CRPF: महिला आईपीएस की 74 अफसरों पर रही टेढ़ी नजर, जांच के घेरे में आ गए थे सीआरपीएफ के 71 अफसर

CRPF: महिला आईपीएस की 74 अफसरों पर रही टेढ़ी नजर, जांच के घेरे में आ गए थे सीआरपीएफ के 71 अफसर

देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल 'सीआरपीएफ' में बतौर प्रतिनियुक्ति पर तैनात तेलंगाना कैडर की एक महिला आईपीएस अधिकारी, जो मौजूदा समय में आईजी के पद तैनात हैं, उनसे जुड़ी एक शिकायत बल मुख्यालय सहित कई एजेंसियों के पास पहुंची थी। शिकायत में कई तरह के गंभीर आरोप लगे थे। उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों के लिए मंजूर सीक्रेट फंड का दुरुपयोग कर उसे शेयर मार्केट में लगाया गया। इसके लिए देश विदेश में मुखौटा कंपनियां बनाई गई। सीआरपीएफ मुख्यालय द्वारा अब सीवीसी के नियमों के तहत उक्त महिला आईपीएस पर लगे आरोपों का पता लगाया जा रहा है। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, महिला आईपीएस की अपनी कार्यकाल के दौरान 74 अफसरों पर टेढ़ी नजर रही थी। उनके कार्यकाल के दौरान सीआरपीएफ के 68 और सीआईएसएफ के 3 अफसर जांच के घेरे में आ गए थे। सीआरपीएफ में कमांडेंट एवं उससे ऊपर के रैंक वाले अफसर महिला आईपीएस के निशाने पर रहे थे।


पिछले सप्ताह सीआरपीएफ के एडीजी साउथ जोन के कार्यालय को उक्त महिला आईपीएस की तरफ से 45 दिन का अर्जित अवकाश मंजूर करने का आवेदन मिला था। विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि अर्जित अवकाश मंजूर कर लिया गया है। खास बात है कि तेलंगाना कैडर की महिला आईपीएस को अपने मूल कैडर में 2 अप्रैल 2025 तक वापस जाना है। सूत्र बताते हैं कि एडीजी साउथ जोन द्वारा यह छुट्टी, सीआरपीएफ महानिदेशालय की स्वीकृति के बाद ही मंजूर की गई है। महिला आईपीएस के कार्यकाल में सीआरपीएफ के दर्जनों अफसरों के खिलाफ जांच प्रारंभ कराई गई थी। जांच के दायरे में सीआरपीएफ के 71 अधिकारी और सीआईएसएफ में 3 अफसर शामिल रहे।

महिला आईपीएस के निर्देशन में सीओ और उससे ऊपर के रैंक वाले अधिकारी, पूछताछ के दायरे में आए थे। 2021-22 के दौरान, महिला आईपीएस के निर्देशन में 23 अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिक जांच की फाइल को सीआर एंड विजिलेंस को संदर्भित किया गया। हालांकि विभागीय जांच, केवल कुछ ही मामलों में प्रारंभ हो सकी थी।

विभाग के सूत्र बताते हैं, जिन अधिकारियों के खिलाफ जांच प्रारंभ कराई गई, उन पर लगे आरोपों को साबित करने के लिए कथित तौर से जाली दस्तावेज बनाने की कोशिश भी की गई। दूसरे तरीकों से भी उन मामलों में जबरन एक्शन कराने की बात सामने आई। पिछले दिनों यह मामला सीआरपीएफ अधिकारियों के संज्ञान में आया था। हालांकि शिकायतकर्ता ने पत्र में अपना नाम नहीं बताया था, इसलिए उक्त पत्र पर कार्रवाई होगी या नहीं, इस पर संशय बना रहा। महिला पर लगे आरोपों से जुड़े जब लगातार कई मामले सामने आए तो सीआरपीएफ मुख्यालय को यह बात कहनी पड़ी कि इस केस की जांच की जा रही है। लिहाजा इस मामले से जुड़ी शिकायतें सीवीसी के पास भी पहुंची थी। सीवीसी किसी भी जांच के लिए तभी कहता है, जब उसके पास पुख्ता सबूत हों। इस मामले में कहा गया कि उक्त शिकायत व्हाट्सएप संदेशों के जरिए वायरल हो रही थी। शिकायतकर्ता का नाम भी नहीं था। इस मामले में हवाला एंगल और मुखौटा कंपनियों के शामिल होने की बात भी सामने आई है।

