सनातन धर्म में एकादशी का खास महत्व है। यह पर्व कृष्ण और शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।
सनातन शास्त्रों में निहित है कि एकादशी व्रत करने से साधक द्वारा जाने-अनजाने में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही साधक पर भगवान विष्णु की कृपा बरसती है। एकादशी तिथि को लेकर भक्त जन हमेशा दुविधा में रहते हैं। आइए, पापमोचनी एकादशी की सही डेट और शुभ मुहूर्त जानते हैं-
पापमोचनी एकादशी शुभ मुहूर्त
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर पापमोचनी एकादशी मनाई जाती है। इस साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी 25 मार्च को सुबह 05 बजकर 05 मिनट पर शुरू होगी और 26 मार्च को देर रात 03 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना होती है। इसके लिए 25 मार्च को पापमोचनी एकादशी मनाई जाएगी। सामान्य जन 26 मार्च के दिन पारण करेंगे। 26 मार्च के दिन पारण का समय दोपहर 01 बजकर 41 मिनट से लेकर शाम 04 बजकर 08 मिनट तक है।
वैष्णव जन कब मनाएंगे पापमोचनी एकादशी
सामान्य जन 25 मार्च के दिन एकादशी का व्रत रख लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करेंगे। वहीं, वैष्णव जन 26 मार्च के दिन पापमोचनी एकादशी मनाएंगे। इस शुभ अवसर वैष्णव साधक एकादशी का व्रत रख लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करेंगे। साथ ही दिन भर व्रत रखेंगे। वहीं, संध्याकाल में आरती के बाद फलाहार करेंगे। वैष्णव जन पापमोचनी एकादशी का पारण 27 मार्च को सुबह 06 बजकर 17 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 23 मिनट के मध्य पारण कर सकते हैं।
पापमोचनी एकादशी शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो पापमोचनी एकादशी पर दुर्लभ शिववास और सिद्ध योग का संयोग बन रहा है। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलेगा। साथ ही जीवन में व्याप्त दुखों का नाश होगा।
Comments