नई दिल्ली : चैत्र माह जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा को समर्पित होता है। इस महीने में चैत्र नवरात्र मनाया जाता है। यह पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस दौरान जगत की देवी मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा एवं भक्ति की जाती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि पाने के लिए नवरात्र का व्रत रखा जाता है।
धार्मिक मत है कि जगत जननी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। नवरात्र की शुरुआत प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना से होती है। लेकिन क्या आपको पता है कि कलश स्थापना के समय भक्तजन अनजाने में कई गलतियां कर बैठते हैं? आइए, चैत्र नवरात्र की कलश स्थापना समय के बारे में सबकुछ जानते हैं-
चैत्र नवरात्र शुभ मुहूर्त
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत शनिवार 29 मार्च को शाम 04 बजकर 27 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 30 मार्च को प्रतिपदा तिथि दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है। इसके लिए 30 मार्च को घटस्थापना की जाएगी। इसके साथ ही चैत्र नवरात्र की शुरुआत होगी।
घटस्थापना समय
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 30 मार्च को घटस्थापना समय सुबह 06 बजकर 13 मिनट से लेकर 10 बजकर 22 मिनट तक है। इस समय में स्नान-ध्यान कर कलश स्थापना कर सकते हैं। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त 12 बजकर 01 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट के मध्य भी कलश स्थापना कर सकते हैं। इन दो शुभ योग में घटस्थापना कर सकते हैं।
कब न करें कलश स्थापना
सनातन शास्त्रों में निहित है कि शुभ समय में कलश स्थापना करनी चाहिए। इससे साधक को शुभ फल मिलता है। वहीं, अमावस्या तिथि और रात के समय में कलश स्थापना न करें। अनदेखी करने से देवी मां दुर्गा अप्रसन्न होती हैं। मां के अप्रसन्न होने से साधक को जीवन में नाना प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए योग्य ज्योतिष या पंडित से कलश स्थापना का सही समय अवश्य जान लें। इसके बाद कलश स्थापना कर देवी मां दुर्गा की पूजा करें।
पूजा के लाभ
जगत जननी मां दुर्गा बेहद दयालु एवं कृपालु हैं। अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं। उनकी कृपा से व्रती की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। ज्योतिष भी मानसिक एवं शारीरिक कष्टों से मुक्ति पाने के लिए देवी मां दुर्गा की पूजा करने की सलाह देते हैं।
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