दुर्ग जिले के भारत माला प्रोजेक्ट के 200 करोड़ का भुगतान संदेह के घेरे में

दुर्ग जिले के भारत माला प्रोजेक्ट के 200 करोड़ का भुगतान संदेह के घेरे में

दुर्ग जिले के भारत माला प्रोजेक्ट में 200 किसानों का मुआवजा निर्धारण में स्थानीय प्रशासन ने दोहरा मापदंड अपनाया। ढ़ाई साल पहले यानी वर्ष दिसंबर 2022 में किसानों के मुआवजा का निर्धारण वर्ग फीट के हिसाब से किया।

उसके बाद अब वर्ष 2024 में किसानों का मुआवजा प्रकरण हेक्टेयर दर के हिसाब से कर दिया गया है।

जिसकी वजह से किसी किसान को एक साइज की जमीन की लाखों रुपए का मुआवजा दिया जा रहा है तो दूसरे किसान को हजार रुपए। इस दोहरे मापदंड की वजह से किसान हाईकोर्ट और स्थानीय राजस्व अधिकारी के दफ्तर का चक्कर काट रहे हैं। पूरे मामले में करीब 200 करोड़ रुपए भुगतान संदेह के दायरे में है। भारतमाला प्रोजेक्ट में अफसरों ने ही बड़ा खेला कर दिया। अपनों को भूमि अर्जन की मुआवजा राशि का लाभ दिलाने के लिए सेंट्रल गर्वमेंट के नियम को ही बदला और उस हिसाब से करोड़ों रुपए का भुगतान हो गया। यह गफलत दुर्ग जिले के थनौद से उतई तक के किसानों का भू अर्जन मुआवजा भुगतान में किया गया।

इस तरह हुआ खेला

भारत माला प्रोजेक्ट के तहत वर्ष 2017-18 में भू अर्जन पुरई के पटवारी हल्का नंबर 40 तहसील दुर्ग थनौद से उतई तक किसानों की जमीन भूअर्जित की गई। थ्री डी प्रकाशन के बाद कुछ नामांकित चहेतों को वर्ष 2019 में 500 वर्ग फुट से कम अर्जित भूमि का मुआवजा निर्धारण चार गुणा दर से किया गया। इसकी वजह अफसरों ने किसानों को यह बताया कि इनका नक्शा बटांकन हो चुका है। इस बीच छत्तीसगढ़ कांग्रेस की सरकार ने रजिस्ट्री में 30 प्रतिशत छूट दी। इसके आड़ में यह खेला कर दिया कि जिन किसानों की जमीन का नक्शा बटाकंन नहीं हुआ था, उन्हे हेक्टेयर के हिसाब से दो गुणाांक में भुगतान कर दिया।









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