जेएस यूनिवर्सिटी का सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा,100 सीटों की मान्यता, बांटीं 2067 डिग्रियां...

जेएस यूनिवर्सिटी का सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा,100 सीटों की मान्यता, बांटीं 2067 डिग्रियां...

उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश के शिकोहाबाद की जेएस यूनिवर्सिटी से वर्ष 2022 में कुल 2067 अभ्यर्थियों ने बीपीएड की डिग्री से हांसिल की थी। यूनिवर्सिटी ने भी अपने मानकों से कई गुना अधिक फर्जी डिग्रियां अभ्यर्थियों को बांटी थीं।यूनिवर्सिटी पर शिकंजा कसने का एक मुख्य कारण यह भी रहा। एसओजी टीम ने फर्जी डिग्रियों के साथ-साथ कालातीत शैक्षिक सत्रों की डिग्रियां भी कब्जे मेंं ली। यूनिवर्सिटी से बैक डेट की डिग्रियां बनवाने वाले 16 अन्य दलाल भी गिरफ्तार हुए हैं। एसओजी की जांच भी जारी है। इस पूरे फर्जीवाड़े में कई अन्य लोगों पर भी शिकंजा कसा जाना तय है।


राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड-2022 में शारीरिक शिक्षा अध्यापक भर्ती परीक्षा की वैकेंसी निकली थी। जिसमें कुल 5390 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। जिनमें से 2067 अभ्यर्थियों के पास जेएस यूनिवर्सिटी से हांसिल की गई बीपीएड की डिग्रियां थीं। जबकि यूनिवर्सिटी के पास शिक्षा सत्र के लिए मात्र 100 सीटों की ही मान्यता थी। एक ही शैक्षिक सत्र में मानक से अधिक डिग्री जारी होने की भनक लगने के बाद एसओजी ने इस पूरी जालसाजी पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था।

जयपुर एसओजी के एडिशनल एसपी धर्माराम ने बताया कि कुलपति सुकेश यादव ने अपनी यूनिवर्सिटी का नाम अपने पिता जगदीश सिंह के नाम पर रखा था। एसओजी की हिरासत में आया अभियुक्त अजय भारद्वाज इस यूनिवर्सिटी से हजारों छात्रों को विभिन्न कोर्सेज की फर्जी तरीके से बैक डेट में डिग्रियां दिलवा चुका था। इसके अलावा पेपर माफिया भूपेन्द्र सारण के घर से फर्जी डिग्रियां एसओजी टीम ने बरामद होने के मामले में अभियुक्त अजय भारद्वाज पूर्व में 647/2022 पुलिस थाना करणी विहार, जयपुर में भी गिरफ्तार किया था।

यह अपने साथियों के साथ मिलकर एकलव्य ट्राईबल यूनिवर्सिटी (पूर्व सुधासागर यूनिवर्सिटी) व अनंत इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी मेघालय स्थापित करने जा रहा था। एडिशनल एसपी के अनुसार पूर्व की भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक माफियाओं ने अयोग्य अभ्यर्थियों को बड़ी रकम लेकर निजी यूनिवर्सिटी से बैक डेट में डिग्रियां दिलवाईं थीं। साथ ही अनुचित तरीके से नौकरियां भी दिलवाने में सहयोग किया था। इस कार्य के लिए जेएस यूनिवर्सिटी पेपर लीक गैंग के सदस्यों के बीच में कुख्यात थी।

उन्होंने बताया कि परीक्षा में चयनित अभ्यर्थिया सुमन भारी जिसने आवेदन के समय बीपीएड कोर्स में शिक्षा सत्र 2020-22 में अध्यन्नरत होना बताया था। जबकि चयन के बाद उसने शिक्षा सत्र 2017-19 की जेएस यूनिवर्सिटी से बीपीएड की डिग्री लगाई थी। उसने अपने पति मंदीप कुमार से कहकर दलालों के जरिये बैक डेट में प्राप्त कर पीटीआई की नौकरी प्राप्त की थी। सुमन भारी का पति मंदीप कुमार इस समय शिक्षा विभाग में यूडीसी के पद पर कार्यरत है, वह अभी न्यायिक अभिरक्षा में चल रहा है। उक्त सभी लोग इस मामले में गिरफ्तार किये जा चुके हैं। अब इस गैंग के अन्य लोगों की तलाश जारी है।

एडिशनल एसपी धर्माराम ने बताया कि फर्जी डिग्रियों के मामले में जेएस यूनिवर्सिटी की सबसे अधिक डिग्रियां मिली थीं। पेपर लीक माफियाओं के बीच यूनिवर्सिटी कुख्यात थी। जिसने मोटी रकम लेकर मानकों से भी अधिक डिग्रियां बांटी थीं। अभी इस पूरे रैकेट के अन्य सदस्यों की तलाश की जा रही है। जल्द ही इस पूरे रैकेट का पर्दाफाश किया जाएगा।









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