मुखिया के मुखारी –गोडसे और उस जैसे हत्यारे हैं,तों फिर औरंगजेब क्या ?

मुखिया के मुखारी –गोडसे और उस जैसे हत्यारे हैं,तों फिर औरंगजेब क्या ?

23 मार्च 2025 :इतिहास भविष्य के ह्रास को रोकता है, यदि हम उससे सीख ले ,सीखना सभ्य मानवीय प्रवृति है, असभ्यता के लिए कुतर्क ही काफी है, कुतर्को का दौर चल रहा कुछ असभ्य बने रहने की होड़ में है,आत्मगौरव रहित व्यक्तित्व ने सामाज को कब अपना सकारात्मक योगदान दिया है ? संघर्ष के मूल में जड़ता होती है प्रेम सर्वोपरि है पर इसके लिए सामंजस्य, सहअस्तित्व मूल तत्व है ।  सभ्य सामाज प्रेम से नही विधान से प्रेम पूर्वक चलता है, देश के लिए यही काम संविधान करता है, थोड़ा कुतर्क गढ़े उस आवेशी, आभासी दुनिया को समझें ,दुर्दांत अपराधी रंगा बिल्ला चोपड़ा हत्याकांड से पहले बहुतों की सहायता की महिलाओं को इज्जत दी,अतीक अहमद गुंडा नही था, ना मुख़्तार अंसारी ने कभी कोई अपराध किया, वों गरीबों की सेवा करते थे ,अपराधी चुनाव अपनी इन्ही नरम दिलियों की वजह से जीतते हैं,फूलन देवी डकैत नही थी, उन्होंने ना कभी डकैती डाली, ना कोई हत्या की ,और यदि की भी होगी तों उससे ज्यादा गरीबों की सहायता की,जिन्ना डायरेक्ट एक्शन डे और बटवारे की हिंसा के लिए जवाबदेह नही थे,ऐसे सैकड़ो उदाहरण मिल जायेंगे,इन्ही उदाहरणों से प्रेरित लोग औरंगजेब का यशोगान कर रहे, उनसे सवाल है इंदिरा गाँधी हत्याकांड के सतवंत, बेअंत सिंह ,राजीव गाँधी हत्याकांड की नलिनी और लिट्टे अपराधी हैं की नही  ? नाथूराम गोडसे के बारे में क्या कहना है ? इन सबने एक-एक ही हत्या की,  फिर तों ये औरंगजेब  से ज्यादा सम्मान के हकदार हैं। 

औरंगजेब ने एक से ज्यादा हत्याए की ,गाजी की उसकी पदवी उसकी आत्मस्वीकारोक्ति है,जिन्हें औरंगजेब ने हलाक किया वों आम थे तों क्या उनकी हत्या ,हत्या नही थी ? औरंगजेब ने नरसंहार,धर्मांतरण ,मंदिरों का विध्वंस,भगवानों के विग्रहों को मस्जिद की सीढ़ियों पर दबवाया ,फिर भी औरंगजेब को महान बताने की कोशिशें ,जिसने सिक्ख धर्म गुरुओं के शीश कटवाए, साहिबजादों (बच्चों ) को दीवार पे चुनवा दिया, नारी अस्मत लुटी वों यदि स्वीकार्य है तों फिर तीनों गाँधी हत्याकांडो के अपराधियों के प्रति हम क्यों इतने असहिष्णु हैं ? क्या उन्हें भी सम्मान औरंगजेब से ज्यादा नही मिलना चाहिए ? जों सामाज इन्हें अपराधी मानता है वों कैसे औरंगजेब और उसी के जैसा कुकृत्य करनेवाले किसी भी आक्रान्ता का अपराध क्षम्य कर सकता है ? कम्युनिस्टों का इतिहास हिंसा से ही शुरू होता है, बन्दुक की गोली से सत्ता पाने की इनकी चाहत रही, कम्यूनिस्ट शासकों ने नरसंहार कर सत्ता चलाई, विश्व के कई कम्यूनिस्ट देशों का यही इतिहास है,भारत की कम्यूनिस्ट पार्टियां भी इन्ही सिद्धांतों को मानती है, 1962 के  भारत चीन युद्ध में कम्यूनिस्ट चीन के साथ खड़े थे,कांग्रेस हिंसा की गवाह रही है,चाहे वों बटवारे के पहले की हिंसा हो या फिर बाद में, देश में हुए संप्रदायिक दंगो की बात, कांग्रेस सत्ता में थी  । भगत सिह को तों कांग्रेसी राज में आतंकवादी पढ़ाया और बताया गया ,पर बटवारे के, डायरेक्ट डे के हिंसा के दोषी जिन्ना को आतंकवादी कहने की हिम्मत कांग्रेस कभी नही जुटा पाई ,ना आज कहती है,जिन्ना पहले कांग्रेसी थे और हिन्दुस्तानी भी ऐसे में उन पर टिप्पणी करने का अधिकार तों हमे भी है,यदि महिमामंडन औरंगजेब का हो तों दारा शिकोह कैसे मिलेंगे, अपराधी माफिया मुख्तार ,अतीक मुस्लिमों के मसीहा बताए जायेंगे, तों अब्दुल हमीद ब्रिगेडियर उस्मान डॉ.कलाम कैसे पैदा होंगे ?