सीआरपीएफ में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। सभी जवानों की ओर से बल के डीजी तक अप्रत्यक्ष तौर से यह संदेश पहुंचाया जा रहा है कि इस केस की निष्पक्ष जांच कराई जाए। जम्मू-कश्मीर में सेवा देने वाली एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा 14 करोड़ की भारी धन राशि के दुरुपयोग का खुलासा हुआ है। यह अत्यधिक चिंता का विषय है। यह धन हमारे जवानों और देश का है। जवानों ने बल के डीजी से निवेदन किया है कि इस केस में जो भी दोषी हो, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई हो।

शिकायत में लिखा है कि महिला आईपीएस आईजी ने किस तरह से जम्मू कश्मीर में अपनी तैनाती के दौरान सीआरपीएफ में राशन खरीद के जरिए और सीक्रेट फंड का दुरुपयोग कर शेयर मार्केट में पैसा लगाया है। इस बाबत बल मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, हां शिकायत तो है, मगर भेजने वाले का नाम नहीं है। शिकायत में महिला आईपीएस अधिकारी पर कई तरह के आरोप लगे हैं। सीआरपीएफ में प्रतिनियुक्ति पर आई अधिकारी ने शेयर और स्टॉक में करीब चार करोड़ रुपये का निवेश किया है। इसके लिए फर्जी कंपनी बनाई गई। यह बात भी शिकायत में लिखी है कि वह महिला अधिकारी, छह-सात वर्ष पूर्व सीआरपीएफ में प्रतिनियुक्ति पर आई थीं। वित्तीय वर्ष 2019-20 तक उक्त अधिकारी के आयकर रिटर्न में कोई भी लंबी अवधि या छोटी अवधि के दौरान शेयरों से कोई कमाई नहीं दिखाई गई है। म्यूचुअल फंड खरीदने की कोई वित्तीय क्षमता नजर नहीं आई। ये सब बातें शिकायत में कही गई हैं।

उग्रवाद ग्रस्त क्षेत्र में तैनाती के दौरान उक्त महिला अधिकारी के नियंत्रण में पर्याप्त मात्रा में सीक्रेट सर्विस फंड रहा था। यह भी आरोप है कि उस क्षेत्र में बल की सभी यूनिट, बटालियन व ग्रुप सेंटर के लिए राशन की सिंगल वेंडर से खरीददारी की गई। शिकायत में लिखा है कि 2020-21 के दौरान इस फंड से चालीस लाख रुपये म्यूचुअल फंड में निवेश किए गए। चार लाख से ज्यादा डिविडेंट मिला। इसे आयकर रिटर्न में वेतन के अलावा अन्य स्त्रोत से हुई आय के तौर पर दिखाया गया है। एमएस डिवाइस अर्थ, नाम से बंगलुरु में कंपनी खोली गई। इसे लोन दिया गया। करीब डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक की आय हुई। इसे भी आयकर रिटर्न में दिखाया गया है। कहा गया है कि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी वालों को अगर कर्ज लेना होता है तो वह निदेशक से लेंगे या निकटवर्ती रिश्तेदारों से।

इसमें बहुत करीबी लोग भी शामिल हैं। शिकायत में यह आरोप लगा है कि यह एक मुखौटा कंपनी है। इस कंपनी की स्थापना दिसंबर 2018 में हुई। सोना बाथ, स्टीम बाथ, सलून से संबंधित सामग्री, मसाज रूम, एस्ट्रोलोजिकल, मेरिज ब्यूरो, शूज साइनर, कुली सप्लाई करने वाला, वेले कार पॉर्कर, सिक्का डालकर फोटो निकालने वाली मशीन, ये सब सेवाएं, इस कंपनी की सर्विस में दिखाई गई हैं। हालांकि इसके लिए बड़े पैमाने पर गोदाम की जरुरत होती है। वह कहां पर स्थित है, शिकायत में इसका कोई जिक्र नहीं किया गया है। शिकायत के मुताबिक, दो नजदीकी रिश्तेदार इस कंपनी को चला रही हैं। वे आपस में बहन बताई गई हैं।

खास बात है कि दोनों बहनों में से एक बहन, उक्त महिला अधिकारी पर निर्भर है। दोनों ने मिलकर लगभग एक करोड़ चालीस लाख रुपये लगाए। दूसरी बहन की आय का स्त्रोत क्या है। ये पता नहीं चल सका है। कंपनी में दोनों बहनों का शेयर होल्डर बीस प्रतिशत है। इसका मतलब शेल कंपनी में उक्त महिला अधिकारी लाभकारी डायरेक्टर है। यह अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968, के खिलाफ है। कोई भी सरकारी अधिकारी, लाभ का पद नहीं ले सकता।

