विदेशी पक्षियों ने अब तक प्रयागराज संगम पर डाल रखा है डेरा, वैज्ञानिक भी हैरान

विदेशी पक्षियों ने अब तक प्रयागराज संगम पर डाल रखा है डेरा, वैज्ञानिक भी हैरान

प्रयागराज में महाकुंभ के समापन के 15 दिन बाद भी संगम और उसके आसपास के जलीय जीवन और वायु की गुणवत्ता के संकेतों ने जीव वैज्ञानिकों के होश उड़ा दिए हैं।

क्योंकि फरवरी के आखिरी हफ्ते तक संगम से हर साल विदा हो जाने वाले विदेशी परिंदें अबतक यहीं मौजूद है। जिसे देखते हुए पर्यावरण विज्ञानियों ने राहत की सांस ली।

प्रयागराज के संगम तट पर दिसंबर के महीने में हर साल आने वाले विदेशी परिंदों की फरवरी तक मौजूदगी रहती है। लेकिन इस बार ये विदेशी मेहमान 15 मार्च तक अभी संगम के तट से विदा नहीं हुए हैं। पक्षी विज्ञानियों का मानना है कि यह संगम जल की शुद्धता का प्रतीक है।

प्रदूषण मुक्त जल और वायु की स्थिति पर मुहर

जलीय जीवन और पक्षियों के अंतर्संबंधों पर शोध (Research on bird interactions) कर रहे जीव वैज्ञानिक प्रोफेसर संदीप मल्होत्रा का कहना है कि, लारस रीडिबंडस प्रजाति के ये विदेशी परिंदे रूस, साइबेरिया और पोलैंड जैसे ठंडे देशों से हर साल दिसंबर के आखिरी हफ्ते में संगम की धरती पर जमा हो जाते हैं, जो फरवरी खत्म होने तक यहां रहते हैं।

भोजन और प्रजनन के लिए 7 समंदर पार से आने वाले ये विदेशी परिंदे प्रदूषण के अच्छे संसूचक माने जाते हैं। प्रदूषण मुक्त जल में पलने वाले जीवों को खाकर रहने वाले ये पक्षी प्रदूषण मुक्त हवा में ही सांस ले सकते हैं। फरवरी के आखिरी हफ्ते से 15 दिन का समय गुजर जाने पर इनकी भारी संख्या में मौजूदगी इस बात का संकेत दे रही है कि संगम के जल और वायु में दिसंबर से इनके अनुकूल स्थिति बनी हुई है। यही बात यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में भी सामने आई है।

गंगा में रिवर डॉल्फिन की बढ़ी आबादी

गंगा नदी में डॉल्फिन की मौजूदगी और उनकी बढ़ती आबादी को भी गंगा नदी के जल के प्रदूषण से जोड़ कर देखा जाता है। विश्व वन्य जीव दिवस 3 मार्च 2025 को पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, गंगा नदी में 6,324 डॉल्फिन और सिंधु नदी में तीन डॉल्फिन हैं। वहीं 2021 के पहले गंगा की मुख्य धारा में औसतन 3,275 डॉल्फिन थी। इसमें भी ज्यादा डॉल्फिन यूपी में पाई गई। इसके अलावा फतेहपुर, प्रयागराज से पटना के बीच गंगा नदी में गंगेज डॉल्फिन की बढ़ती आबादी भी गंगा के जल की गुणवत्ता का स्पष्ट संकेत है। इससे भी पक्षी वैज्ञानिकों की रिपोर्ट पर मुहर लग रही है।









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