समाजवादी पार्टी का भी हिंसा से पुराना नाता रहा है,अपराधियों की फ़ौज सदा से पार्टी में रही है ।मुलायम सिंह लड़को से गलती हो जाती है, मैंने 16 हिंदू मरवा दिए का बयान दिए ही थे ,लालू का जंगल राज हिंसा का पर्याय ही रहा, ममता चुनावी हिंसा से नेता बनी, कम्युनिस्टों  की हिंसा झेली आज खुद चुनावी हिंसा को प्रश्रय देती हैं,तमिलनाडु की द्रविड़ राजनीति हिंदी विरोध से शुरू होकर हिंसा ग्रस्त हुई, संविधान की प्रतियाँ तक जलाई गई,ऐसे में इंडी गठबंधन के इन दलों का औरंगजेब प्रेम को समझना बहुत मुश्किल नही है,जिनकी प्रवृति हिंसक होती है, उनकों हिंसा पसंद आनी ही है,और हिंसा गान उनका परम लक्ष्य । विदेशी आक्रन्ताओं से प्रेम का कारण यही है ,मिक्सचर सस्ता भी है और लोकप्रिय भी पर पेट जल्दी ख़राब करता है,राजपूतानियों ने जौहर क्यों किया था ? गनीमत है अभी तक उसे इंडी गठबंधन वालों ने सती प्रथा का उदाहरण नही बताया,जातिप्रथा यदि    धर्मांतरण का एकमात्र कारण था तों स्वर्ण हिंदू क्यों और कैसे धर्मान्तरित हुए  ? या किए गए कश्मीरी ब्राम्हण ,राजपूत ,जाट  कैसे मुस्लिम बने या बनाए गए ? अब्दुल्ला ओवैसी  के पूर्वज ब्राम्हण ,भुट्टो राजपूत ,लियाकत अली जाट ,जिन्ना ,पटेल कैसे कट्टर मुस्लिम बन गए ? सत्ता की चाहत बहुत कुछ बदल देती है ,अन्याय के दमन के लिए शस्त्र उठाने की कब मनाही रही है ? किस हिंदू देवी ,देवताओं के हांथो में शस्त्र  नही रहा,  शस्त्र  या शास्त्र कब किसे चुनना है ये वेद पुराण बताते हैं,फिर भी हमे शस्त्र और शास्त्र रहित करने की कुचेष्टा हो रही ,आदमखोर मानव शास्त्र नही शस्त्र की भाषा समझता है,पृथ्वी गोल है या चपटी ये आधुनिक विज्ञान भी बता चूका है, जों मानते है पृथ्वी गोल है उनका दृष्टिकोण समय की निरंतरता को मानता है, और जों ये नही मानते वों जड़ता के प्रतीक हैं,जीवन समय का अनुगामी है,जड़ता जीवन को बांधती है ,असभ्यता सिखाती है, जीवन मूल्यों के लिए तय मापदंड एक ही होते है इसीलिए ----------------------------- गोडसे और उस जैसे हत्यारे हैं,तों फिर औरंगजेब क्या ?

चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल
 

 






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