अमरूद खेती की टिप्स : बस करें ये काम फलों से लद जाएंगे अमरूद के पेड़

अमरूद खेती की टिप्स : बस करें ये काम फलों से लद जाएंगे अमरूद के पेड़

अमरूद की खेती में भारत दुनिया में सबसे आगे है. हमारे देश में लगभग 3.50 लाख हेक्टेयर भूमि पर अमरूद की बागवानी हो रही है, जिससे 53.68 लाख टन अमरूद का उत्पादन होता है. अमरूद स्वाद और पोषक तत्वों से भरपूर फल है, इसलिए इसकी बागवानी घरों से लेकर व्यावसायिक स्तर तक की जाती है. अमरूद के फलों का उपयोग ताजा खाने के अलावा जैम, जेली, रस आदि बनाने में भी किया जाता है. लिहाजा आज हम आपको अमरूद के खेती के लि कुछ ऐसे हैक्स बता रहे हैं जिनसे अमरूद के पेड़ों में जबरदस्त फल लदने शुरू हो जाएंगे.

अमरूद से कितने बहार की लें फसल?

अमरूद में साल में 3 बार फूल और फल आते हैं, जिन्हें अमरूद में फूल को बहार कहा जाता है. अम्बे बहार में फरवरी-मार्च में फूल और जून-जुलाई में फल आते हैं. वहीं मृग बहार में जून-जुलाई में फूल और सर्दियों में फल आते हैं. तीसरा हस्त बहार इसमें सर्दियों में फूल,और बसंत में फल आते हैं. अमरूद के बाग से सभी बहारों से फसल लेने पर फलों की गुणवत्ता और उत्पादन, दोनों में कमी आती है. इसलिए, अमरूद से साल में केवल 1 या 2 बहार से फसल लेना ही बेहतर होता है.

बंपर उपज का क्या राज?

दरअसल, अमरूद में साल में 3 बार फूल आता है, जिसे बहार के नाम से जाना जाता है. पहला अंबे बहार, इसमें फूल फरवरी-मार्च में आते हैं और जून-जुलाई में फल आते हैं. इस समय अधिक तापमान और फल मक्खी के प्रकोप के कारण फलों की गुणवत्ता खराब रहती है, जिससे बाजार में फल की कीमत कम मिलती है. जबकि हस्त बहार में फूल सर्दियों में आते हैं और फल बसंत में तैयार होते हैं. फलों की गुणवत्ता अच्छी होती है, लेकिन उत्पादन कम होने के कारण अधिक मुनाफा नहीं मिल पाता. इन बहारों के फूलों को तोड़ देना चाहिए, जिसे बहार नियंत्रण कहते हैं. इससे जाड़े वाली फसल से बेहतर क्वालिटी की बंपर उपज मिलती है.  

मृग बहार से कैसे मिलती है बंपर उपज?

अमरूद की मृग बहार में फूल जून-जुलाई में आते हैं और फल सर्दियों में तैयार होते हैं. इस समय कीट एवं रोगों का प्रकोप कम होता है, जिससे फल बेहतर गुणवत्ता के होते हैं और किसानों को अधिक लाभ मिलता है. कृषि वैज्ञानिक किसानों को मृग बहार के फल लेने की सलाह देते हैं. अमरूद में फरवरी-मार्च आया फूल यानि हस्त बहार से फसल लेने पर फलों की गुणवत्ता और उत्पादन में गिरावट आती है. इसलिए मृग बहार से फसल लेना उचित रहता है. बाकी दोनों बहार के फूलों को तोड़ देना चाहिए, जिसे बहार नियंत्रण कहते हैं.

बहार नियंत्रण के प्रमुख तरीके:

  1. हाथ से फूल तोड़ना- छोटे बागों के लिए यह विधि उपयुक्त है, लेकिन बड़े बागों के लिए इसमें श्रम और समय अधिक लगता है.
  2. सिंचाई रोकना- फसल के 1-2 महीने पहले सिंचाई रोक देने से पौधे सुप्तावस्था में चले जाते हैं. इससे पत्तियां झड़ जाती हैं और पौधों में तनाव उत्पन्न होता है. इसके बाद में एक साथ पुष्पण होता है. पहली सिंचाई के बाद पौधों को नियमित सिंचाई करनी चाहिए. 
  3. जड़ों की खुदाई- इस तरीके में पौधे के तने के चारों ओर 40-60 सेंटीमीटर की 7-10 सेंटीमीटर मिट्टी हटाकर जड़ों को धूप में खुला छोड़ें. इससे पौधा अपनी पत्तियां व फूल गिरा देता है. इस विधि में सावधानी जरूरी है, क्योंकि अमरूद की जड़ें गहराई तक नहीं जाती हैं. 
  4. रसायनों का प्रयोग- इस विधि में यूरिया (10-15% सांद्रता), इथरेल 1000 पीपीएम या नेफ्थलीन एसिटिक एसिड 30 पीपीएम का छिड़काव, 15 अप्रैल से 15 मई के बीच किया जाता है. इसके अमरूद के फूल निष्क्रिय होकर गिर जाते हैं.

उपज और क्वालिटी दोनों होगी बेहतर

अमरूद की बहार प्रबंधन करने से केवल एक बहार से फसल लेने पर फलों की गुणवत्ता बेहतर होती है. बाजार में अनरूद का अच्छा दाम मिलता है. पौधों की ऊर्जा संतुलित रहती है, जिससे फलों का उत्पादन ज्यादा होता है. इस तरह से सही बहार प्रबंधन अपनाकर किसान अमरूद की खेती से बंपर मुनाफा कमा सकते हैं.






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