नई दिल्ली : वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार 07 मार्च यानी आज फाल्गनु माह की अष्टमी है। यह दिन पूर्णतया जगत की देवी मां दुर्गा को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर जग की देवी मां दुर्गा की पूजा की जा रही है। साथ ही साधक मनोवांछित फल पाने के लिए व्रत रख रहे हैं। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।
ज्योतिषियों की मानें तो फाल्गुन माह की अष्टमी तिथि पर दुर्लभ प्रीति और आयुष्मान योग का संयोग बन रहा है। साथ ही कई अन्य मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक पर मां भवानी की कृपा बरसेगी। आइए, पंडित हर्षित शर्मा जी से जानते हैं आज का पंचांग और शुभ मुहूर्त (Today Puja Time) के विषय में।
आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 07 March 2025)
अशुभ समय
दुर्गा अष्टमी शुभ मुहूर्त (Durga Ashthmi Shubh Muhurat)
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि आज यानी 07 मार्च को सुबह 09 बजकर 18 मिनट तक है। साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर देवी मां दुर्गा की पूजा कर सकते हैं।
दुर्गा अष्टमी शुभ योग (Durga Ashthmi Shubh Yoga)
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। प्रीति योग संध्याकाल 06 बजकर 15 मिनट तक है। इसके बाद आयुष्मान योग का संयोग है। आयुष्मान योग पूर्ण रात्रि तक है। इसके साथ ही शिववास योग का भी संयोग बन रहा है। इन योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलेगा। साथ ही साधक पर मां दुर्गा की कृपा बरसेगी।
ताराबल
भरणी, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती
चन्द्रबल
वृषभ, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन
मां दुर्गा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
देवी स्तोत्र
वन्दे वांच्छितलाभायचन्द्रर्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलुधराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णास्वाधिष्ठानास्थितांद्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
धवल परिधानांब्रह्मरूपांपुष्पालंकारभूषिताम्॥
पद्मवंदनापल्लवाराधराकातंकपोलांपीन पयोधराम्।
कमनीयांलावण्यांस्मेरमुखीनिम्न नाभि नितम्बनीम्॥
तपश्चारिणीत्वंहितापत्रयनिवारिणीम्।
ब्रह्मरूपधराब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
नवचक्रभेदनी त्वंहिनवऐश्वर्यप्रदायनीम्।
धनदासुखदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रियात्वंहिभुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदामानदा,ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्।
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