को बासी खाने का भोग लगाना चाहिए और खुद भी बासी खाना ही प्रसाद के रूप में खाना चाहिए।

ऐसे में एक दिन पहले पवित्रता का ध्यान रखते हुए खाना बनाएं और व्रत वाले दिन देवी को यह खाना अर्पित करें। इसके साथ ही खुद भी खाएं।

ऐसा करने से माता रानी प्रसन्न होती हैं और निरोगी काया का आशीर्वाद देती हैं। साथ ही सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं।

शीतला माता शुभ मुहूर्त (Shitala Ashtami Shubh Muhurat Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 मार्च को सुबह 04 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 23 मार्च को सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए इस साल शीतला अष्टमी का व्रत शनिवार, 22 मार्च 2025 को रखा जाएगा। वहीं, इसका पारण अगले दिन सुबह पूजा-पाठ करने के बाद किया जाएगा।

 






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