उड़ता तीर ,तलवार भाला लेना तों सुना था पर कांग्रेस और गठबंधन सहयोगियों को उड़ता ताड़ का पेड़ लेने की आदत कैसे और कहां से पड़ी समझ से परे है ,विपक्षी गठबंधन का वर्तमान ठिठका हुआ और भविष्य भवंर में है ,अधरों पर बेआधार बयानों की झड़ी ,लड़ी कांग्रेस समा ने भारतीय क्रिकेट कप्तान रोहित शर्मा को ना सिर्फ मोटा कहा ,बल्कि उन्हें बेअसर भी बताया, संग बयानों की सौगात ले सौगत रॉय (TMC) भी आये,गनीमत है उन्होंने रोहित की जाति नही बताई, भारतीय टीम की जाति जनगणना नही करवाई,जिस कप्तना ने खेल के मायने बदले ,सफलता के कई आयाम छुए, जिसने देश को विश्व विजेता बनाया ,जों चैंपियंस ट्रॉफी जीतने की दौड़ में है ,उसे वों नेता कमतर बताने की होड़ में, जिनके नेताओं को खुद अपने मैदानों पर हार मिली ,अमेठी नंदीग्राम हारकर भी बने बैठे नेता है, वों वोटों के खातिर तुष्टीकरण के लिए देश के सपूतों के सम्मान से खेल रहे । पाकिस्तान की हार इन्हें सहन नही हो रही, जिन्होंने गली क्रिकेट नही खेला वों सर्वज्ञ बन विश्व क्रिकेट का स्तर तय कर रहे ,अपना स्तर नही देख रहे, ताड़ लेने वाले बहुतेरे है कांग्रेस ,सपा ,राजद,टीएमसी गठबंधन के सारे सहयोगी एक से है।
उड़ता ताड़ केजरी ने लिया बुद्धजीवियों ने उसे राजनीति ही नही सिखाई बेशर्मी और बेहयाई का पूरा पाठ पढ़ाया, दिल्ली की हार पच नही रही केजरी से ज्यादा बुद्धजीवियों को खल रही,काले कारनामों खुल रहे, कैग रिपोर्ट ना विधानसभा में पेश करने का असंवैधानिक कृत्य कर संविधान की दुहाई दे रहे,स्टूडियो में बैठ जनता की नब्ज समझने का फूहड़ खेल कर रहे,प्रवक्ताओ ने फूहड़ता और कुतर्कों से गढ़े वाक्यों के साथ अपने वक्ता ना होने का प्रमाण दिया, जनता ने उन्हें वैसा परिणाम दिया। हार तों हार है फिर भी 4% मतों के अंतर को 2% बता रहे,43% मतों का घमंड दिखा रहे,पंजाब में हजार रूपये महिलाओं को दिया नही ,दिल्ली में तीन दिन में ही भाजपा से 2500 का सवाल पूछ रहे ? आँखों से काजल विहीन हो केजरी बुद्धजीवियों के आज भी आँखों के तारे बने हुए हैं, उड़ता ताड़ का पेड़ मृत्यु कुंभ का बयान भी था, बंगाल चाहे वों बांग्लादेश हो या फिर पश्चिम बंगाल मुखिया चाहे युनुस हो या ममता हिंदूओ को रहना ही है दुखिया ,चाहे बांग्लादेश में हिन्दू अल्पसंख्यक हो या पश्चिम बंगाल में बहुसंख्यक ,उन्हें मिलनी है सिर्फ प्रताड़ना,प्रताड़ित हिंदूओ की प्रतिक्रिया चुनावी समय के इंतजार में है,ममत्वहीन ममता सत्ताहीन होने के कगार पर है।
ताड़ के बड़े खिलाड़ी है लालू बता रहे कुंभ को फालतू ,जिसने स्कूली शिक्षा ग्रहण करने में अपने को फिसड्डी साबित किया वों बुद्धजीवियों के लिए बिहार में राजनीति का सबसे बड़ा खिलाड़ी ,लालू पुत्र होने के आलावा नही और कोई उसकी थाती,एनडीए में झगड़े की जड़ खोज रहे ,बिहार में खुद भीषणतम झगड़े की ओर बढ़ रहे ,ना राजद को 70 सीटें कांग्रेस को देनी है, ना कांग्रेस को उससे कम में मानना है,चुनाव के पहले गठबंधन ने अपने को विजयी माना है, फालतू की महत्वाकांक्षा पाले लोगों को जीत ना फालतू मिलनी है ,फालतू कुंभ कहने का परिणाम भोगना है,कुंभ के लिए बिगड़े बोल अकललेस ने भी खूब बोले, उचक -उचक के ताड़ लिए यूपी की जनता ने ताड़ दिया, मिल्कीपुर ने हरा दिया, ताड़ना अभी जारी है ,27 अभी बाकी है,तीर की जगह ताड़ लेने की परम्परा छत्तीसगढ़ में भी जारी है ,दारु महंगी से सस्ती हो गई पर महतारी वंदन योजना सिर्फ हजार वाली है,छत्तीसगढ़ की महतारियों का प्रेम कम है ,या वंदन के चंदन की कमी है, जों देश में सबसे कम से कम महिला सम्मान की राशि छत्तीसगढ़ में है,दिल्ली के इशारों को ना समझना सरकारी भूल है,जाँच जारी है ,जमानत हो रही है,प्यादे फंदों से निकल रहे, फिर पूर्ववर्ती का क्या होगा?घोटालों की सिर्फ जाँच होगी या फिर न्याय भी होगा ? न्याय देरी से मिले तों वों भी न्याय नही होता, बिना न्याय के कभी सुशासन कायम नही होता,उड़ता तीर लेना ठीक नही होता फिर तों --------------------------------------आप उड़ता तीर नही ताड़ (पेंड़) ले रहे दर्द आपार ले रहे....
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल
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