शिकायत में कहा गया है कि यह कंपनी, खुद को नुकसान में भी दिखाती है। वजह, ये धन शोधन कंपनी है। इसका न कॉरपोरेट आफिस है, न गोदाम है और न ही कोई रजिस्ट्रड एड्रेस है। 2022-23 का असेसमेंट ईयर आईटीआर जुलाई 2022 में फाइल किया गया है। इसमें लांग टर्म केपिटल गेन 31 लाख रुपये दिखाया है। लगभग 42 लाख रुपये के शेयर खरीदे गए, जिन्हें करीब 73 लाख रुपये में बेच दिया गया। शिकायत में लिखा है कि ऐसा लाभ कमाने वाली वे एकमात्र अधिकारी होंगी। पहले ही वर्ष में इतना कमा लेना आसान नहीं होता। ये काले धन को सफेद बनाने का एक तरीका है।

शिकायत में लिखा है कि 2020-21 और 2021-22 के दौरान लगभग दो करोड़ आठ लाख रुपये शेयर में निवेश किए गए। आईटीआर में लिखा है। इसमें से 42 लाख रुपये के शेयर बेच दिए गए। बाकी एक करोड़ 66 लाख रुपये बच गए। उक्त अधिकारी का वेतन तो इतना नहीं है। ऐसे में दो करोड़ आठ लाख रुपये कहां से आए। आय के स्त्रोत की सही व्याख्या नहीं की गई है। 2022-23 के वित्तीय वर्ष में लगभग एक करोड़ 30 लाख रुपये, शेयरों में निवेश किए गए। 2022-23 के वित्तीय वर्ष में ही लगभग एक करोड़ 30 लाख 82 हजार रुपये में बेच दिए गए। आईटीआर में इसे 2023-24 के असेसमेंट ईयर में दिखाया गया है।

शिकायत के मुताबिक, इन सभी का स्त्रोत कहां है, क्या है, ये किसी को नहीं पता। इसके बाद 2023-24 में लगभग 54 लाख रुपये के शेयर खरीदे गए, जिन्हें उसी वर्ष में करीब 61 लाख रुपये में बेच दिया गया। ये सब जानकारी आईटीआर में दी गई है। बाकायदा पेन नंबर भी लिखा है। शिकायत के अनुसार, 2023-24 में स्टेट बैंक में 35 लाख रुपये की एफडी कराई गई। दो लाख रुपये से ज्यादा ब्याज मिला। तीन बैंकों के साथ लेन देन बताया गया है। वित्त वर्ष 2021-22 से लेकर 2023-24 तक कुल 4 करोड़ रुपये शेयरों में निवेश किए गए। इसके अलावा 35 लाख रुपये की एफडी भी थी। यह सब, उक्त महिला आईपीएस के तय वेतन से बहुत ज्यादा था। करीब 99 लाख रुपये शेल कंपनी में निवेश होने का आरोप है।

दूसरी तरफ एक बैंक खाते में कोई खर्च भी नहीं दिख रहा। सरकारी नियमों के अनुसार, किसी अधिकारी द्वारा ऐसा करना, अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 के खिलाफ है। शिकायत के अनुसार, महिला अधिकारी ने अपने वेतन से कोई निवेश नहीं किया है। आरोप है कि सारा पैसा राशन खरीद के कथित कमीशन और सीक्रेट फंड के दुरुपयोग से मिला है। ये सब कुछ रिकॉर्ड पर है।

महिला अधिकारी ने लव यू जिंदगी नाम से कोर्स शुरु कराया, जिसकी मंजूरी बल मुख्यालय से नहीं ली गई। इस कोर्स में कई प्रवक्ताओं को बुलाया गया। यहां पर फंड के दुरुपयोग के आरोप लगे। सिविक एक्शन फंड में दुरुपयोग की बात कही गई है। शिकायत के मुताबिक, सर्विस और ट्रेनिंग के लिए सामान वहीं से खरीदा जाता था, जहां से मैडम कहती थी। आईटीआर की कॉपी से सभी आरोपों का मिलान किया जा सकता है। कथित धन शोधन कंपनी की वित्तीय स्टेटमेंट की जांच की जा सकती है। महिला आईपीएस की 74 अफसरों पर रही टेढ़ी नजर, जांच के घेरे में आ गए थे सीआरपीएफ के 71 अफसर









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